प्रकाशित - 08 Apr 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
Papaya Cultivation: अप्रैल के महीने में किसान पपीते की खेती (Papaya cultivation) से काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। उत्तरी भारत में अप्रैल व मई का महीना पपीते की खेती के लिए काफी अच्छा माना जाता है। ऐसे में किसान इस माह पपीते की खेती कर सकते हैं। पपीते की खेती की खास बात यह है कि इसे कम पानी और देखभाल की आवश्यकता होती है और इससे मुनाफा कहीं ज्यादा मिल सकता है। इसकी बाजार मांग भी काफी अच्छी होने से किसानों के लिए इसकी खेती मुनाफे का सौदा साबित हो रही है।
पपीता एक ऐसा फल हैं जिसे सलाद के रूप में भी खाया जाता है। इससे इसका ज्यूस लिया जाता है। इसकी सब्जी, जैम व आचार बनाकर भी उपयोग किया जाता है। इसका सेवन हमारे शरीर के लिए भी फायदेमंद हैं। ये पाचन क्रिया को सुधारने और कब्ज की समस्या को दूर करने में सहायक है। इसका सेवन पेट, लीवर और हृदय संबंधी बीमारियों में लाभकारी माना गया है। पपीता की खेती में शुरुआती लागत अधिक आती है लेकिन एक बार इसका पौधा लगने के बाद इसके पेड़ से आप लगातार 2 साल तक फल प्राप्त कर सकते हैं। यानी एक बार इसे लगाकर आप दो साल तक इससे कमाई कर सकते हैं। इसकी खेती के लिए सरकार की ओर से भी सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको पपीते की खेती में अधिक पैदावार और मुनाफा प्राप्त करने के टॉप 5 टिप्स की जानकारी दे रहे हैं, तो आइए जानते हैं, इसके बारे में।
पपीते की बहुत सी अच्छी किस्में आती है जो काफी अच्छा उत्पादन दे सकती है। इन किस्मों में पूसा नन्हा, सूर्या, पूसा जायंट, पूसा डेलिशियस, पूसा मेजेस्टी, रेड लेडी 786, सीओ–5 व सीओ 2 शामिल हैं। किसान पपीते की इन किस्मों का चयन कर सकते हैं
पपीते को मुख्य खेत में लगाने से पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है। नर्सरी तैयार करने के लिए पहले खेत की जुताई करके खरपतवार को खत्म करना चाहिए। इसके बाद क्यारियां बनाएं, इनके बीच की दूरी करीब 3 से 4 इंच रखें। बीज की बुवाई से पहले क्यारी को 10 प्रतिशत फार्मेल्डिहाइड के घोल से उपचारित करें। अब इन क्यारियों में 4 से 5 सेंटीमीटर की दूरी पर बीजों की बुवाई करें। बुवाई से पहले बीजों को 3 केप्टान से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। अब शोधन किए बीज को छाया में सूखाने के बाद आधा सेंटीमीटर की गहराई और एक इंच की दूरी पर बोना चाहिए। इसके बाद हर 2 से 3 दिन बाद फव्वारा सिंचाई विधि का उपयोग करके इसकी सिंचाई करनी चाहिए। पौधों की लंबाई जब 20 से 25 सेंटीमीटर हो जाए तब उसे मुख्य खेत में बनाए गए गड्ढ़ों में रोपित करना चाहिए।
पपीते की रोपाई के लिए से पहले खेत में प्रति एकड़ 12 ट्रॉली गोबर की खाद डालकर खेत की अच्छे से ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, रोटावेटर आदि जुताई यंत्र की सहायता से जुताई करें। इसके बाद लेजर लैंड लेवलर मशीन की सहायता से उसे समतल कर लेना चाहिए ताकि खेत में पानी ठहराव नहीं हो। अब 5 फीट चौड़ी क्यारियां बनाकर उसमें 50X50X50 सेमी के गड्ढे 1.5 X1.5 मीटर की दूरी पर तैयार करें। इन गड्ढों में 30 ग्राम बी.एच.सी. 10 प्रतिशत डस्ट मिला दें। अब इन गड्ढों को 15 दिन के लिए खुला छोड़ दें।
पपीते के स्वस्थ व रोगमुक्त पौधे जब 6 से 8 इंच तक बड़े हो जाए और उनमें 3 से 4 पत्ते आ गए हो तब मूल खेत में बनाए गए गड्ढों में इनका रोपण करना चाहिए। पौधों के बीच की दूरी 1.8 मीटर रखें ताकि उन्हें पर्याप्त जगह मिल सके। रोपाई के बाद गड्ढों को ढक दें ताकि पानी तने से नहीं लगे। रोपाई सुबह व शाम के समय ही करनी चाहिए ताकि पौधों पर तापमान का विपरीत असर नहीं पड़े। पौधे लगाने के बाद गड्ढे की मिट्टी, सड़ी गोबर की खाद और एक किलोग्राम नीम खली से भर देना चाहिए। इससे पौधे की ग्रोथ अच्छी होती है।
गड्ढे की भराई के बाद इसकी सिंचाई कर देनी चाहिए। जब पौधे अच्छी तरह पनप जाए तब तक प्रतिदिन दोपहर बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए। हर पौधे को हर साल एक बार 20–25 किलो गोबर की खाद देनी चाहिए। वहीं सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक सल्फेट 0.5 प्रतिशत और बोरेक्स 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करना चाहिए। पपीते के पौधों की गर्मी में हफ्ते में दो से तीन बार आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए। वहीं सर्दियों के मौसम में 7 से 10 दिन में एक बार सिंचाई की जा सकती है।
पपीते की रोपाई के करीब 9 से 10 माह बाद इसकी पहली तुड़ाई की जा सकती है। इसके बाद दो साल तक इसका पेड़ आपको फल देता रहेगा। इसके एक पेड़ से आपको 80 किलोग्राम से लेकर 1.5 क्विंटल तक फल प्राप्त हो सकते हैं। यदि बात करें पपीते की खेती से कमाई की तो इसकी उन्नत किस्मों व उचित तरीके से देखभाल से लाखों रुपए कमा सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक एक एकड़ में 700–750 पपीते के पौधे लगाए जा सकते हैं जिसमें करीब 1.5 लाख रुपए की लागत आती है। इन पौधों से दो साल में करीब 10 से 12 लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।
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