नवंबर - दिसम्बर माह में करें इन 10 सब्जियों की खेती, होगा बंपर मुनाफा

Share Product Published - 16 Nov 2021 by Tractor Junction

नवंबर - दिसम्बर माह में करें इन 10 सब्जियों की खेती, होगा बंपर मुनाफा

जानें, सब्जियों की किन किस्मों से होगा अधिक उत्पादन 

सब्जियों की खेती में मुनाफे को देखते हुए किसान प्रमुख रबी फसलों के साथ ही सब्जियों की खेती पर भी जोर देते हैं। इसके पीछे कारण ये हैं कि सब्जियों की खेती में अधिक मुनाफा होता है। सरकार की ओर से भी सब्जियों और फलों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। आज हमारे किसान भाइयों को ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से नवंबर माह में बोई जाने वाली चुनिंदा 10 सब्जियों की जानकारी दे रहे हैं जिसका बेहतर उत्पादन करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तो आइए जानते हैं नवंबर माह में बोई जाने वाली प्र्रमुख सब्जियों की उन्नत किस्मों के बारे में-

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1. शिमला मिर्च की खेती

शिमला मिर्च को सामान्यता बेल पेपर भी कहा जाता है। इसमें विटामिन-सी एवं विटामिन -ए तथा खनिज लवण जैसे आयरन, पोटेशियम, जिंक, कैल्शियम आदि पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। जिसके कारण अधिकतर बीमारियों से बचा जा सकता है। बदलती खाद्य शैली के कारण शिमला मिर्च की मांग दिन प्रतिदिन बढती जा रही है। शिमला मिर्च की खेती भारत मे लगभग 4780 हैक्टयर में की जाती है तथा वार्षिक उत्पादन 42230 टन प्रति वर्ष होता है। बता दें कि शिमला मिर्च की खेती देशवासियो को भोजन तथा खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के अलावा रोजगार सजृन तथा विदेशी मुद्रा का भी अर्जन कराती है। नवंबर माह में शिमला मिर्च की खेती भी की जा सकती है।

शिमला मिर्च का अधिक उत्पादन देने वाली किस्में

शिमला मिर्च की बुवाई के लिए कैलिफोर्निया वंडर, रायल वंडर, येलो वंडर, ग्रीन गोल्ड, भारत, अरका बसन्त, अरका गौरव, अरका मोहिनी, सिंजेटा इंडिया की इन्द्रा, बॉम्बी, लारियो एवं ओरोबेल, क्लॉज इंटरनेशनल सीडस की आशा, सेमिनीश की 1865, हीरा आदि किस्में प्रचलित है। इसकी सामान्य किस्म की बुवाई के लिए 750-800 ग्राम बीज दर और संकर शिमला के लिए 200 से 250 ग्राम प्रति हैक्टयर बीज मात्रा पर्याप्त रहती होती है।

2. लहसुन की खेती

यह एक नकदी फसल है तथा इसमें कुछ अन्य प्रमुख पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं । इसका उपयोग आचार, चटनी, मसाले तथा सब्जियों में किया जाता है। यह विदेशी मुद्रा अर्जित करने में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आजकल इसका प्रसंस्करण कर पावडर, पेस्ट, चिप्स तैयार करने हेतु प्रसंस्करण इकाईयां कार्यरत है जो प्रसंस्करण उत्पादों को निर्यात करके विदेशी मुद्रा आर्जित कर रहे है।

लहसुन की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में 

लहसुन का अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में यमुना सफेद 1 (जी-1), यमुना सफेद 2 (जी-50), यमुना सफेद 3 (जी-282), यमुना सफेद 4 (जी-323) है। लहसुन की बुवाई के लिए स्वस्थ एवं बड़े आकार की शल्क कंदों (कलियों) का उपयोग किया जाता है। बीज 5-6 क्विंटल / हेक्टेयर होती है। शल्ककंद के मध्य स्थित सीधी कलियों का उपयोग बुआई के लिए नही करना चाहिए। बुआई पूर्व कलियों को मैकोजेब+कार्बेडिजड कार्बेंडिजम 3  ग्राम दवा के सममिश्रण के घोल से उपचारित करना चाहिए।

3. प्याज की खेती 

लहसुन के साथ ही प्याज की खेती भी किसानों के लिए दूसरी नकदी फसल है। इसका उत्पादन करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। प्याज की बजार मांग को देखते हुए इसकी खेती मुनाफे का सौंदा साबित हो रही है। 

प्याज की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में

प्याज के अधिक उत्पादन के लिए अपने क्षेत्र के अनुसार उन्नत किस्म का चयन कर सकते हैं। इसकी अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में पूसा रेड, पूसा रत्नार, पूसा माधवी, पंजाब सेलेक्शन, अरका निकेतन, अरका कल्याण, अरका बिंदु, बसवंत 780, एग्री फाउंड लाइट रेड, पंजाब रेड राउंड, कल्यापुर रेड राउंड, हिसार 2 किस्में अच्छी मानी जाती है। 

4. मटर की खेती 

मटर की खेती भी अच्छा मुनाफा देती है। मटर की खेती के लिए भी ये माह अनुकूल है। किसान इस माह इसकी अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों की बुवाई कर सकते हैं। 

मटर का अधिक उत्पादन देने वाली किस्में 

मटर का अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्मों में आर्किल, बी.एल. अगेती मटर - 7 (वी एल - 7), जवाहर मटर 3 (जे एम 3, अर्ली दिसंबर), जवाहर मटर - 4 ( जे एम 4), हरभजन (ईसी 33866), पंत मटर - 2 (पी एम - 2), जवाहर पी - 4, पंत सब्जी मटर, पंत सब्जी मटर 5, इसके अलावा जल्दी तैयार होने वाली अन्य किस्में काशी नंदिनी, काशी मुक्ति, काशी उदय और काशी अगेती किस्में है जो 50 से 60 दिन में तैयार हो जाती हैं। अगेती बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है। इसकी बुवाई से पहले रोगों से बचाने के लिए इसे उपचारित कर लेना चाहिए। इसके लिए थीरम 2 ग्राम या मैकोंजेब 3 ग्राम को प्रति किलो बीज शोधन करना चाहिए। 

5. धनिया की खेती

धनिया की फसल रबी मौसम में बोई जाती है। दानों के लिये धनिया की बुआई का उपयुक्त समय नवंबर का प्रथम पखवाड़ा हैं। हरे पत्तों की फसल के लिए अक्टूबर से दिसंबर का समय बिजाई के लिए उपयुक्त रहता हैं। पाले से बचाव के लिए धनिया को नवंबर के द्वितीय सप्ताह में बोना उपयुक्त होता है। धनिये की बुवाई के लिए सिंचित अवस्था में 15-20 कि.ग्रा./हेक्टेयर बीज तथा असिंचित में 25-30 कि.ग्रा./हेक्टेयर बीज की पर्याप्त रहती है। 

धनिये की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में

धनिये का अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में हिसार सुगंध, आर सी आर 41, कुंभराज, आर सी आर 435, आर सी आर 436, आर सी आर 446, जी सी 2 (गुजरात धनिया 2), आरसीआर 684, पंत हरितमा, सिम्पो एस 33, जे डी-1, ए सी आर 1, सी एस 6, जे डी-1, आर सी आर 480, आर सी आर 728 किस्में शामिल हैं। किसान भाई अपने क्षेत्र के अनुसार किस्म का चयन करें। 

6. चुकंदर की खेती 

 चुकंदर की खेती के लिए भी यह माह काफी अच्छा होता है। इसकी खेती से भी अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। चुकंदर की अलग अलग किस्मों की प्रति हेक्टेयर औसतन उपज 150 से 300 क्विंटल होती है। किसानों को 20 रुपए से लेकर 50 रुपए प्रति किलो की दर से उनकी उपज की कीमत मिल जाती है। इसकी दाम इसकी गुणवत्ता पर निर्भर करते हैं। इसका उपयोग ज्यूस बनाने में अधिक होता है। अधिकतर गाजर के साथ इसे मिलाकर ज्यूस बनाया जाता है। 

चुकंदर की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में

चुकंदर में फाइबर समेत विटामिन ए और सी से भरपूर चुकंदर में पालक सहित किसी भी अन्य सब्जी की तुलना में अधिक मात्रा में आयरन होता है। चुकंदर एनीमिया, अपच, कब्ज, पित्ताशय विकारों, कैंसर, हृदय रोग, बवासीर और गुर्दे के विकारों के इलाज में फायदेमंद होता है।

चुकंदर की बेहतर उत्पादन देने वाली किस्में

चुकंदर की उन्नत किस्मों में रोमनस्काया, डेट्राइट डार्क रेड, मिश्र की क्रासबी, क्रिमसन ग्लोब और अर्लीवंडर आदि प्रमुख है। खेत में बोने के बाद 50-60 दिनों में चुकंदर तैयार हो जाता है। कुछ विशेष प्रजातियों का चुकंदर 80 दिनों में तैयार होता है। इसकी बुवाई कंदों से की जाती है।

7. शलगम की खेती

शलगम की खेती ठंडे मौसम में की जा सकती है। नवंबर माह में इसकी खेती की जा सकती है। इसकी खेती इसकी जड़ों और हरे पत्तों के लिए की जाती है। इसकी जड़े विटामिन सी का उच्च स्त्रोत होती हैं जबकि इसके पत्ते विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, फोलिएट और कैलशियम का उच्च स्त्रोत होते हैं। 

शलगम का बेहतर उत्पादन देने वाली किस्में

नवंबर माह में शलगम की जो किस्में बेहतर उत्पादन देती है उनमें पर्पल टाप व्हाइट ग्लोब, पूसा स्वर्णिमा, पूसा चन्द्रिमा है। इसके अलावा इसकी पूसा शवेती और पूसा कंचन इसकी अगेती बुवाई के लिए अच्छी किस्में हैं।       

8. फूलगोभी की खेती 

फूल गोभी एक लोकप्रिय सब्जी है। इसका उत्पादन हमारे देश में काफी किसान भाई करते हैं। इसकी खास बात ये है कि इसे यह फसल रेतली दोमट से चिकनी किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता हैं। देर से बीजने वाली किस्मों के लिए चिकनी दोमट मिट्टी ज्यादा अच्छी रहती है। जल्दी पकने वाली के लिए रेतली दोमट का प्रयोग करें। मिट्टी की पी एच 6-7 होनी चाहिए। मिट्टी की पी एच बढ़ाने के लिए उसमें चूना डाला जा सकता है।

फूलगोभी का अधिक उत्पादन देने वाली किस्में 

फूल गोभी की खेती में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसकी बेहतर उत्पादन देने वाली किस्मों में पूसा सनोबाल 1, पूसा सनोबाल के-1, स्नोबाल 16, पंत शुभ्रा, अर्ली कुंवारी, पूसा दीपाली प्रमुख हैं। 

9. पत्ता गोभी की खेती

पत्ता गोभी की फसल से किसान अच्छा मुनाफा ले सकते हैं। किसान अधिक उत्पादन के लिए उन्नत किस्मों की बिजाई कर सकते हैं। इसमें जो किस्में प्रचलित हैं, इनका उत्पादन 80 से 100 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाता है। 

पत्ता गोभी की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में 

इसकी प्रमुख किस्मों में गोल्डेन एकर, प्राइड आफ इंडिया, पूसा मुक्ता, अर्ली ड्रमहेड, पूसा मुक्त, पूसा ड्रमहेड, लेट ड्रमहेड- 3 गणेश गोल, हरी रानी गोल आदि प्रमुख है किस्में हैं जो अच्छा उत्पादन देती हैं।

10. टमाटर की खेती 

टमाटर की खेती के लिए भी ये माह उपयुक्त है। इसकी फसल पाला सहन नहीं कर सकती है। इसलिए पाले से इसकी फसल को नुकसान होता है और उत्पादन में गिरावट आती है। इसलिए जहां पाला अधिक पड़ता है वहां इसकी फसल को पाले से बचाव के उपाय करने चाहिए। 

टमाटर की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में

टमाटर की अधिक उत्पादन देने वाली देसी किस्मों में पूसा रूबी, पूसा-120,पूसा शीतल,पूसा गौरव,अर्का सौरभ, अर्का विकास, सोनाली अच्छी किस्में हैं। वहीं संकर किस्मों में पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड -2, पूसा हाइब्रिड-4, अविनाश-2, रश्मि तथा निजी क्षेत्र से शक्तिमान, रेड गोल्ड, 501, 2535 उत्सव, अविनाश, चमत्कार, यू.एस.440 आदि किस्में हैं जो बेहतर उत्पादन देती हैं।

 

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