मिलेट मिशन: 2.5 करोड़ किसानों को होगा सीधा लाभ, बढ़ेगी इनकम

Share Product प्रकाशित - 21 Mar 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

मिलेट मिशन: 2.5 करोड़ किसानों को होगा सीधा लाभ, बढ़ेगी इनकम

श्री अन्न सम्मेलन में पीएम मोदी ने बताए योजना के लाभ, जानें, मिलेट मिशन की खास बातें

वर्ष 2023 को पूरा विश्व मिलेट मिशन के रूप में मना रहा है। इस वर्ष 2023 को पूरे विश्व में अंतराष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 के रूप में मनाया जा रहा है। इसके तहत दिल्ली के पूसा संस्थान में आयोजित किए गए अंतरराष्ट्रीय मिलेट सम्मलेन में पीएम मोदी ने कहा कि 2.5 करोड़ किसान सीधे तौर पर बाजरा की खेती से जुड़े हुए हैं। श्री अन्न मिशन इन्हीं छोटे किसानों के लिए वरदान साबित होने जा रहा है। श्री अन्न बाजार से उन्हें और इससे जुडे़ व्यापारियों को लाभ होगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इससे छोटे किसान जो मोटे अनाज का उत्पादन करते हैं उन्हें लाभ होगा। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 पर सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया गया। सम्मेलन में पीएम मोदी ने श्री अन्न यानि मोटे अनाज की विशेषताएं और लाभ की जानकारी दी।

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आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में श्री अन्न यानि मोटे अनाज के उत्पादन से किसानों को कितना लाभ हो सकता है, इस बात की जानकारी दे रहे हैं।

क्या है श्री अन्न मिशन

वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है और भारत इसकी अगुवाई कर रहा है। इसके तहत श्री अन्न मिशन चलाया जा रहा है जिसमें मोटे अनाज को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मोटे अनाज के बढ़ते निर्यात के कारण सरकार किसानों को मोटा अनाज जिसमें बाजरा प्रमुख है इसकी खेती पर जोर दिया जा रहा है। हाल ही में पीएम मोदी ने मोटे अनाज जिसे श्री अन्न नाम दिया गया है उसे लेकर ग्लोबल मिलेट्स सम्मेलन का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने विदेशी प्रतिनिधियों को मिलेट के लिए भारत की ब्रांडिंग संबंधी पहल के बारें में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत में मिलेट्स या मोटे अनाज को श्री अन्न के नाम से नई पहचान दी गई है। श्री अन्न केवल खेती या खाने तक ही सीमित नहीं है। भारतीय परंपरा से परिचित लोग इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारे यहां श्री ऐसे ही नहीं जुड़ता है और जहां श्री होती है, वहां समृद्धि होती है और समग्रता भी होती है। अब श्री अन्न भी भारत में समग्र विकास का एक माध्यम बन रहा है। श्री अन्न यानि कम पानी में अधिक फसल की पैदावार। इसके अलावा श्री अन्न यानि केमिकल मुक्त खेती का बड़ा आधार है। श्री अन्न मौसम परिवर्तन की चुनौती से निपटने में मददगार साबित होगा।

भारत में उगाएं जाने वाले प्रमुख श्री अन्न यानि मोटे अनाज

भारत में बाजरा, रागी, कुट्‌टु, काकुन, चीना, सांवा, कोदो मोटे अनाज का उत्पादन होता है। इसके अलावा ज्वार, कंगनी, ब्राउन मिलेट, चौलाई और बकवीट आदि शामिल हैं। भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत मोटे अनाज को बढ़ावा दिया जा रहा है। देश में इसका उत्पादन बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।

मोटे अनाज यानि मोटे अनाज का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य

भारत में मोटे अनाज यानि श्री अन्न का उत्पादन राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, आदि राज्यों में किया जाता है। भारत में 17.96 मिलियन मीट्रिक टन यानि एमटी मोटे अनाज का उत्पादन किया जाता है।

मोटे अनाज के निर्यात में हो रही है बढ़ोतरी

भारत से मोटे अनाज का निर्यात अन्य देशों को किया जा रहा है। इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष 2021-22 में भारत का मोटे अनाज निर्यात का कारोबार 64 मिलियन डॉलर है। मोटे अनाजों के निर्यात में 12.5 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। मोटे अनाजों के निर्यात में पिछले दशक में बदलाव हुआ था। 2011-12 में प्रमुख आयातक देश अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान, बेल्जियम आदि थे। अब उनकी जगह 2021-22 में नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, और सऊदी अरब ने ले ली थी। केन्या, पाकिस्तान भी पिछले एक दशक में संभावित आयातक देश थे। भारत विश्व भर में 139 देशों को मोटे अनाज का निर्यात कर रहा है।

बजट में इस योजना के लिए क्या किया गया है प्रावधान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में श्री अन्न योजना का उल्लेख करते हुए बताया था कि भारत श्री अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। ऐसे में भारत को श्री अन्न का एक वैश्विक केंद्र बनाने ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान हैदराबाद को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। मोटे अनाज का प्रचार-प्रसार पर किया जाएगा।

मोटे अनाज की खेती से किसानों को क्या होगा लाभ

मोटे अनाज की खेती से किसानों को कम लागत पर अधिक उत्पादन मिलेगा। क्योंकि मोटे अनाज की खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। इतना ही नहीं इसमें रासायनिक उर्वरक व खाद का उपयोग बहुत ही कम होता है। इन अनाजों में कीट-रोग भी कम लगते हैं। इनकी बाजार में कीमत भी अच्छी मिलती है और मांग भी रहती है। ऐसे मोटे अनाज की खेती किसानों की इनकम को दुगुना करने में मददगार साबित हो सकती है। 

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