फसल उगाने के साथ समय पर देखभाल करना भी जरूरी
फसल उगाने के साथ ही इसकी समय-समय पर देखभाल करना भी बेहद जरूरी हो जाता है। उचित देखभाल के अभाव में उत्पादन कम होने की संभावना बनी रहती है। अलग-अलग फसल के लिए ये कृषि कार्य महीनों या पखवाड़े के हिसाब से किए जाते हैं। आज हम आपको नवंबर माह में किए जाने वाले कृषि कार्यों को बता रहे हैं ताकि आपको बेहतर उत्पादन मिल सके। यह कार्य अलग-अलग फसल की प्रकृति के अनुसार निर्धारित किए हैं। यह समय गेहूं एवं जौ की बुवाई का समय है।
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गेहूं एवं जौ की बुवाई
- गेहूं की बुवाई के लिए गेहूं की उन्नत किस्मों का चयन करें। इन किस्मों में राज. 3765, जी.डब्ल्यू -190, एच.आई.-8713, राज. 4037, राज. 4120, राज. 3777 अच्छी मानी जाती है।
- गेहूं की फसल में कंडूआ रोग की रोकथाम के लिए बुवाई से पूर्व बीजों को कार्बेन्डाजिम अथवा थीरम 2.5 ग्रा./ किग्रा. बीज की दर से बीजोपचार करें।
- गेहूं की बुआई के 21 दिन बाद पहली सिंचाई करें।
- गेहूं में 120:50:40 एनपीके की दर से उर्वरक डालें। बुवाई के समय नाइट्रोजन की आधी तथा फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा आधार खुराक के रूप में डालें।
- जौ की बुवाई के लिए आर.डी.-2052, आर.डी. 2552, आर.डी. 2503, आर.डी.- 2715 आदि उन्नत किस्में हैं। इसकी बुवाई इस माह की जा सकती है।
- गेहूं व जौ की फसल को दीमक के प्रकोप से बचाने हेतु बीज को प्रीप्रोनिल 5 एस.सी. 6 मिलीलीटर या क्लोथिएनिडीन 50 डब्ल्यू डिजी 1.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करें।

धनिया जीरा, मैथी एवं इसबगोल की बुवाई
- यह समय धनिया जीरा, मैथी एवं इसबगोल की बुवाई के लिए भी उचित हैं।
- धनिया की उन्नत किस्में आर.सी.आर. 20, आर.सी.आर. 41, आर.सी.आर. 435, आर.सी.आर. 436 धनिया कि उन्नत किस्में हैं। इसकी बुवाई की जा सकती है।
- मैथी की आर.एम. टी-1, आर.एम. टी-143, आर.एम. टी-305, पूसा अर्ली बंच किस्में अच्छी मानी जाती हैं। इनकी बुवाई करें।
- जीरे की बुवाई के लिए इसकी उन्नत किस्मों में आर.एस.-1, आर.जेड.-209, आर.जेड-223, जी.सी. 4 एवं आर जेड-19 का चयन किया जा सकता है।
- बुवाई से पूर्व जीरे के बीज को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या ट्राईकोडर्मा 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचारित करें। बुवाई के तुरंत बाद फसल को हल्की सिंचाई करनी चाहिए।
अलसी फसल की बुवाई
अलसी फसल की बुवाई 1 से 15 नंबवर तक करके अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए सीमित सिंचाई की स्थिति में इसकी उन्नत किस्में नीलम, प्रताप अलसी आदि का चयन किया जा सकता है।
टमाटर तथा फूलगोभी की पछेती किस्मों की रोपाई
टमाटर तथा फूलगोभी की पछेती किस्मों की रोपाई करें। रोपाई से पहले खेत में 20-25 टन प्रति हैक्टेअर की दर से गोबर की खाद व 120:100:60 किग्रा नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश प्रति हैक्टेयर भूमि में डालें।
नवंबर के दूसरे सप्ताह तक मटर की बुआई कर दें। मटर की किस्में पूसा प्रभात, पूसा प्रगति व पूसा पन्ना की बुवाई की जा सकती है।
गाजर, शलजम व मूली की बुवाई
- नवंबर माह गाजर, शलजम व मूली की बुवाई के लिए उत्तम है। इसकी उन्नत किस्मों की बुवाई करें।
- गाजर की उन्नत किस्मों में चैंटनी, नैनटिस, चयन नं 223, पूसा रुधिर, पूसा मेघाली, पूसा जमदग्नि किस्में इस माह बोई जा सकती है।
- मूली की उन्नत किस्मों में 1. पूसा चेतकी, पूसा मृदुला, पूसा जामुनी, पूसा गुलाबी मूली व पूसा विधु आदि प्रमुख हैं। इसकी बुवाई की जा सकती हैं।
- प्याज की नर्सरी तैयार करें। इसके लिए प्याज की उन्नत किस्में पूसा रेड, पूसा माधवी, पूसा रिद्धी किस्मों की नर्सरी में बुवाई की जा सकती है।
- पालक में यदि सफेद रतुआ के लक्षण दिखाई दें तों मै्रकोजेब या रिडोमिल एमजैड 72 दवा का 2.5 ग्रा./लिटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें।
- इस मौसम में मिर्च, टमाटर एवं बैंगन की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप अधिक दिखाई देता है। इससे बचाव के लिए मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिडक़ाव करें।
- नवंबर के पहले सप्ताह में चने की बुवाई कर करें। छोटे दाने वाली किस्मों के लिए बीज दर 80 किग्राम/हैक्टेयर तथा मोटे दानों वाली किस्मों के लिए 100 किग्रा/ हैक्टेयर की दर से बुआई करें।
- दलहन की बुवाई के 45 तथा 75 दिन बाद 2 सिंचाई करें। बुवाई के समय नाइट्रोजन फास्फोरस गंधक जिंक की 20: 50:20:25 किग्रा /हैक्टेयर की मात्रा आधार खुराक के रूप में डाले।
- आम के थालों की सफाई करें व बगीचों में निराई-गुड़ाई व सिंचाई करें।

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