प्रकाशित - 17 Mar 2023
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
भारत के किसान पारंपरिक फसलों की खेती करने के साथ-साथ अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की मुनाफे वाले फसलों की खेती कर रहे है। सरकार भी व्यापारिक फसलों की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित करती रहती है। इसी कड़ी में आज हम ऐसी ही एक व्यापारिक फसल चिया सीड्स की खेती की बात करेंगे। किसान चिया सीड्स की खेती करके अच्छा लाभ व मुनाफा कमा सकते हैं। चिया सीड्स एक प्रकार का सुपर फूड है। भारत में सुपर फूड्स (Super Foods) की मांग और खपत में लगातार वृद्धि हो रही है, साथ ही विदेशी बाजारों में भी चिया सीड्स की मांग भी बढ़ रही हैं। शुरुआत में चिया सीड्स की खेती सिर्फ अमेरिका में की जाती थी, लेकिन सेहत और खेती के नजरिये से इसके लाभ को समझते हुए अब भारत के कई क्षेत्रों में चिया सीड्स की खेती (Chia Seeds Farming) सफलतापूर्वक की जा रही है।
किसान भाइयों आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से आपके साथ चिया सीड्स की खेती से जुड़ी सभी जानकारी साझा करेंगे।
चिया के बीजों में विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण पाएं जाते हैं। चिया सीड्स में ओमेगा फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त चिया सीड्स में फाइबर, कैल्शियम, प्रोटीन और अनेक मिनरल्स जैसे पोषक तत्व मौजूद होते है। इस वजह से चिया सीड्स का सेवन शरीर व दिल को बीमारियों से लड़ने के लिए शक्ति प्रदान करता है। चिया सीड्स स्वास्थ के लिए अधिक लाभकारी होते है, विदेशों में इसे सुपर फ़ूड की संज्ञा भी मिली हुई है।
चिया सीड्स की खेती करने के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है, लेकिन ठंडी जलवायु वाले पहाड़ी क्षेत्रों में चिया की खेती नहीं की जा सकती है। इसके अलावा देश के सभी क्षेत्रों में चिया की खेती कर सकते है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार चिया सीड्स की खेती किसी भी भूमि में की जा सकती है, लेकिन हल्की भुरभुरी और उचित जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी को इसके अधिक उत्पादन के लिए उपयुक्त माना जाता है।
चिया सीड्स के बीजों की बुवाई खेत में करने के लिए छिड़काव विधि का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसकी बुवाई लाइनों में करना अधिक उपयुक्त होता है। यदि खेत में इसकी बुवाई के समय नमी की मात्रा कम है, तो हल्की सिंचाई करके खेत को बुवाई के लिए तैयार किया जाता है। इसकी बीजों की बुवाई 30 सेंटीमीटर की दूरी पर 1.5 सेमी की गहराई में की जाती है, इससे इसके बीज के अंकुरण होने में आसानी होती है। चिया सीड्स के एक एकड़ के खेत में तक़रीबन 1 से 1.5 किलोग्राम चिया के बीजों को लगाया जा सकता है।
इन बीजों को बुवाई से पहले केप्टान या थीरम फफूंदनाशक की 2.5 ग्राम की मात्रा से एक किलोग्राम बीज को उपचारित किया जाता है, ताकि बीजों को जड़ गलन जैसे रोगों से बचाया जा सकें। चिया के बीजों की रोपाई के लिए अक्टूबर से नवंबर का महीना सबसे उपयुक्त होता है।
चिया सीड्स की खेती के करने के लिए खेत की तैयारी (Chia Fields Preparation)
चिया के बीजों के अधिक उत्पादन के लिए खेत को ठीक तरह से तैयार करना उपयुक्त होता है। इसके लिए खेत की सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल या कल्टीवेटर की मदद से 2 से 3 बार गहरी जुताई करें उसके बाद खेत में रोटोवेटर से 1 से 2 बार जुताई करके खेत की मिट्टी भुरभुरा कर देते है इसके बाद खेत में पाटा लगाकर मिट्टी को समतल करना होता है। बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए बुवाई से पहले खेत में नमी की जरूरत होती है। जिसके लिए खेत में पलेव करके बुवाई करना सबसे उचित होता है।
चिया की खेती करने के लिए खेत की मिट्टी का परीक्षण करके उसमें खाद व उवर्रक को सही मात्रा में देना आवश्यक होता है। चिया सीड का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए प्रति एकड़ के खेत में 10 टन सड़ी गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट खाद को खेत की जुताई करते समय डालें। इसके अलावा प्रति एकड़ के खेत में 40:20:15 के अनुपात में सामान्य उवर्रक वाली N.P.K. की मात्रा का छिड़काव करें। इसके बाद बुवाई के 30 से 60 दिन बाद नाइट्रोजन की दो बराबर मात्रा का छिड़काव सिंचाई करने के बाद इसकी खड़ी फसल पर करना होता है। चिया सीड्स की ऑर्गेनिक खेती के लिए नीम का तेल और नीम की खली की खाद सबसे उत्तम होती है।
चिया की खेती करते समय पौधों को विशेष सिंचाई की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि इसका पौधा अधिक कमजोर होता है, और अधिक पानी की वजह से पौधों के टूटने का खतरा अधिक होता है। इसलिए इसकी फसल में जल भराव बिल्कुल भी न होने दें, तथा पहले से ही उचित जल निकासी वाली भूमि में चिया की बुवाई करें ।
चिया की फसल में कटवा इल्ली रोग अधिक देखने को मिल जाता है। यह रोग पौधों को मिट्टी की सतह के पास से काटकर हानि पहुंचाता है, तथा पत्तियों में भी खुजलीपन होने लगता है। इस रोग की रोकथाम करने के लिए प्रति लीटर पानी में क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी दवा की 2.5 एमएल की मात्रा को मिलाकर उसका छिड़काव पौधों पर करें।
चिया सीड्स की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए फसल को खरपतवार से मुक्त रखना जरूरी होता है। इसके लिए इसकी बीज की बुवाई करने के 30 से 40 दिन बाद फसल की गुड़ाई की जाती है, तथा 30 दिन के अंतर में और दो गुड़ाइयों को करना जरूरी होता है। इस फसल में निराई-गुड़ाई करते समय फालतू पौधों को खेत से निकाल कर अलग कर दिया जाता है।
चिया सीड्स के पौधे की बुवाई करने के 110 से 115 दिन बाद पककर कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इस दौरान पौधों को पूरी तरह से उखाड़ लिया जाता है, तथा 5 से 6 दिन तक पौधों को ठीक से धूप में अच्छी तरह से सूखा लेते है। इन सूखे हुए पौधों से थ्रेशर मशीन के द्वारा बीजों को निकाल कर अलग कर लिया जाता है। इसकी एक एकड़ के खेत से तक़रीबन 5 से 6 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त हो जाता है। चिया के बीजों की बाज़ार में कीमत लगभग 1 हज़ार रुपए प्रति किलो तक की होती है, जिससे किसान भाई इसकी एक एकड़ की फसल से 5 से 6 लाख रुपए तक का मुनाफा आसानी से कमा सकते हैं।
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