Published - 14 Jan 2022
राजस्थान के गन्ना किसानों के लिए खुशखबर है। प्रदेश में अब गन्ना का रेट 50 रुपए बढ़ा दिया गया है। इससे अब राजस्थान में 360 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से शुगर मिल किसानों से गन्ने की खरीद करेगी। बता दें कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बाद अब राजस्थान सरकार ने भी गन्ने के दाम में भी वृद्धि की गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गन्ना उत्पादक किसानों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पेराई सत्र 2021-22 के लिए राजस्थान राज्य गंगानगर शुगर मिल द्वारा गन्ने के खरीद मूल्य में 50 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि को मंजूरी दी है। गहलोत के इस फैसले से गन्ना उत्पादक किसानों को अच्छा दाम मिलेगा।
सीएम के फैसले के बाद गंगानगर शुगर मिल की ओर से गन्ने की क्वालिटी के हिसाब से किसानों को गन्ने का रेट दिया जाएगा जिसे निर्धारित कर दिया है जो इस प्रकार से है-
गहलोत ने गन्ने के खरीद मूल्य में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। इससे राज्य के गन्ना उत्पादक काश्तकारों को लगभग 5 करोड़ रुपए प्रति पेराई सत्र की अतिरिक्त आय प्राप्त होगी। बता दें कि प्रदेश के गन्ना उत्पादक किसानों की ओर से गन्ने की खरीद दर में काफी समय से वृद्धि करने की मांग की जा रही थी। इस मांग पर निर्णय लेते हुए सीएम अशोक गहलोत ने गन्ना का रेट बढ़ाया है। इससे यहां के किसानों को काफी फायदा होगा।
राजस्थान में गन्ने का उत्पादन बहुत कम होता है। यहां देश का मात्र 0.5 फीसदी ही गन्ना का उत्पादन किया जाता है। कम उत्पादन की वजह से यहां महज तीन ही चीनी मिलें हैं। राजस्थान में बूंदी जिला गन्ना उत्पादन में आगे है। राजस्थान में 2020-21 के दौरान 4,000.90 हेक्टेयर में गन्ने की खेती हुई थी। जबकि 2,85,000.05 टन उत्पादन हुआ था।
गन्ना उत्पादक राज्य जिन्होंने गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी की है। उन राज्यों में अब गन्ने एसएपी इस प्रकार से हैं-
क्र.सं. | राज्य | गन्ना का नया (एसएपी) मूल्य |
---|---|---|
1. | हरियाणा | 362 रुपए प्रति क्विंटल |
2. | पंजाब | 360 रुपए प्रति क्विंटल |
3. | यूपी | 350 रुपए प्रति क्विंटल |
4. | राजस्थान | 360 रुपए प्रति क्विंटल |
2015-16 के अनुमान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, क्योंकि यह अनुमानित 145.39 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन करता है, जो अखिल भारतीय उत्पादन का 41.28 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल 2.17 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में बोई जाती है, जो कि अखिल भारतीय गन्ने की खेती का 43.79 प्रतिशत हिस्सा है। राज्य में करीब 48 लाख किसान गन्ने की खेती में लगे हुए हैं। और यहां सबसे अधिक चीनी मिले भी है जो किसानों से गन्ना खरीदती हैं। इसके बावजूद यहां गन्ना का रेट अन्य राज्यों से कम है।
एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है, जिस पर चीनी मिलों को किसानों से गन्ना खरीदना होता है। कमीशन ऑफ एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेज (सीएसीपी) हर साल एफआरपी की सिफारिश सरकार से करता है। सीएसीपी गन्ना सहित प्रमुख कृषि उत्पादों की कीमतों के बारे में सरकार को अपनी सिफारिश भेजती है। उस पर विचार करने के बाद सरकार उसे लागू करती है। हालांकि एफआरपी सभी किसानों पर लागू नहीं होता है। गन्ना का अधिक उत्पादन करने वाले कई बड़े राज्य गन्ना की अपनी-अपनी कीमतें तय करते हैं। इसे स्टेट एडवायजरी प्राइस (एसएपी) कहा जाता है। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा अपने राज्य के किसानों के लिए अपना एसएपी तय करते हैं। आम तौर पर एसएपी केंद्र सरकार के एफआरपी से ज्यादा होता है।
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