प्रकाशित - 23 Sep 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
वैसे तो धनिया की खेती सालभर की जा सकती है, लेकिन बारिश के मौसम में बाजार में इसकी उपलब्धता बहुत कम हो जाती है। भारत व विश्व में मांग अधिक होने के कारण बारिश में धनिया की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। भारत में मसाला फसलों में धनिया का एक विशेष स्थान हैं। धनिये का प्रयोग सूखे पाउडर के रूप में हो या हरी पत्तियों के रूप में इसका प्रयोग भोजन का स्वाद बढ़ा देता है। धनिया के इस्तेमाल से सब्जी का स्वाद और उसकी रंगत बढ़ जाती है। इसकी खुशबू इतनी मनमोहक होती है कि दूर से ही किसी भी व्यक्ति का ध्यान अपनी ओर खींच लेती है। इसके अलावा धनिये में कई प्रकार के स्वास्थ्यवर्धक गुण होते हैं जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इन्हीं गुणों के कारण बाजार में धनिये की मांग के साथ-साथ इसके भावों में भी बढ़ोतरी हो रही है।
भारत में बारिश के मौसम में सब्जियां उगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, क्योंकि अधिक बरसात होने के कारण बाढ़ के प्रकोप के चलते फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है। और बरसात के दिनों यदि सबसे महंगे बिकने वाली सब्जी की बात करें तो वह है धनिया। अगर आप बरसात में धनिया की खेती करते हैं तो इसकी खेती से बहुत अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। बरसात के दिनों में हरी धनिया की मांग इतनी अधिक हो जाती है की यह बाज़ार में 250 से 300 रुपये प्रति किलो तक के थोक के भाव से बिकता है।
वैसे तो भारत में सालभर सभी जगह धनिये की खेती की जाती है। लेकिन सबसे अधिक धनिया का उत्पादन करने वाले राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु है। भारत दुनिया में धनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश हैं। पूरी दुनिया का 80 प्रतिशत धनिये का उत्पादन भारत में किया जाता है।
बाज़ार में धनिया की उन्नत किस्मों के कई तरह के बीज़ उपलब्ध है। धनिया की अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में हिसार सुगंध, RCR 41, कुंभराज, RCR 435, RCR 436, RCR 446, GC 2 (गुजरात धनिया 2), RCR 684, पंत हरितमा, सिम्पो S 33, JD-1, ACR 1, CS 6, JD-1, RCR 480,RCR 728 शामिल हैं। लेकिन यदि आप बारिश के महीने में dhaniya ki kheti के लिए उन्नत किस्मों के बीजों की बात करें तो हाइब्रिड धनिया का बीज ईस्ट-वेस्ट, समृद्धि सीड्स या गंगा सीड्स के बीजों की बुवाई करनी चाहिए। अगस्त महीने में या बरसात के मौसम में इन किस्मों के बोने से अंकुरण जल्दी प्राप्त होता है।
वैसे तो धनिया की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन धनिया की फसल के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट भूमि सबसे अधिक उपयुक्त होती है, लेकिन खेत बंजर एवं लवणीय भूमि नहीं होना चाहिए। धनिया की खेती करने के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 6.5 से 7.5 के बीच का होना चाहिए।
धनिया की बुवाई से 10 से 15 दिन पहले खेत को 2 से 3 बार रोटावेटर या कल्टीवेटर की सहायता से खेत की जुताई करनी चाहिए। जुताई से पहले 5 से 10 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं, यदि गोबर की खाद उपलब्ध ना होने पर प्रति हेक्टेयर दो बोरी सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग करें।
धनिया के बीजों को बुवाई से पहले सावधानीपूर्वक हल्का रगडक़र बीजों को दो भागों में तोड़ लें। धनिया की बुवाई सीड ड्रील की सहायता से कतारों में करें। एक कतार से दूसरे कतार की दूरी 30 से.मी. एवं एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 10 से 15 से.मी. के बीच रखें। भारी भूमि या अधिक उर्वरा भूमि में कतारों की दूरी 40 से.मी. रखना चाहिए। धनिया की बुवाई पंक्तियों में करनी चाहिए। बीज की गहराई 2 से 4 से.मी. तक होना चाहिए। बीज को अधिक गहराई पर बोने से धनिया की बीजों में कम अंकुरण होता है। इसलिए उचित गहराई का ध्यान रखते हुए धनिया की बुवाई करनी चाहिए।
धनिया अपने शुरुआती दिनों में धीमी गति से बढ़ता हैं। खरपतवार होने कि स्थिति में निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को निकलना चाहिए। सामान्यत: धनिये में दो निराई-गुड़ाई करना पर्याप्त होता है। पहली निराई-गुड़ाई बुवाई के 30 से 35 दिन में तथा दूसरी 60 दिन बाद करनी चाहिए। इससे धनिया की फसल अच्छी होने के साथ अधिक उत्पादन प्रदान करती है। इसके अलावा रासायनिक तरीकें से खरपतवार नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर 1 लीटर पेन्डीमिथालीन को 600 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के 4 से 6 दिन के अंदर या अंकुरण से पहले छिडक़ाव करना चाहिए।
वैसे तो अगस्त महीने में धनिया की बुवाई करने पर ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं पढ़ती। धनिया की फसल में पहली सिंचाई 30 से 35 दिन बाद (पत्ती बनने की अवस्था), दूसरी सिंचाई 50-60 दिन बाद (शाखा निकलने की अवस्था), तीसरी सिंचाई 70-80 दिन बाद (फूल आने की अवस्था) तथा चौथी सिंचाई 90-100 दिन बाद (बीज बनने की अवस्था ) करना चाहिए। इसके अलावा यदि जरूरत हो तो आवश्यकतानुसार सिंचाई की जानी चाहिए।
धनिया की बुआई के 50 दिन के बाद इसके पौधे मंडियों में बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं। अगर आपको दूर की मंडियों में इसको बेचना हो तो धनिया की कटाई हमेशा शाम को सूर्यास्त के बाद करना चाहिए और यदि आपके पास ही सब्जी मंडी है तो आप सुबह में इसकी कटाई करके मंडियों में ले जाकर बेच सकते हैं।
धनिया की बीजों की कटाई करना चाहते है तो, जब धनिया का दाना दबाने पर मध्यम कठोर तथा पत्तियां पीली पडऩे लगे, धनिया डोड़ी का रंग हरे से चमकीला भूरा होने पर तथा दानों में 18 प्रतिशत नमी रहने पर कटाई करना चाहिए। धनिया की खेती में कटाई में देरी नहीं करनी चाहिए। कटाई में देरी करने से दानों का रंग खराब हो जाता है, जिससे कारण बाजार में उचित कीमत नहीं मिल पाती है।
धनिया की 1 हेक्टेयर खेती से किसान लगभग 80 से 100 क्विंटल तक हरी धनिया व 10 से 15 क्विंटल तक बीज़ प्राप्त कर सकते हैं। बारिश के मौसम में बुवाई करने वाले किसान हरी धनिया की पत्ती जो कि 300 रुपये प्रति किलो तक बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। वहीं धनिया के बीज़ो को भी 8000 से 9000 रुपये प्रति क्विंटल बेचकर लाभ कमा सकते हैं।
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