Published - 02 Jun 2021 by Tractor Junction
किसानों के लिए फसल उत्पादन में यूरिया प्रमुख रूप से उपयोगी उर्वरकों की श्रेणी में आता है। अब तक किसान बाजार से सूखा यूरिया प्रति बोरी के हिसाब से क्रय किया करते हैं जो काफी महंगी पड़ती है। हालांकि सरकार की ओर से इस पर सब्सिडी भी दी जाती है लेकिन उसके बाद भी किसानों को यूरिया खरीदने पर खर्चा अधिक आता है जिसका प्रभाव फसल की लागत पर पड़ता है। फसल की लागत को कम करने और किसानों की लाभ पहुंचने के उद्देश्य से इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) एक ऐसा तरल यूरिया तैयार किया है जिसकी आधा लीटर की बोतल (500 मिलीलीटर) की बोतल यूरिया की एक बोरी के बराबर काम करेगी और खर्चा भी उससे कम आएगा जिससे किसानों को लाभ होगा। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार हाल ही में भारत के करोड़ों किसानों के लिए विश्व के पहले नैनो यूरिया तरल की सौगात दी है। इफको ने ऑनलाइन-ऑफलाइन मोड में हुई अपनी 50वीं वार्षिक आम बैठक में प्रतिनिधि महासभा के सदस्यों की उपस्थिति में इसे लॉच किया।
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इफको नैनो यूरिया तरल रूप में किसानों के लिए बनाया गया है जो प्रयोग में काफी आसान है। राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) के तहत 20 आईसीएआर संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केन्द्रों में 43 फसलों पर किए गए बहु-स्थानीय और बहु-फसली परीक्षणों के आधार पर इफको नैनो यूरिया तरल को उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ, 1985) में शामिल कर लिया गया है। इसकी प्रभावशीलता का परीक्षण करने के लिए पूरे भारत में 94 से अधिक फसलों पर लगभग 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) किए गए थे। हाल ही में पूरे देश में 94 फसलों पर हुए परीक्षणों में फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
इफको ने अपने बयान में कहा कि नैनो यूरिया तरल को पौधों के पोषण के लिए प्रभावी व असरदार पाया गया है। इसके प्रयोग से फसलों की पैदावार बढ़ती है तथा पोषक तत्वों की गुणवत्ता में सुधार होता है। नैनो यूरिया भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने तथा जलवायु परिवर्तन व टिकाऊ उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा। वहीं किसानों द्वारा नैनो यूरिया तरल के प्रयोग से पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होंगे और मिट्टी में यूरिया के अधिक प्रयोग में कमी आएगी।
यूरिया के अधिक प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषित होता है, मृदा स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है, पौधों में बीमारी और कीट का खतरा अधिक बढ़ जाता है, फसल देर से पकती है और उत्पादन कम होता है। साथ ही फसल की गुणवत्ता में भी कमी आती है। नैनो यूरिया तरल फसलों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है तथा फसलों को गिरने से बचाता है। इफको नैनो यूरिया किसानों के लिए सस्ता है और यह किसानों की आय बढ़ाने में प्रभावकारी होगा। इफको नैनो यूरिया तरल की 500 मि.ली. की एक बोतल सामान्य यूरिया के कम से कम एक बैग के बराबर होगी। इसके प्रयोग से किसानों की लागत कम होगी। नैनो यूरिया तरल का आकार छोटा होने के कारण इसे पॉकेट में भी रखा जा सकता है जिससे परिवहन और भंडारण लागत में भी काफी कमी आएगी।
यूपी में धान, गन्ना, आलू, रामदाना समेत तमाम फसलों में इसका सफल प्रयोग हुआ है और औसतन 7-8 फीसदी ज्यादा और गुणवत्ता वाली फसल मिली है। इफको नैनो यूरिया तरल को सामान्य यूरिया के प्रयोग में कम से कम 50 प्रतिशत कमी लाने के प्रयोजन से तैयार किया गया है। इसके 500 मि.ली. की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करेगा।
इफको नैनो यूरिया का उत्पादन जून 2021 तक शुरू होगा और शीघ्र ही इसका व्यावसायिक विपणन भी शुरू हो जाएगा। इफको नैनो तरल यूरिया खरीफ (धान) सीजन में भारत में आम किसानों के लिए उपलब्ध होगी। उत्तर प्रदेश में इफको के राज्य विपणन प्रबंधक अभिमन्यु राय की ओर से मीडिया को बताए गए अनुसार यूपी में ये खाद जुलाई में किसानों के लिए उपलब्ध हो जाएगी। इस उत्पाद के बारे में किसानों को पूरी जानकारी देने के लिए एक व्यापक देशव्यापी प्रशिक्षण अभियान चलाने की योजना बनाई है। ये उत्पाद इफको के ई-कॉमर्स प्लेटफार्म www.iffcobazar.in के अतिरिक्त मुख्य रूप से सहकारी बिक्री केंद्रों और अन्य विपणन माध्यमों से किसानों को उपलब्ध कराएं जाएंगे।
इफ्को की ओर से लांन्च की गई नैनो यूरिया की आधा लीटर ( 500 मि.ली) की एक बोतल की कीमत 240 रुपए निर्धारित की गई है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के मूल्य से 10 प्रतिशत कम है।
कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए किसानों की सहायता के लिए आईटी कंपनी एचसीएल ने यूपी के 20 हजार किसानों को मुफ्त में बीज बांटने का फैसला किया है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार खरीफ सीजन से पहले हरदोई और लखनऊ जिले के किसानों को एचसीएल की तरफ से बीज बांटे जाएंगे। इससे किसानों पर बीज खरीदने का खर्च हल्का होगा और उस पैसे को वे कहीं और इस्तेमाल कर सकेंगे। इसके अलावा बीज वितरण के अलावा एचसीएल कंपनी ने खेती में प्रयुक्त होने वाले अन्य चीजों की खरीदारी में किसानों की मदद करने का फैसला किया है। खेती में आने वाले अन्य लागत की कमी न हो और किसानों को सही समय पर इसकी सप्लाई हो सके, कंपनी ने इसकी तैयारी की है।
हरदोई किसान उत्पादक संगठन के दफ्तर में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसानों को खाद और कीटनाशकों की खेप सही वक्त पर मिल सके। हालांकि इसे बिक्री के तौर पर दिया जाएगा लेकिन सही समय पर सप्लाई हो सके, कंपनी इसे सुनिश्चित कराएगी। बता दें कि हरदोई और लखनऊ के किसानों का पूरा डेटाबेस एचसीएल कंपनी के पास है। इसका लाभ उठाते हुए कंपनी की तरफ से धान, मक्का और सब्जियों के बीज बांटे जाएंगे। जरूरत के आधार पर कंपनी ने बीज की खरीद शुरू कर दी है। पिछले साल भी एचसीएल ने यह काम किया था और खरीफ सीजन में 20 हजार किसानों को मुफ्त में बीज बांटे गए थे। कंपनी इसके लिए किसान संगठन का सहयोग ले रही है।
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