प्रकाशित - 23 Jul 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
भारतीय किसान अब खेती में नए-नए प्रयोग करके अधिक मुनाफा कमाने लगे हैं। किसान परंपरागत खेती को छोड़कर नकदी फसलों को उगाने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। नकदी फसलों को वाणिज्यिक या व्यापारिक फसल भी कहते हैं। किसान इन फसलों को दूसरों उद्योगों के लिए उगाता है और फसल को बेचकर तुरंत नकद राशि प्राप्त करता है। प्राय: नकदी फसलों की खेती बड़े स्तर पर की जाती है और उत्पादन की मात्रा अधिक रहती है। नकदी फसलों में उन व्यापारिक फसलों को शामिल किया जाता है जिनके माध्यम से उद्योगों को कच्चा माल प्राप्त होता है। भारत में पैदा होने वाली प्रमुख नकदी फसलों में गन्ना, कपास, तंबाकू, चाय, काफी, जूट, रबड़, कोको, अलसी, मेस्ट, सरसों, मूंगफली, आलू, फल-सब्जी और दाल आदि को शामिल किया जाता है।
भारतीय कृषि में नकदी फसल का योगदान लगातार बढ़ता जा रहा है। पहले किसानों का नकदी फसलों की तरफ रुझान कम था। बहुत कम किसान नकदी फसल करते थे। लेकिन अब इनके उत्पाद बेचने पर अधिक लाभ मिलने के कारण किसानों की रूचि नकदी फसलों की तरफ बढ़ी है। अधिकांश नकदी फसलों को विदेशों में निर्यात किया जाता है जिससे देश के राजस्व में वृद्धि होती है। देश में नकदी फसलों की उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होने से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है।
ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको भारत की टॉप 10 नकदी फसलों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
1. गन्ना
2. कपास
3. तंबाकू
4. जूट
5. चाय
6. काफी
7. रबड
8. अलसी
9. मूंगफली
10. सरसों
आज हर परिवार गन्ना और उससे बनने वाले उत्पादों का उपयोग करता है। गन्ने का उपयोग चीनी बनाने में सबसे ज्यादा होता है। चीनी आज हर घर की जरूरत बन गई है। इसके अलावा गन्ना का उपयोग शक्कर, गुड, एल्कोहल, इथेनॉल, खांडसारी, राब, मिश्री आदि बनाने में किया जाता है। गन्ना उत्पादन में भारत का ब्राजील के बाद दूसरा स्थान है जबकि चीनी की खपत में भारत का पहला स्थान है। गन्ना एक उष्णकटिबंधीय फसल है और भारत की सर्वाधिक सिंचिंत फसल है। गन्ने की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में करीब एक साल का समय लगता है। भारत में सबसे ज्यादा गन्ना और चीनी उत्पादक राज्य उत्तरप्रदेश है। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र आता है। सबसे ज्यादा चीनी की मीलें महाराष्ट्र में है। भारत में कपड़ा उद्योग के बाद चीनी उद्योग दूसरा सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग है। भारत में गन्ने के प्रमुख उत्पादक राज्यों में उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश व गुजरात शामिल है।
भारत का सबसे बड़ा संगठित उद्योग कपड़ा उद्योग है। कपड़ा उद्योग की अधिकांश जरूरतों को कपास से ही पूरा किया जाता है। भारत में कपास की खेती का क्षेत्रफल विश्व में सर्वाधिक है। कुल उत्पादन या प्रति उत्पादन के मामले में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है। भारत में कपास उत्पादन में गुजरात पहले स्थान पर है। यह कुल उत्पादन में 34 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। कपास के प्रमुख उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और पंजाब भी शामिल है। कपास की खेती काली या रेगुर मिट्टी में की जाती है। कपास की दो किस्में पाई जाती है, 1. देशी कपास 2. अमेरिकन कपास।
तंबाकू की खेती से किसानों को कम खर्च में अधिक कमाई होती है। तंबाकू का उपयोग सूखाकर धुआं या धुआं रहित नशे की चीजों में किया जाता है। तंबाकू का उपयोग गुटखा, खैनी, बीड़ी, सिगरेट, सिगार, जर्दा, पान मसालों आदि में किया जाता है। तंबाकू की दो किस्में निकोटियाना टोबैकम और रस्टिका प्रसिद्ध है। निकोटियाना टोबैकम भारत में उगाई जाती है। तंबाकू के उत्पादन और उपभोग में भारत का विश्व में दूसरा नंबर है। पहले नंबर पर चीन आता है। भारत के शीर्ष 2 तंबाकू उत्पादक राज्य आंधप्रदेश और गुजरात है। तंबाकू का मूल स्थान अमेजन नदी की घाटी (ब्राजील) है।
जूट एक रेशेदार फसल है। इसके रेशे बोरे, दरी, तम्बू, तिरपाल, टाट, रस्सियां, निम्नकोटि के कपड़े, कागज, हेसियन, पैंकिंग के कपड़े, कालीन, परदे, घरों की सजावट का सामान, अस्तर और रस्सियां बनाने के काम आता है। इसका डंठल जलाने के काम आता है और उससे बारूद के कोयले भी बनाए जा सकते हैं। भारत में जूट उत्पादन में पश्चिम बंगाल पहले स्थान पर है। यहां कुल उत्पादन का 70 प्रतिशत जूट पैदा होता है। गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा को जूट उत्पादन में एकाधिकार प्राप्त है।
चीनी की तरह चाय भी आज हर घर की जरुरत बन चुकी है। चाय की खेती भारत में सबसे पहले 1834 में अंग्रेजों ने असम घाटी में शुरू की थी। आज असम भारत का शीर्ष चाय उत्पादक राज्य है। यहां कुल उत्पादन की 50 प्रतिशत चाय पैदा होती है। असम की सुरमा और ब्रह्मपुत्र घाटी में चाय की खेती की जाती है। चाय उत्पादन में असम के बाद पश्चिम बंगाल और तमिलनाडू का नंबर आता है। विश्व के टॉप 3 चाय उत्पादक देशों में भारत दूसरे नंबर पर है। जबकि पहले नंबर पर चीन और तीसरे नंबर पर केन्या आता है। चाय के पौधे से एक साल में तीन बार पत्तियां चुनी जाती है।
भारत में काफी की खेती की शुरुआत 17वीं शताब्दी में मानी जाती है। इसे अरब से लाकर दक्षिण भारत में बाबा बुदन की पहाड़ी पर लगाया गया था। काफी को कहवा भी कहा जाता है। इसका मूल स्थान अमेजन नदी की घाटी (ब्राजील) है। भारत में कॉफी या कहवा की खेती दक्षिण भारत के पर्वतीय ढलान वाले क्षेत्रों में होती है। कहवा के उत्पादन में टॉप 3 राज्य कर्नाटक, केरल व तमिलनाडू है। सर्वाधिक 68 प्रतिशत उत्पादन कर्नाटक में होता है। विश्व में सबसे ज्यादा कहवा का उत्पादन ब्राजील में होता है। भारत में केवल अरेबिका और रोबस्टा किस्म की खेती होती है। कहवा का पौधा चार साल में एक बार कली देता है।
रबड़ के विभिन्न उत्पाद आम जिंदगी से जुड़े हुए हैं। रबड़ एक उष्णकटिबंधीय पौधा है। इसका मूल स्थान अमेजन नदी (ब्राजील) माना जाता है। कुल रबड़ उत्पादन में ब्राजील का विश्व में पहला स्थान है जबकि भारत चौथे स्थान पर आता है। वहीं प्रति हेक्टेयर उत्पादन में भारत का पहला स्थान है। भारत में सर्वाधिक रबड़ का उत्पादन केरल में होता है। “पारा” किस्म का रबड़ विश्व में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। रबड़ की खेती के लिए उच्च तापमान और धूप की आवश्यकता होती है। 200 सेमी से अधिक वर्षा और लैटेराइट और लाल मृदा का क्षेत्र उपयुक्त रहता है।
अलसी एक तिलहनी और रेशे वाली फसल है। इसे मुख्यत: दो उपयोगों के लिए उगाया जाता है, 1. तेल के लिए 2. रेशे के लिए। अलसी के तेल का उपयोग खाने, औषधिक उपयोग एवं अन्य विभिन्न प्रकार के औद्योगिक उत्पाद बनाने में किया जाता है। इसके तेल से पारदर्शी साबुन, पेंट, प्रिटिंग इंक और वारनेश आदि बनाए जाते हैं। इसकी खली का उपयोग पशुओं को खिलाने के रूप में किया जाता है। भारत अलसी की खेती में पहले नंबर पर है। इसकी खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, हिमाचल प्रदेश एवं महाराष्ट्र आदि राज्यों में की जाती है| अलसी की खेती ठंडी व शुल्क जलवायु और काली भारी एवं दामेट (मटियार) मिटि्टयां बेहतर मानी गई हैं।
मूंगफली मूल रूप से ब्राजील की फसल है। भारत में विश्व का 30 प्रतिशत भाग उत्पादित किया जाता हैं। भारत में खरीफ और जायद सीजन में मूंगफली की खेती की जाती है। देश में कुल तिलहन फसल उत्पादन का 45 प्रतिशत भाग मूंगफली से प्राप्त किया जाता है। प्रमुख मूंगफली उत्पादक राज्य गुजरात, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक हैं। इन राज्यों में मूंगफली की 85 प्रतिशत पैदावार होती है। मूंगफली का अधिकांश उपयोग तेल बनाने में किया जाता है। मूंगफली उष्णकटिबंधीय जलवायु का पौधा है। इसकी फसल को ज्यादा बारिश की जरुरत नहीं होती है। राजस्थान के कई जिलों में इसकी भरपूर खेती होती है।
सरसों की फसल को कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला माना जाता है। सरसों की खेती में सिंचाई की आवश्यकता अधिक नहीं होती है। आज भारत के अधिकांश घरों में खाने के तेल में रूप में सरसों के तेल का उपयोग किया जाता है। सरसों के बीजों से तेल के अलावा खली भी निकलती है जिसका उपयोग पशु आहार के रूप में किया जाता है। विश्व की 70 सरसों का उत्पादन भारत में होता है। देश के कुल तिलहन फसलों का 35 प्रतिशत भाग सरसों से प्राप्त किया जाता है। देश की 85 प्रतिशत से अधिक सरसों उत्तरी भारत में पैदा की जाती है। राजस्थान में सबसे अधिक 41 प्रतिशत सरसों उत्पादित की जाती है। सरसों उत्पादन में उत्तरप्रदेश द्वितीय, मध्यप्रदेश तृतीय, गुजरात चतुर्थ स्थान रखता है। पंजाब व हरियाणा में भी सरसों पैदा की जाती है।
किसान भाईयों, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको भारत में नकदी फसलों के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। खेती संबंधी ऐसी ही जानकारी के लिए ट्रैक्टर जंक्शन के साथ बने रहें।
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