Published - 14 Oct 2021
by Tractor Junction
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ की ओर से विशिष्ट गुणों वाली धान सहित अन्य फसलों की बेहतर उत्पादन देने वाली आठ नई किस्मों को जारी किया गया है। इन किस्मों में धान की बौनी विष्णुभोग, बौनी सोनागाठी, छत्तीसगढ़ धान-1919, छत्तीसगढ़ तेजस्वी धान जारी की गई है। इसके अलावा विश्वविद्यालय की ओर से मक्के की सी.जी. अगेती संकर मक्का, सोयाबीन की छत्तीसगढ़ सोयाबीन-1115, करायत की सी.जी. करायत-1 तथा गूसबेरी की सी.जी. केप गूसबेरी-1 प्रजातियां शामिल हैं।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की आर.एल. रिछारिया प्रयोगशाला में धान की 24 हजार 750 पारंपरिक प्रजातियों एवं अन्य फसलों की 6 हजार 125 प्रजातियों के जनन द्रव्य संग्रहण हेतु निर्मित अक्ती जैवविविधता संग्रहालय का गत दिवस उद्घाटन किया गया है। इस दौरानविश्वविद्यालय की ओर से जो गतिविधियां संचालित की गई वे इस प्रकार से हैं-
इसी कड़ी में पिछले महीने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राज्य और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों में विकसित 35 नई फसल किस्में जारी की थी। इनमें चना की सूखा-सहिष्णु किस्म, विल्ट और बांझपन मोज़ेक प्रतिरोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म, चावल की रोग प्रतिरोधी किस्में और गेहूं की जैव-फोर्टिफाइड किस्में, बाजरा, मक्का और चना सहित दलहनी फसलोंं की बीन और फैबा बीन किस्में शामिल की गई थी। जिसे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को समर्पित किया था। किसानों के लाभार्थ हम इनमें से प्रमुख फसलों की किस्मों की जानकारी दे रहे हैं और इसकी विशेषताएं भी आपको बता रहे हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राज्य और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों में विकसित गेहूं की अधिक उत्पादन देने वाली छह किस्में जारी की गई जो इस प्रकार से हैं-
1. गेहूं डीबीडब्ल्यू 332
2. गेहूं डीबीडब्ल्यू 327
3. गेहूं एचआई 1636
4. गेहूं एचयूडब्ल्यू 838
5. गेहूं एमपी (जेडब्ल्यू) 1358
6. गेहूं एचआई 8123
गेहूं की इन किस्मों की विशेषता ये हैं कि ये किस्में रोग प्रतिरोधक किस्में है। इसके अलावा इसमेें प्रोटीन, आयरन और जिंक से भरपूर मात्रा पाई जाती है जो स्वास्थ्य के लिहाज से भी अच्छी है।
1. धान पूसा बासमती 1979
2. धान पूसा बासमती 1985
3. धान पूसा बासमती 1886
4. धान पूसा बासमती 1847
5. धान पूसा बासमती 1885
6. धान डीआरआर धान 58
7. धान डीआरआर धान 59
8. धान डीआरआर धान 60
धान की नई किस्में रोग-प्रतिरोधी हैं। इनमें से धान की पूसा बासमती 1886, पूसा बासमती 1847 और पूसा बासमती 1885 किस्में बैक्टीरियल ब्लाइट रोग प्रतिरोधी हैं। बता दें कि धान में लगने वाला बैक्टीरियल ब्लाइट रोग से ग्रस्त पौधों की पत्तियां पीली पडऩे लग जाती हैं तथा सूखने लगती हैं। जिससे पौधों का विकास रुक जाता है तथा बालियां नहीं निकल पाती हैं। पौधे झुलस जाते हैं।
1. मक्का पूसा एचक्यूपीएम-1 इम्प्रूव्ड (एपीक्यूएच-1)
2. मक्का पूसा बायोफोर्टीफाइड मक्का हाईब्रिड 1 (एपीएच-1)
3. मक्का पूसा एचएम 4 मेल स्टेराइल बेबीकार्न (एबीएसएच4-1)
मक्का की ये तीनों किस्में अच्छी पैदावार देने वाली किस्में हैं। इसी के साथ ये किस्में रोग प्रतिरोधी होने के साथ ही अच्छी गुणवत्ता वाली किस्में बताई जा रही हैं।
1. चना पूसा चना 4005
2. चना आईपीसीएमबी 19-3 (समृद्धि)
चने की यह दोनों ही किस्में सूखा सहिष्णु वाली किस्में हैं। यानि सूखा ग्रस्त इलाकों के में भी इसे उगाया जा सकता है। इसमें से पूसा चना 4005 किस्म सूखा सहिष्णु होने के साथ ही उच्च उपज रोग प्रतिरोध क्षमता वाली किस्म बताई गई है।
1. सोयाबीन एनआरसी 138
2. सोयाबीन केबीव्हीएस 1 (करूने)
3. सोयाबीन एनआरसी 142
सोयाबीन की ये किस्में अधिक पैदावार देने वाली किस्में हैं। इनमें से सोयाबीन एनआरसी 138 किस्म कम समय में तैयार होने वाली बताई गई है। ये किस्म यांत्रिक कटाई के लिए उपयुक्त बताई जा रही है।
1. बाजरा पीबी 1877
2. बाजरा एचएचबी 67 इम्प्रूव्ड 2
बाजरा की इन दो नई किस्में रोग प्रतिरोधी होने के साथ ही अधिक उपज देने वाली किस्म बताई जा रही है। इसमेें से बाजरा की संकर एचएचबी 67 किस्में ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ की अवधारणा पर विकसित की गई है।
1. ज्वार जैसर रसीला-सीएसवी 49 एसएस (एसपीवी 2600)
2. ज्वार सीएसएस 47 (एसपीजी 1798)
ज्वार की ये नई किस्में अधिक उत्पादन देने में समक्ष हैं। ये कीटरोधी और रोग प्रतिरोधी किस्में बताई जा रही हैं। इसी के साथ इन किस्मों को जलवायु परिवर्तन केे हिसाब से अच्छा बताया जा रहा है।
1. सरसों पूसा डबल जीरो सरसों 31
2. सरसों आरसीएच 1
सरसों की ये नई किस्में अच्छी पैदावार देने के साथ ही रोग प्रतिरोधी किस्में बताई जा रही हैं। इन किस्मों में बीमारियां कम लगती है और उत्पादन भी ज्यादा मिलता है। मानव स्वास्थ्य के हिसाब से भी ये किस्में अच्छी बताई जा रही है। इन किस्मों में तेल की अधिक मात्रा प्राप्त की जा सकती है। जलवायु परिवर्तन के लिहाज से भी इसे अच्छा बताया गया है।
1. अरहर आईपीएस 15-3
2. अरहर आईपीएस 09-5
दलहन फसलों में अरहर प्रमुख फसल मानी गई है। इसकी उपरोक्त दोनों किस्में रोगों व कीट प्रतिरोधी किस्में है। इनमें बीमारियों लगने की संभावना बहुत कम होती है। इसके अलावा ये जलवायु परिर्तन के इस दौर में सफल साबित हो सकती है। ये मानव स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहतर बताई गईं हैं।
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