Published - 08 Jul 2021 by Tractor Junction
खरीफ का सीजन चल रहा है और किसान खेतों में फसलों की बुवाई कर रहे हैं। इस समय खरीफ प्याज की बुवाई के लिए भी सही समय है। किसान खरीफ प्याज की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। वैसे भी प्याज ऐसी फसल है जो हाथो-हाथ बिकती है और किसानों को इससे अच्छा लाभ होने की उम्मीद रहती है। प्याज की मांग के अनुरूप अभी भी प्याज का उत्पादन भारत में कम हो रहा है जिसे लेकर इस समय भारत सरकार मिशन ऑफ इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (एमआईडीएच) के तहत खरीफ प्याज के उत्पादन को बढ़ावा देने का काम कर रही है। इस लिहाज से किसानों के लिए खरीफ प्याज की खेती मुनाफे का सौदा है। बता दें कि खरीफ प्याज अक्टूबर-नवंबर के महीने में तैयार होती है और इस समय प्याज का रेट कम से कम 40-50 रुपए प्रति किलो रहता है। यहीं वजह है कि किसानों को खरीफ प्याज की खेती से काफी कमाई हो जाती है।
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भारत सरकार मिशन ऑफ इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (एमआईडीएच) के तहत खरीफ प्याज के उत्पादन को बढ़ावा देने का काम कर रही है। पांच राज्यों को सरकार ने एक खास प्रोजेक्ट दिया है, इसमें हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश शामिल हैं। प्याज उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस दिशा में विशेष जोर दिया जा रहा है और इसी वजह से मिशन की शुरुआत की गई है।
अगर आप हरियाणा के हैं तो आपके लिए खरीफ प्याज की खेती से डबल फायदा होगा। एक तो आप फसल तैयार होने पर मुनाफा कमाएंगे और दूसरा यह कि राज्य सरकार से आपको प्रति एकड़ के हिसाब से 8000 रुपए मिलेंगे। एक सरकारी प्रवक्ता ने मीडिया को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया था कि राज्य सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत खरीफ प्याज की खेती अपनाने वाले किसानों को जो अनुदान राशि दी जाएगी, वह सीधा उनके बैंक खाता में जाएगी। किसी किसान को अधिकतम 5 एकड़ तक इस अनुदान स्कीम का लाभ दिया जाएगा।
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं अनुसंधान विकास प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. पीके गुप्ता ने मीडिया को बताया कि एग्री फाउंड डार्क रेड एक ऐसी किस्म है जो 80-100 दिन में तैयार हो जाती है। इसके अलावा एनएचआरडीएफ की एक और किस्म लाइन 883 है। लाइन 883 मात्र 75 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
खरीफ में बुवाई के लिए अन्य उन्नत किस्मों में पूसा रेड, पूसा रतनार, एग्रीफाउंड लाइट रेड, पूसा व्हाइट राउंड, पूसा व्हाइट फ्लैट आदि हैं।
गुप्ता के अनुसार खरीफ प्याज के लिए नर्सरी तैयार करते समय खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। इस समय दिन में तापमान ज्यादा रहता है और अचानक बारिश होने के बाद इसमें गिरावट दर्ज होती है। इस वजह से नर्सरी को नुकसान पहुंचने का डर बना रहता है। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि नर्सरी डालने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लें। ताकि पौध प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हो। एग्री फाउंड डार्क रेड किस्म की नर्सरी डालने के लिए 7 से 8 किलो बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लेना चाहिए। लाइन-883, भीमा रेड और पूसा रेड किस्म के बीज का भी किसान इस्तेमाल कर सकते हैं। किसान भाई जब भी बीज लें तब सरकारी संस्थान से लें, अच्छी कंपनियों का बीज खरीदें क्योंकि बीज महंगा है और आगे चलकर नुकसान उठाना न पड़े इसलिए इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
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