Published - 18 Oct 2021
by Tractor Junction
रबी सीजन की फसलों की बुवाई शुरू हो गई है। इसी के साथ किसानों की ओर से इसकी मांग उर्वरकों की मांग बढ़ती जा रही है। कई राज्यों में कंपनियों ने उर्वरकों की कीमतों में इजाफा किया है। इसे देखते हुए सरकार ने इन कृषि उर्वरकों पर सब्सिडी जारी की है ताकि किसानों को अधिक दाम नहीं चुकाने पड़े और किसानों को सस्ती कीमत पर समय पर उर्वरक मिल सके। फसलों की अच्छी पैदावार के लिए किसान एनपीके उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के रबी सीजन के लिए उर्वरक पर सब्सिडी की दर जारी कर दी है। इसके तहत केंद्र सरकार ने नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश तथा सल्फर जैसे उर्वरकों पर अलग-अलग सब्सिडी देने का फैसला किया है। इसके लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 1 अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 तक के लिए पीएंडके उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी दरों के निर्धारण के लिए उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
केंद्र सरकार ने सभी उर्वरकों पर कुल 28,602 करोड़ रुपए कि सब्सिडी जारी की है। इसमें नाइट्रोजन पर 18.789 रुपए प्रति किलोग्राम, फास्फोरस पर 45.323 रुपए प्रति किलोग्राम, पोटाश पर 10.116 रुपए प्रति किलोग्राम तथा सल्फर पर 2.374 रुपए प्रति किलोग्राम सब्सिडी देने तय किया है।
डीएपी पर लागत राशि बढऩे से मूल्य में भी वृद्धि हुई है। यह वृद्धि इस रबी वर्ष के लिए 5,716 करोड़ रुपए है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने डीएपी पर अतिरिक्त सब्सिडी (खाद की सब्सिडी) जारी की है। यह अतिरिक्त सब्सिडी 438 रुपए प्रति बैग है। वहीं 837 करोड़ रूपए की अस्थायी लागत पर तीन सबसे अधिक खपत वाले एनपीके ग्रेड अर्थात एनपीके 1-26-26, एनपीके 20-20-0-13 और एनपीके 12-32-16 पर अतिरिक्त सब्सिडी के लिए विशेष एकमुश्त पैकेज दिया गया है। इस प्रकार कुल आवश्यक सब्सिडी 35,115 करोड़ रुपए दी जाएगी।
किसानों के लिए उर्वरकों की बहुत उपयोगिता होती है। पौधे के विकास में उर्वरक का प्रयोग किया जाता है। इसके प्रयोग से कीट और बीमारियां कम लगती है। फसल उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है। इसका छिडक़ाव करने से भूमि के पोषक तत्वों में भी बढ़ोतरी होती है। पौधों की बढ़वार के लिए डीएपी के प्रयोग की सलाह दी जाती है। वहीं एसएसपी के प्रयोग से भूमि में पोषक तत्वों की बढ़ोतरी होती है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है और फसल उत्पादन बेहतर होता है। बता दें कि यूरिया का अधिक मात्रा में प्रयोग भूमि की उर्वरा क्षमता को कम करता है। इसलिए यूरिया में मिलाकर डीएपी और एसएसपी को मिलाकर प्रयोग करने की सलाह किसानों को दी जाती है।
डीएपी : डीएपी का पूरा नाम डाइअमोनिया फास्फेट होता है। यह एक दानेदार उर्वरक है। इस उर्वरक में आधे से ज्यादा हिस्सा फास्फोरस युक्त होता है जो पानी में पूरी तरह से घुलनशील नहीं होता है। इस उर्वरक का मुख्य उपयोग पौधों को जड़ों की विकास कराने में किया जाता है।
एनपीके : एनपीके उर्वरक में नाईट्रोजन, फास्फोरसतथा पोटेशियम तीनों मौजूद रहता है। यह दानेदार उर्वरक होता है। इस उर्वरक का प्रयोग पौधे के विकास तथा मजबूती के लिए किया जाता है साथ ही पौधे से फल को गिरने से बचाया जाता है।
एसएसपी : एसएसपी एक फॉस्फोरस युक्त उर्वरक है, जिसमें 16 प्रतिशत फॉस्फोरस और 11 प्रतिशत सल्फर की मात्रा पाई जाती है। इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण यह उर्वरक तिलहनी और दलहनी फसलों के लिए अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक फायदेमंद है। यह उर्वरक दिखने में सख्त और दानेदार उर्वरक होता है। इस रंग काला, भूरा बदामी रंगों युक्त होता है। यह नाखुनों से आसानी से नहीं टूटने वाला उर्वरक है। यह उर्वरक बीजों और फलों के विकास में सहायक है।
अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।