दुनिया की सबसे महंगी सब्जी: हॉप शूट्‌स की खेती कैसे करें - जानें, खेती का तरीका

Share Product प्रकाशित - 14 Dec 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

दुनिया की सबसे महंगी सब्जी: हॉप शूट्‌स की खेती कैसे करें - जानें, खेती का तरीका

दुनिया की सबसे महंगी खेती की लिस्ट में शामिल है हॉप शूट्स, जानें, खेती का तरीका

हॉप शूट्स दुनिया की सबसे महंगी खेती में शुमार है। ये इसलिए की इसकी खेती में लागत भी ज्यादा आती है और मुनाफा भी अधिक होता है। दुनिया के कई देशों में इसकी खेती की जाती है, जिनमें यूरोप, अमेरिका, कनाडा, चीन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में इसक उत्पादन होता है। कई सालों पहले भारत में भी इसकी खेती हिमाचल के ठंडी जलवायु में शुरू की गई थी लेकिन विपणन सुविधाओं कमी और लागत अधिक बैठने के कारण किसानों ने इसकी खेती से दूरी बना ली। यदि भविष्य में इसकी खेती भारत में होती है तो ये खेती भारतीय किसानों के लिए बंपर कमाई देने वाली खेती साबित हो सकती है।

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बाजार में 80 हजार रुपए किलो बिकती है हॉप शूट्‌स (Hop Shoots)

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आमतौर पर विदेशों में इस सब्जी की कीमत 1000 यूरो प्रति किलो रखी है, इसकी कीमत अलग-अलग देशों में अलग-अलग है। यदि हम भारत की बात करें तो यहां पर इसकी कीमत 1 हजार यूरो के हिसाब से करीब 80 हजार रुपए प्रति किलो से लेकर एक लाख रुपए तक होगी। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको दुनिया की सबसे महंगी सब्जी की खेती के बारे में पूरी जानकारी दे रहे है जो रोचक भी है और किसानों के लिए लाभकारी भी। तो बने रहिये हमारे साथ।

बिहार में इस किसान ने की हॉप शूट्स की खेती (Cultivation of Hop Shoots)

बहुत समय पहले बिहार के एक किसान महत्वाकांक्षी किसान अमरेश सिंह ने दुनिया की सबसे महंगी सब्जी 'हॉप-शूट्स' की खेती की थी। हॉप शूट़स की खेती भारतीय किसानों के लिए एक बहुत बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकती है। इसकी अंतराष्ट्रीय मांग को देखते हुए इसकी खेती से काफी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। हालांकि कई देशों में आज भी इसकी खेती की जाती है, लेकिन भारतीय में ये दिखाई नहीं देती है। इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण इसकी लागत का अधिक बैठना है। भारत में भी करीब 40-45 साल तक हिमाचल के बेहद ठंडे इलाके लाहौल-स्पीति में हॉप की खेती की गई, लेकिन बाज़ार में फसल का सही दाम नहीं मिलने की वजह से किसानों ने इससे दूरी बना ली।

क्या है हॉप शूट्स (What is Hop Shoots)

हॉप शूट्स एक सब्जी है जो शंकुवाकार की होती है। हॉप के फल अपनी पंखुरियों की लचीली परतों से बने होते हैं। परिवक्व होने पर ये फूल करीब दो सेंटीमीटर लम्बा होता है। इसके फूल को कोन्स कहा जाता है। इस सब्जी का स्वाद काफी कड़वा होता है। इसकी जो टहनियों का इस्तेमाल सलाद रूप में किया जाता है। इसके फूल का स्वाद काफी तीखा होता है। हॉप शूट्स की जड़ें 2-3 मीटर गहरी होती है। इसे खूब उपजाऊ और नमी तथा पर्याप्त धूप आने वाली जगह पर उगाया जाता है।

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हॉप शूट्स का क्या है उपयोग

इसका विशेष रूप से उपयोग बीयर बनाने के लिए किया जाता है। इसके प्रयोग से ही बीयर में झाग और महक आती है। इसका बीयर में इस्तेमाल बढ़ने से कई देशों में इसकी खेती होने लगी है। इसके फूल का उपयोग बीयर बनाने में किया जाता है जबकि इसकी टहनियों को खाने के काम में लिया जाता है। इसका आचार भी बनाया जाता है। यह शरीर में मौजूद एंटीबाडी की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे शरीर की गंभीर रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। कहा जाता है कि इसके प्रयोग से जवान और त्वचा चमकदार बनती है। ये अनिद्रा और तनाव को भी दूर करता है।

हॉप शूट्‌स की खेती का उचित समय

हॉप के बीजों की बुआई पश्चिम देशों के मौसम के हिसाब से वसंत ऋतु यानी ठंड के विदा होने पर की जाती है। भारत में इसकी खेती ठंडे इलाकों में की जा सकती है।

हॉप शूट्‌स की खेती के लिए जलवायु और भूमि

हॉप शूट्‌स की खेती के लिए ठंडी जलवायु अच्छी रहती है। इसका पौधा ठंडी जलवायु में ही ठीक से विकसित होता है। इसके पौधे अधिकतम 19 डिग्री और न्यूनतम -25 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। भारत में हिमाचल प्रदेश इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी जगह है। यहां की जलवायु हॉप शूट्स की खेती के लिए उपयुक्त है। वहीं इसकी खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्‌टी और चिकनी दोमट मिट्‌टी काफी उपुयक्त रहती है। इसकी खेती के लिए नदियों के तह की मिट्‌टी काफी बेहतर मानी जाती है। इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उचित जल निकास वाली भूमि का ही चयन किया जाए ताकि खेत में पानी इक्ट्‌ठा न हो। इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।

हॉप शूट्‌स की खेती के लिए उन्नत किस्में

हॉप शूट्‌स की खेती व्यावसायिक दृष्टिकोण से ही की जाती है, जिसके लिए इसकी गोल्डन क्लस्टर, लेट क्लस्टर और हाइब्रिड-2 जैसी किस्मों का चयन किया जाता है।

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कैसे होती है हॉप शूट्‌स की खेती

हॉप शूट्‌स की रोपाई से पहले खेत में 4 इंच गहरा कम्पोस्ट के मिक्चर को डाल दिया जाता है। हॉप शूट्‌स के पौधों की रोपाई बीजों के जगह कंद से की जाती है। इसके पौधे बेल के रूप में फैलते हैं इसलिए इसके लिए जाल बिछाया जाता है। खेत के दोनों साइडों मे 2 स्तम्भों को तार की सहायता से बांध दिया जाता है। हॉप शूट्‌स को हमेशा कतार में ही लगाना चाहिए इसमें पौधे की रोपाई के समय दूरी 5 से 10 फीट पर की जाती है ताकि इसे फैलने को पर्याप्त जगह मिल सके। रोपाई के बाद इसकी हल्की सिंचाई की जाती है। हॉप शूट्‌स के पौधे को शुरुआत में 6 से 8 घंटे धूप की जरूरत होती है। खेत में जलभराव नहीं हो, इसके लिए जल निकासी की उत्तम व्यवस्था करनी चाहिए।

हॉप शूट्‌स के केवल मादा पौधों की ही होती है खेती

भांग या खजूर की तरह इस प्रजाति का मादा और नर पौधा अलग-अलग होता है। दोनों पर ही फूल लगते हैं जिसे होप्स कहा जाता है। लेकिन खेती सिर्फ मादा फूलों की जाती है। इन्हें नर फूलों के संपर्क में आने से बचाया जाता है। क्योंकि निषेचित होते ही मादा हॉप के फूलों का स्वाद बिगड़ जाता है। इस कारण हॉप के बीजों रोपाई के बाद पनपे नर पौधों तुरंत नष्ट कर दिया जाता है ताकि कीट-पतंगे इनका परस्पर परागण नहीं कर सकें। सिर्फ मादा पेड़ों पर उगने वाले हॉप के फूलों को ही परिपक्व होने दिया जाता है। इसकी बेल जिसे लतर कहा जाता है को ज़मीन पर फैलने से बचाने के लिए हरेक पौधे के लिए 25-30 फ़ीट ऊंचा तारों का ऐसा जाल बनाते हैं जिस पर हॉप की बेल ऊपर की ओर बढ़ती रहे।

हॉप शूट्‌स की खेती में सिंचाई (Irrigation in Hop Shoots Cultivation)

हॉप शूट्‌स के पौधे को 6 इंच की गहराई तक पानी की आवश्यकता होती है जिससे ये भूमि के पोषक तत्व आसानी से ले सकें। इसके पौधे की सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक इस्तेमाल किया जाता है।   

हॉप शूट्‌स की खेती में खाद व उर्वरक प्रयोग

इसकी खेती के लिए 25-30 टन गोबर की खाद देनी चाहिए। वहीं रासायनिक उवर्रक उर्वरक में 250 किलोग्राम सुपर फास्फेट, 200 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश और 100 किलोग्राम नाइट्रोजन की मात्रा को दी जा सकती है। अब खाद और उर्वरक की मात्रा को अच्छे मिट्‌टी में मिला देनी चाहिए। वहीं पोटाश और नाइट्रोजन की आधी मात्रा पौधे के 90 सेमी घेरे में रोपाई के समय देनी चाहिए। शेष आधी मात्र जून व जुलाई माह के मध्य में देनी चाहिए।

हॉप शूट्‌स की फसल की तुड़ाई/कटाई

रोपाई के दो-तीन महीने बाद यानी गर्मियों (जुलाई) के आते-आते लतर पर हॉप के फूल निकलने लगते हैं जो कुछ ही हफ़्तों में ही ये शंकुनुमा फलों के रूप में विकसित होने शुरू हो जाते हैं। हॉप शूट्स की फसल की तुड़ाई अगस्त से सितंबर माह के मध्य की जाती है। इसकी तुड़ाई में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब इसकी फसल पीले रंग की दिखाई देने लगे उसी समय इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए।

हॉप शूट्‌स की प्रोसेसिंग (Processing of Hop Shoots)

हॉप के विकसित फलों को तोड़कर प्रोसेसिंग यूनिट में भेजा जाता है। वहां इन्हें गर्म हवा के ज़रिये इतना सूखाया जाता है कि इसमें नमी का स्तर 6 प्रतिशत तक हो जाए क्योंकि पेड़ों से तोड़ते समय इसमें 80 फ़ीसदी तक पानी होता है। सूखी हुई पत्तियों को लंबी उम्र देने और उसकी खुशबू तथा चिपचिपे पदार्थ की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए हवा-रहित पैकिंग करके बेचा जाता है।

एक एकड़़ में कितना उत्पादन और कमाई

अब बात करें हॉप शूट्‌स की खेती से कमाई की तो एक एकड़ में इसका 362 से लेकर 680 किलोग्राम तक का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसकी बाजार में कीमत 80 से 90 हजार रुपए प्रतिकिलो है। ऐसे में इसकी खेती किसानों को मालामाल बना सकती है। 

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