Published - 12 Nov 2020
by Tractor Junction
भारतीय संस्कृति में झाड़ू में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है। प्रत्येक घर में झाड़ृ को बड़े सम्मान से लिटाकर रखा जाता है। हर भारतीय परिवार झाड़ृू जरूर खरीदता है। दीपावली और धनतेरस पर झाड़ू को खरीदना शुभ शगुन माना जाता है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल धनतेरस और दीपावली पर कई करोड़ झाड़ृ बिक जाते हैं। इस बार 2020 में दिवाली 14 नवंबर शनिवार को मनाई जा रही है। ऐसे समय पर ट्रैक्टर जंक्शन खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले किसानों के लिए खास पोस्ट लेकर आया है कि कैसे झाड़े का व्यापार करके कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।
सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1
भारत के लोगों का हमेशा से प्रकृति से विशेष जुड़ाव रहा है। इसलिए भारतीय परिवेश में प्राकृतिक झाड़ूओं का अपना ही महत्व है। हमारे यहां सीक झाड़े और फूल झाडृे का प्रचलन है। भारतीय परिवारों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय घास, नारियल, खजूर के पत्ते, कॉर्न हस्क आदि से बनने वाली झाड़ू शामिल है। झाड़ू एक ऐसा उत्पाद पर जिसका व्यापार में कभी भी मंदा नहीं आता है। भारतीय बाजारों में झाड़ू की मांग वर्षभर लगभक एक समान बनी रहती है और दीपोत्सव के समय तो इसकी बंपर बिक्री होती है।
झाड़ू उद्योग को शुरू करने के लिए बहुत ज्यादा जगह व संसाधनों की जरूरत नहीं होती है। ग्रामीण परिवेश का आम आदमी, किसान व बेरोजगार युवक कम लागत में यह काम शुरू करके अच्छी आमदनी कर सकते हैं। ग्रामीण व शहरी परिवेश में झाड़ू का उद्योग आसानी से शुरू किया जा सकता है। झाड़ू उद्योग को 50 वर्ग मीटर की जगह में भी शुरू किया जा सकता है। इस काम को महज 15 से 50 हजार रुपए की लागत से शुरू किया जा सकता है। अगर आप झाड़ृ उद्योग को बड़े स्तर करना चाहते हैं तो ज्यादा लागत लगा सकते हैं।
भारत में झाड़ूओं का निर्माण जंगलों में मौजूद पेड़ों से प्राप्त कच्चा माल के आधार पर किया जाता है। देश में वैसे तो झाड़ू को आम तौर पर कारीगरों द्वारा तैयार किया जाता है, लेकिन कम समय में अधिक उत्पादन करना है तो मशीनों को खरीदा जा सकता है। मशीनों का चयन आप ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल या खुद बाजार में जाकर कर सकते हैं। झाड़ू को कई तरीकों से बनाया जा सकता है। आपके क्षेत्र में किस प्रकार की झाड़ू की मांग है, इसके आधार पर आप झाड़ू बनाने का काम शुरू कर सकते हैं। हालांकि झाड़ू बनाने के लिए आम तौर पर कच्चे माल के रूप में ब्रूम हैंडल केप, प्लास्टिक टेप, स्ट्रापिंग वायर आदि की जरूरत पड़ती है। हमारे देश में सबसे अधिक मांग सिंक झाड़ू एवं फूल झाड़ू की है। बदलते समय के साथ बिजली से चालित उपकरण भी चलन में आ गए हैं, जो साफ-सफाई को अधिक सरल बना देते हैं। लेकिन झाड़ू सस्ता एवं सुलभ संसाधन है।
झाडू बनाने के बिजनेस को कम से कम रुपए 15 हजार रुपए की छोटी सी पूंजी से शुरू किया जा सकता है। इस बिजनेस से प्रति महीने करीब 30 हजार से 40 हजार रुपए कमाया जा सकता है।
धनतेरस पर पीतल, सोने और चांदी जैसी कीमती धातु के अलावा झाड़ू खरीदना भी शुभ माना जाता है। कहा गया है कि धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से घर में लक्ष्मी का वास होता है और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा यह भी रिवाज है कि जब भी घर में नया झाड़ू खरीदकर लाएं तो उस पर सफेद रंग का धागा बांध दें, जिससे मां लक्ष्मी की कृपा आपके घर में हमेशा बनी रहेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, उसमें मां लक्ष्मी का वास होता है। धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदकर लाया जाता है और उसे लिटाकर रखा जाता है। झाड़ू को खड़ा रखना अपशकुन माना जाता है। झाड़ू को हमेशा ही छिपाकर रखना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि उसमें पैर न लगे। झाडू में पैर लगने पर इसे माता लक्ष्मी का अनादर माना जाता है।
अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।