Published - 28 Dec 2021 by Tractor Junction
कृषि वैज्ञानिकों ने बारिश की संभावना को देखते किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसके तहत किसानों को फसल सुरक्षा के उपाय के बारें में जानकारी दी है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार बारिश की संभावना को देखते हुए किसानो को खड़ी फसलों पर सिंचाई तथा किसी भी प्रकार का छिडक़ाव नहीं करना चाहिए। मौसम को ध्यान में रखते हुए किसान सरसों की फसल में चेपा कीट की नियमित निगरानी करते रहें। अधिक कीट होने पर इमिडाक्लोप्रिड़ दवा का 0.25 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिडक़ाव आसमान साफ होने पर करें।
यह एडवाइजरी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि भौतिकी संभाग ने जारी की है। इसमें कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनन्ता वशिष्ठ, डॉ. कृष्णन, डॉ. देब कुमार दास, डॉ. बीएस तोमर, डॉ. जेपीएस डबास, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. पी सिन्हा एवं डॉ. सचिन सुरेश सुरोशे ने यह एडवाजरी जारी की है। साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि संबंधी यह सलाह 29 दिसंबर, 2021 तक के लिए है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंश 3-4 प्रपंश ट्रैप्स प्रति एकड़ उन खेतों में लगाएं जहां पौधों में 10-15 फीसदी फूल खिल गए हों। वहीं कीटों के नियंत्रण के लिए खेत में और उसके आसपास टी आकार के पक्षी पर्च स्थापित करें। गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंश दर 3-4 प्रपंश प्रति एकड़ खेतों में लगाएं।
इस समय किसान कद्दूवर्गीय सब्जियों की अगेती फसल के लिए यह तैयारी कर सकते हैं। ऐसी सब्जियों के अगेती फसल के पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थैलों में भर कर पाली घरों में रखें। इस मौसम में तैयार बंदगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेडों पर कर सकते हैं। यही नहीं इस मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुवाई भी कर सकते हैं। पत्तों के बढक़र के लिए 20 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव कर सकते हैं।
पूसा के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस मौसम में आलू तथा टमाटर में झुलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें। लक्षण दिखाई देने पर कार्बंडिजम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें। वहीं प्याज की समय से बोई गई फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें। प्याज में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें। रोग के लक्षण पाए जाने पर डाएथेन-एम-45 का छिडक़ाव करने की सलाह दी जाती है।
मटर में फलियों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए ताकि मटर का अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मटर की फसल पर 2 फीसदी यूरिया के घोल का छिडक़ाव करें, जिससे मटर की फल्लियों की संख्या में वृद्धि होगी।
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