Published - 20 Apr 2021 by Tractor Junction
पशुओं को बीमारियों व रोगों से बचाने के लिए समय-समय पर दवाइयां या टीके लगाये जाते हैं, लेकिन ये टीके अधिक महंगे होने के कारण हर कोई इसे अपने पालतू पशुओं को नहीं लगवा पाता है। इसे देखते हुए वैज्ञानिकों ने पशुओं के लिए सस्ते टीके विकसित करने में सफलता हासिल की है। हाल ही में आईसीएआर-आईवीआरआई ने पशुओं के लिए सस्ते वैक्सीन विकसित किए हैं।
सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1
आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज़्ज़तनगर, बरेली, उत्तर प्रदेश ने पिछले दिनों आयोजित एक समारोह में एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड के माध्यम से मैसर्स हेस्टर बायोसाइंसेस को सीएसएफ और भेड़ पॉक्स वैक्सीन टेक्नोलॉजी हस्तांतरित किए हैं। समारोह में मौजूद डॉ. भूपेंद्र नाथ त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान), आईसीएआर ने टीकों को पशुपालकों की बड़ी समस्या का समाधान माना। उन्होंने कहा कि टीके का व्यावसायीकरण आईसीएआर-आईवीआरआई के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। सस्ती कीमतों पर उपलब्ध, टीकों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है। डॉ. प्रवीण मलिक, पशुपालन आयुक्त, पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार ने प्रौद्योगिकी को बढ़ाने और बाजारों में इसे सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराने पर जोर दिया।
कार्यक्रम में डॉ. बी.पी. मिश्रा, निदेशक, आईसीएआर-आईवीआरआई ने उन 4 पेटेंटों के बारे में बताया जो हाल ही में संस्थान को दिए गए हैं और इसमें से 3 पेटेंट टीके पर हैं। श्री राजीव गांधी, सी.ई.ओ., मेसर्स हेस्टर बायोसाइंसेस ने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को एक ऐतिहासिक घटना माना। उन्होंने बताया कि दो टीके देश में विकसित किए जाने वाले पहले स्वदेशी टीके हैं। डॉ. एस. सिंह, प्रभारी, आईटीएमयू, आईसीएआर-आईवीआरआई, इज़्ज़तनगर ने टीकों की प्रभावशीलता पर प्रकाश डाला। डॉ. सुधा मैसूर, सीईओ, एग्रीनोवेट इंडिया ने संस्था की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी और संकेत दिया कि कंपनी-गैर-विशिष्ट ’प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से स्थाई सार्वजनिक निजी भागीदारी बनाने का प्रयास करती है।
क्लासिकल स्वाइन फीवर (सीएसएफ) सूअरों की एक महत्वपूर्ण बीमारी है जो 100 प्रतिशत मृत्यु दर का कारण बनती है। भारत में, इस बीमारी को बड़ी संख्या में खरगोशों को मारकर बनाए गए एक लैपिनाइज़्ड सीएसएफ वैक्सीन (वेयब्रिज स्ट्रेन, यू.के.) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इससे बचने के लिए, आईसीएआर-आईवीआरआई ने पहले विदेशी तनाव से लैपिनाइज्ड वैक्सीन वायरस का उपयोग करके एक सेल कल्चर सीएसएफ वैक्सीन विकसित किया था। लैपिनाइज्ड सीएसएफ वैक्सीन की 15 से 25 रुपए कीमत के मुकाबले इस वैक्सीन की कीमत प्रति खुराक लगभग 2 रुपए से कम होगी। वैक्सीन को बड़े पैमाने पर परीक्षण किया गया है। टीका के 14 दिन से 18 महीने तक के लिए सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा पाई गई है।
शीप पॉक्स भेड़ में एक गंभीर वायरल बीमारी है। भेड़ में टीकाकरण के लिए संस्थान द्वारा स्वदेशी स्ट्रेन का उपयोग करते हुए एक जीवित भेड़ पॉक्स वैक्सीन विकसित किया गया था। वैक्सीन छह महीने से अधिक उम्र की भेड़ों के लिए सहज, सुरक्षित, शक्तिशाली और प्रभावी है। यह 40 महीने की अवधि के लिए टीका लगाए गए जानवरों की रक्षा करता है।
अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।