किसान संगठित होकर बनाएं एफपीओ, सरकार से मिलेगी 15 लाख की मदद

Share Product Published - 28 Oct 2020 by Tractor Junction

किसान संगठित होकर बनाएं एफपीओ, सरकार से मिलेगी 15 लाख की मदद

जानें, क्या है एफपीओ और उसकी शर्तें और नियम

केंद्र सरकार के निर्देशानुसार प्रत्येक राज्य में एफपीओ यानि किसान उत्पादक संगठन बनाए जा रहे हैं। मोदी सरकार की मंशा के अनुसार साल 2024 तक देश में करीब 10 हजार एफपीओ जाने प्रस्तावित हैं। बता दें कि केंद्र सरकार ने अच्छे रेटिंग वाले प्रत्येक एफपीओ को तीन साल में 15-15 लाख रुपए की मदद देने का ऐलान किया हुआ है। इस दिशा में हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा दिया गया टारगेट पूरा करते हुए राज्य में 500 एफपीओ बनाए हैं। 

इस संबंध में प्रदेश के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने मीडिया को बताया कि एफपीओ एक ऐसी व्यवस्था है जो किसानों से फल, सब्जी, फूल, मछली व बागवानी से संबंधित फसलों को खरीदकर सीधे कंपनियों को बेचा जाता है। इसमें किसान जुड़े होते हैं और उन्हें अधिक आय प्राप्त होती है। इन एफपीओ से अब तक प्रदेश के लगभग 80,000 किसान जुडक़र लाभ प्राप्त कर रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा एफपीओ का ग्रेडेशन करने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। अब शानदार कार्य करने वाले एफपीओ को स्टार रेटिंग भी दी जाएगी। प्रदेश के 90 एफपीओ ऐसे हैं जिन्होंने अपने कार्यालय भी स्थापित कर लिए हैं।

 

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क्या है एफपीओ  / किसान उत्पादक समूह ? 

किसान उत्पादक संगठन, असल में यह किसानों का एक समूह होता है, जो वास्तव में कृषि उत्पादन कार्य में लगा हो और कृषि व्यावसायिक गतिविधियां चलाने में एक जैसी धारणा रखते हो, एक गांव या फिर कई गांवों के किसान मिलकर भी यह समूह बना सकते हैं। यह समूह बनाकर संगत कंपनी अधिनियम के तहत एक किसान उत्पादक कंपनी के तौर पर पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं। किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से जहां किसान को अपनी पैदावार के सही दाम मिलते हैं, वहीं खरीदार को भी उचित कीमत पर वस्तु मिलती है। वहीं यदि अकेला उत्पादक अपनी पैदावार बेचने जाता है, तो उसका मुनाफा बिचौलियों को मिलता है। एफपीओ सिस्टम में किसान को उसके उत्पाद के भाव अच्छे मिलते हैं, उत्पाद की बर्बादी कम होती है, अलग-अलग लोगों के अनुभवों का फायदा मिलता है।

 


यह शर्तें पूरी करने पर मिलेगी 15 लाख रुपए की सहायता

मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य विनोद आनंद ने बताया कि सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने एफपीओ बनाने के लिए जाने माने अर्थशास्त्री डॉ. वाईके अलघ के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई थी। इसके तहत कम से 11 किसान संगठित होकर अपनी एग्रीकल्चर कंपनी या संगठन बना सकते हैं। अगर संगठन मैदानी क्षेत्र में काम कर रहा है तो कम से कम 300 किसान उससे जुड़े होने चाहिए। यानी एक बोर्ड मेंबर पर कम से कम 30 लोग सामान्य सदस्य होना जरूरी है। पहले यह संख्या 1000 थी। वहीं पहाड़ी क्षेत्र में एक कंपनी के साथ 100 किसानों का जुडऩा जरूरी है। उन्हें कंपनी का फायदा मिल रहा हो। नाबार्ड कंस्ल्टेंसी सर्विसेज आपकी कंपनी का काम देखकर रेटिंग करेगी, उसके आधार पर ही ग्रांट मिलेगी। इसके अलावा बिजनेस प्लान देखा जाएगा कि कंपनी किस किसानों को फायदा दे पा रही है। वो किसानों के उत्पाद का मार्केट उपलब्ध करवा पा रही है या नहीं। कंपनी का गवर्नेंस कैसा है। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर कागजी हैं या वो काम कर रहे हैं। वो किसानों की बाजार में पहुंच आसान बनाने के लिए काम कर रहा है या नहीं। अगर कोई कंपनी अपने से जुड़े किसानों की जरूरत की चीजें जैसे बीज, खाद और दवाइयों आदि की कलेक्टिव खरीद कर रही है तो उसकी रेटिंग अच्छी हो सकती है। क्योंकि ऐसा करने पर किसान को सस्ता सामान मिलेगा।


एफपीओ से किसानों को क्या होगा लाभ

  • यह एक सशक्तिशील संगठन होने के कारण एफपीओ के सदस्य के रूप में किसानों को बेहतर सौदेबाजी करने की शक्ति देगी जिसे उन्हें जिंसों को प्रतिस्पर्धा मूल्यों पर खरीदने या बेचने का उचित लाभ मिल सकेगा।
  • बेहतर विपणन सुअवसरों के लिए कृषि उत्पादों का एकत्रीकरण। बहुलता में व्यापार करने से प्रसंस्करण, भंडारण, परिवहन इत्यादि मदों में होने वाले संयुक्तखर्चों से किसानों को बचत होगी।
  • एफपीओ मूल्य संवर्धन के लिए छंटाई/ग्रेडिंग, पैकिंग, प्राथमिक प्रसंस्करण इत्यादि जैसे गतिविधियां शुरू कर सकता है जिससे किसानों के उत्पादन को उच्चतर मूल्य मिल सकता है।
  • एफपीओ के गठन से ग्रीन हाउस, कृषि मशीनीकरण, शीत भंडारण, कृषि प्रसंस्करण इत्यादि जैसे कटाई पूर्व और कटाई बाद संसाधनों के उपयोग में सुविधा रहेगी।
  • एफपीओ आदान भंडारों, कस्टम केन्द्रों इत्यादि को शुरू कर अपनी व्यवसायिक गतिविधियों को विस्तारित कर सकते हैं। जिससे इसके सदस्य किसान आदानों और सेवाओं का उपयोग रियायती दरों पर ले सकते हैं।


एफपीओ किसान उत्पादक संगठन के गठन के लिए कहां से मिलेगी मदद

एफपीओ का गठन और बढ़ावा देने के लिए आप तीन संस्थाओं से मदद ले सकते हैं। इनमें लघु कृषक कृषि व्यापार संघ, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक व राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम शामिल हैं। एफपीओ गठित करने के इच्छुक किसानों को विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित विभाग/ लघु कृषक कृषि व्यवसाय संगठन के निदेशक ( ई- मेल: sfac@nic.in) से संपर्क कर सकते हैं।


एफपीओ के लिए कैसे करा सकते हैं ऑनलाइन पंजीकरण / किसान उत्पादक संगठन पंजीकरण

  • पंजीकरण के लिए सबसे पहले http://www.upagriculture.com पर जाएं और पंजीकरण लिंक पर क्लिक करें।
  • एक नया पेज खुलेगा जिसमें आपको ऑनलाइन पंजीकरण लिंक पर क्लिक करें।
  • अब आपके सामने एक फार्म खुलेगा, जिसमें मांगी गई सभी जानकारी भरें।
  • सभी जानकारी पूरी तरह भरने के बाद सबमिट बटन पर क्लिक कर दें।
  • इस प्रकार आपका पंजीकरण हो जाएगा। यदि आप अपनी रिपोर्ट देखना चाहते है तो पंजीकरण रिपोर्ट लिंक पर क्लिक कर देख सकते है।

 

 

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