प्रकाशित - 04 Dec 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
आलू की डिमांड बाजार में पूरे साल रहती है। हर सब्जी के साथ आलू का इस्तेमाल करके बनाया जा सकता है। आलू से तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। आलू का उपयोग अन्य सभी सब्जियों से अधिक होता है। ऐसे में आलू की खेती (Potato Cultivation) किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकती है। कई किसान तो ऐसे हैं कि वे अपने खेत में आलू की फसल को प्राथमिकता से उगाते हैं। इसके साथ अन्य सब्जियों को उगाकर भी अपनी आय में बढ़ोतरी कर रहे हैं।
आलू की कीमत की बात करें तो इस समय मार्केट आलू की कीमत (Price of Potatoes) बेहतर मिल जाती है। त्योहारी व शादियों के सीजन में तो इसकी डिमांड काफी होने से इसके काफी अच्छे भाव मिल जाते हैं। ऐसे में किसानों के लिए आलू की खेती लाभ का सौदा सिद्ध हो रही है।
यदि आप किसान है और आलू की खेती करना चाहते हैं और इससे अधिक पैदावार प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको इसकी खेती के दौरान 5 प्रमुख बातों या टिप्स की ओर ध्यान देना चाहिए।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको आलू की खेती के 5 खास टिप्स बता रहे हैं जो आलू की बेहतर पैदावार देने में सहायक होंगे, तो आइए जानते हैं, इसके बारे में।
आलू की बुवाई के लिए किसानों को रोगमुक्त बीजों का चयन करना चाहिए। इसके लिए आलू की सर्वश्रेष्ठ किस्म का चुनाव करना चाहिए। आलू की बुवाई के लिए प्रमाणिक बीज का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि प्रमाणिक बीजों में रोग लगने की संभावना कम होती है। इससे आपको आलू की अधिक पैदावार प्राप्त करने में सहायता मिलती है। आलू की अच्छी किस्मों के प्रमाणिक बीज आप प्रमाणिक संस्थान या सरकारी लाइसेंसधारी दुकान से खरीद सकते हैं। बुवाई से पहले बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए।
वैसे तो आलू की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है, लेकिन इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली हल्की बलुई दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त रहती है। खेत में पोषक तत्वों की कमी की जांच कराने के लिए आपको मिट्टी की जांच करनी चाहिए और उसके अनुसार
जिस पोषक तत्व की कमी भूमि में हो, उसका उपचार करना चाहिए। आप अपने निकटतम कृषि विभाग के जरिये सॉयल हेल्थ कार्ड बनवा सकते हैं।
आलू की बुवाई से पहले खेत को जुताई करके तैयार कर लें, इसके बाद 15 से 20 टन प्रति हैक्टेयर दो से तीन दिन पुरानी गोबर की खाद का उपयोग करें। खेत में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का छिड़काव करें। यह तीनों तत्व आलू के पौधों के विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। नाइट्रोजन तत्व पौधों की हरी पत्तियों और तनों के विकास में सहायक होता है। वहीं फास्फोरस पौधे की जड़ों को मजबूती देता है। पोटाश कंदों की क्वालिटी और उत्पादन बढ़ाने में सहायक है। इस तरह इन तीनों उर्वरकों का निर्धारित मात्रा में छिड़काव करके आप अपनी आलू की फसल से स्वस्थ उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
आलू की फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए सिंचाई का ध्यान रखना चाहिए। आपको पता होना चाहिए कि आलू की फसल की कब-कब सिंचाई की जानी है। आलू के बीजों की बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए। आलू के कंद के विकास के लिए मिट्टी में नमी होनी जरूरी है, ऐसे में समय-समय पर आवश्यकतानुसार आलू की फसल की सिंचाई करनी चाहिए। लेकिन बुवाई के 30 से 45 दिन के बाद इसकी सिंचाई कम करें, क्योंकि इस समय कंद आकार लेने लगते हैं और अधिक पानी से इनके सड़ने की संभावना बनी रहती है। आलू की सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। इस तकनीक से आप मिट्टी की नमी को बनाए रख सकते हैं और दूसरा पानी की बर्बादी को भी रोक सकते हैं यानी कम पानी में फसल की सिंचाई कर सकते हैं।
आलू की बुवाई के बाद शुरुआती 30 से 45 दिन इसकी फसल के विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में इस दौरान इसकी फसल को सही पोषण और पर्याप्त पानी की जरूरत होती है। इस दौरान इसके पौधों पर कीट व रोगों का हमला भी होने की संभावना रहती है। ऐसे में किसान को चाहिए कि वे अपनी आलू की फसल में कीट-रोगों की निगरानी करें और समस्या बढ़ने से पहले ही इसके नियंत्रण के उपाय करें। कीट-रोग नियंत्रण के संबंध में अधिक जानकारी के लिए किसान अपने निकटतम कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों वीएसटी ट्रैक्टर, महिंद्रा ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।
अगर आप नए ट्रैक्टर, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।