Posted On - 08 Sep 2020
इस साल हरियाणा और पंजाब में कपास की फसल को काफी नुकसान हुआ है। इससे हरियाणा में किसानों की फसल को 70 से लेकर 100 फीसदी तक बर्बाद हो गई। इसे लेकर हरियाणा सरकार ने जिन किसानों की कपास की फसल खराब हुई है उन्हें मुआवजा देने की घोषणा की है। किसानों की इस समस्या को लेकर कई संगठनों ने सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया था और किसानों की पीड़ा बताई थी।
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वहीं कई संंगठनों ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी भी दी थी। इन सबके बीच हरियाणा सरकार ने किसानों की समस्या को समझते हुए किसानों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया और किसानों को राहत पहुंचाने की बात करते हुए कपास की फसल में हुए नुकसान का मुआवाजा देने की घोषणा की। बता दें कि पिछले दिनों हरियाणा में 40,000 से अधिक हेक्टेयर और पंजाब में 20,000 हेक्टेयर में, कपास की फसल बैक्टीरियल ब्लाइट, एक फंगल और बैक्टीरियल बीमारी से प्रभावित है। वहीं कपास की फसल को सफेद मक्खी की समस्या ने भी काफी हानि पहुंचाई जिससे कई किसानों की फसल तो पूरी तरह बर्बाद हो गई।
किसानों को कपास की खेती में हुए नुकसान का मुआवजा देने के संबंध में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने मीडिया को बताया कि ऐसे सभी कपास उत्पादकों, चाहे वह ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के तहत पंजीकृत हैं या नहीं, सभी को हरियाणा सरकार मुआवजा देगी। उन्होंने कहा कि हमने राजस्व विभाग से अनुरोध किया गया था कि वे उन कपास उत्पादकों के खेतों में समयबद्ध तरीके से विशेष गिरदावरी करें, जिन्होंने फसल बीमा योजना के तहत पंजीकरण नहीं कराया है।
जिन लोगों ने योजना के तहत पंजीकरण कराया है उनको फसल कटाई प्रयोगों के दौरान नुकसान के आकलन के आधार पर मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों को व्यक्तिगत रूप से आवेदन करने की जरूरत नहीं है क्योंकि नुकसान का आकलन ग्राम स्तर पर किया जाएगा।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने मीडिया को बताया कि सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, जींद और भिवानी जिलों में सफेद मक्खी के हमलों की रिपोर्ट के बाद विभाग ने कपास उत्पादकों को उनकी फसलों पर दो या इससे अधिक कीटनाशकों के मिश्रण का उपयोग करने के प्रति आगाह किया था। इसके बजाय किसानों को सफेद मक्खी और पैराविल्ट से निपटने के लिए नीम-आधारित उपचार का उपयोग करने और फसल की निगरानी करने की विशेष तौर पर सिंचाई या बारिश के बाद सलाह दी जाती है। उन्होंने कहा कि कीटनाशकों के सही तरीके से उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रभावित जिलों में एक जागरूकता अभियान भी शुरू किया गया है।
किसानों के लिए सफेद सोना कही जाने वाली कपास की फसल 90 प्रतिशत खराब हो गई है। इस बार कपास की फसल पर सफेद मक्खी, हरा तेला, उखेड़ा रोग ने फसल को पूरी तरह से बरबाद कर दिया है, जिसकी वजह से किसानों की की पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया है। सबसे ज्यादा दादरी जिले में कपास की अधिकांश फसल को विभिन्न रोगों ने बर्बाद कर दिया है। कृषि विभाग की रिपोर्ट की मानें तो दादरी जिले में 87 हजार 500 एकड़ में कपास की फसल की बिजाई की गई है. इस समय सफेद मक्खी, हरा तेला, उखेड़ा रोग व अन्य बिमारियों ने कपास की 60 हजार एकड़ में 75 से 100 प्रतिशत नुकसान किया है। वहीं करीब साढ़े 12 हजार एकड़ कपास की फसल 50 से 75 फीसदी से बर्बाद हुई है।
कपास की फसल खराब होने से किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। किसानों ने बताया कि कृषि विभाग के अधिकारियों ने दवाएँ खेतों में डलवा दी है। लेकिन उसके बाद भी कपास की फसल बर्बाद होने से नहीं रुक रही है। किसानों ने कहा कि मार्च माह में भी ओलावृष्टि व बारिश के कारण उनकी फसल बर्बाद हो गई थी। अब सफेद मक्खी, हरा तेला, उखेड़ा आदि रोग के कारण कपास की फसल भी पूरी तरह नष्ट हो चुकी है जिसकी वजह से उनके सामने रोटी खाने के साथ परिवार का निर्वाह करने का संकट खड़ा हो गया है।
पूर्व मंत्री व जजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सतपाल सांगवान ने मीडिया को बताया कि उन्होंने जिले में गांवों का दौरा कर कपास की फसल का जायजा लिया है। इस बार कपास की फसल में भारी नुकसान हुआ है। इधर कृषि अधिकारी जितेन्द्र सिंह का कहना है कि जिले में करीब 90 प्रतिशत कपास की फसल 100 फीसदी तक खराब हुई है। कपास की फसल में नुकसान का आकलन के लिए विभाग द्वारा रिपोर्ट तैयार की जा रही है जो उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।
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