किसानों को आधुनिक एवं वैज्ञानिक खेती में सरकार से मिलेगी मदद

Share Product Published - 10 Jul 2020 by Tractor Junction

किसानों को आधुनिक एवं वैज्ञानिक खेती में सरकार से मिलेगी मदद

किसानों को आधुनिक व वैज्ञानिक खेती करने में मदद करेंगे यह केंद्र

गांव-गांव तक किसानों को आधुनिक व वैज्ञानिक खेती बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार अब नए कृषि विज्ञान केंद्र खोलने में जुट गई है ताकि किसानों को हर संभव मदद उपलब्ध करा कर उत्पादन में बढ़ोतरी करने के साथ ही उनकी आय को भी बढ़ाया जा सके। हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया को बताया कि जल्द ही प्रयागराज, रायबरेली व आजमगढ़ में कृषि विज्ञान केंद्र खोले जाएंगे। इसके अलावा एक कृषि विज्ञान केंद्र मुरादाबाद में भी खोलने का प्रस्ताव है। तोमर ने बताया कि वर्तमान में उत्तरप्रदेश में 86 कृषि विज्ञान केंद्र हैं। यहां 20 कृषि विज्ञान केंद्र खोलने की स्वीकृति दी गई थी, जिनमें से 17 केंद्र खोले जा चुके हैं और शेष तीन भी जल्द ही खुल जाएंगे। एक केंद्र मुरादाबाद में भी खोला जाएगा। 

 

क्या है कृषि विज्ञान केंद्र

वर्तमान में देश भर में इस समय 720 कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) हैं, जिसका काम किसानों को नई-नई जानकारी से परिचित कराना है। अनुसंधान और प्रशिक्षण से अवगत कराना है। आमतौर पर एक स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय के साथ जुड़े, ये केंद्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और किसानों के बीच अंतिम कड़ी के रूप में काम करते हैं, और कृषि अनुसंधान को व्यावहारिक, स्थानीय सेटिंग में लागू करने का लक्ष्य रखते हैं। सभी केवीके पूरे भारत में 11 कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थानों में से एक के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

 

इन केंद्रों से किसानों को क्या फायदा

देश भर में 720 केवीके केंद्रों के साथ ही इसी तरह 151 क्लाइमेट स्मार्ट विलेज बनाए गए हैं, जो विभिन्न परिस्थितियों के लिए तकनीकी मॉडल प्रस्तुत कर रहे हैं। केवीके द्वारा हर साल लगभग 15 लाख किसानों व युवाओं को खेती-किसानी से जुड़ा प्रशिक्षण देने का काम भी किया जा रहा है। इससे किसान के साथ ही नवयुवक भी प्रशिक्षण प्राप्त कर आधुनिक व वैज्ञानिक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं। 

 

लघु और सीमांत किसानों को तक और बढ़ेगी इन केंद्रों की पहुंच

सरकार का मानना है कि देश में 86 प्रतिशत लघु और सीमांत किसान हैं, जिनकी सरकारी योजनाओं, कार्यक्रमों और सुविधाओं तक पहुंच बढऩी चाहिए जिससे उन्हें नई-नई तकनीकी जानकारी से परिचित कराया जा सके। इस काम में केवीके अहम  भूमिका निभाते हैं। इन केंदों का काम नई-नई जानकारी से परिचित कराना, अनुसंधान और प्रशिक्षण से अवगत कराना है। 

 

 

कृषि विज्ञान केंद्र की यह हैं जिम्मेदारियां

ऑन-फ़ार्म टेस्टिंग :  प्रत्येक केवीके नई तकनीकों का परीक्षण करने के लिए एक छोटा खेत संचालित करता है, जैसे कि बीज की किस्में या नवीन कृषि पद्धतियां, जिन्हें आईसीएआर संस्थानों द्वारा विकसित किया गया है। इससे किसानों को हस्तांतरित होने से पहले नई तकनीकों का स्थानीय स्तर पर परीक्षण किया जा सकता है।

फ्रंट लाइन प्रदर्शन : केवीके के खेत और आस-पास के गांवों के साथ निकटता के कारण, यह किसान क्षेत्रों पर नई प्रौद्योगिकियों की प्रभावकारिता दिखाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
क्षमता निर्माण : नई तकनीक का प्रदर्शन कर किसानों को उसकी जानकारी व तकनीकी विषय का ज्ञान कराना।

 

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