Posted On - 03 May 2021
कोरोना की विषय परिस्थितियों के बीच किसानों के लिए एक अच्छी खबर आई है। हाल ही में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने गेहूं, चना, मसूर, अलसी, रामतिल, मटर, चारा फसलों सहित विभिन्न फसलों की उन्नतशील प्रजातियों के 21 हजार क्विंटल प्रजनक बीज तैयार कर लिये हैं। आने वाले सीजन में इन्हें किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। बता दें कि विश्वविद्यालय के 28 अनुसंधान केन्द्रों और प्रक्षेत्रों पर लगभग 666 हेक्टेयर क्षेत्र में यह उत्पादन लिया गया है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इन उन्नतशील बीजों से रोगों का प्रकोप कम होने के साथ ही बेहतर उत्पादन प्राप्त होगा।
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संचालक प्रक्षेत्र डॉ. दीप पहलवान ने मीडिया को बताया कि यह उन्नत प्रजनक उन्नत बीज मध्यप्रदेश के किसानों के साथ शासकीय संस्थाओं, सहकारी समितियों, प्रगतिषील किसान एवं आवश्यकतानुसार अन्य विभागों को उपलब्ध कराए जाएंगे। विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए बीजों की बहुत ज्यादा मांग होती है। देश के कुल उत्पादन का 15: बीज उत्पादन की योगदान जवाहरलान नेहरू कृषि विश्वविद्यालय करता है। बीज उत्पादन के क्षेत्र में विश्वविद्यालय विगत डेढ़ दशक से प्रथम स्थान पर है। बीज वितरण हेतु एकल खिडक़ी केंद्र स्थापित किया गया है।
रबी 2020-21 सीजन में प्रजनक बीज उत्पादन कार्यक्रम विश्वविद्यालय के 28 प्रक्षेत्रों पर लगभग 666 हेक्टेयर क्षेत्र में लिया गया था। इसमें गेहूं की 13, चने की 6, मसूर की 3, अलसी की 7, रामतिल की 3, मटर की 6, चारा फसलों की 4 तथा अन्य फसलों की विभिन्न उन्नत प्रजातियों का प्रजनक बीज उत्पादन कार्यक्रम लिया गया था। बीज उत्पादन लगभग 21 हजार क्विंटल रहा है। उत्पादित प्रजनक बीजों की उन्नतशील प्रजातियों को रबी 2020-21 में भारत सरकार, मध्यप्रदेश शासन के विभिन्न शासकीय संस्थानों, एन.जी.ओ., बीज उत्पादन सहकारी समितियों, प्रगतिशील किसानों एवं अन्य को उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्नत बीज वह होता है जिसके प्रयोग से अधिक पैदावार प्राप्त हो। साथ ही ऐसा बीज जो रोगों के प्रतिरोधक हो और प्रदेश की जलवायु के अनुसार हो। कई बार किसान ऐसे बीजों की बुवाई कर देते हैं जिससे उत्पादन घट जाता है और किसान को उम्मीद के अनुसार लाभ नहीं मिल पाता है। इसलिए प्रमाणिक उन्नत बीजों का ही उपयोग करना चाहिए। उन्नत बीज वह होता है जिसमें आनुवांशिक शुद्धता शत-प्रतिशत हो,अन्य फसल एवं खरपतवार के बीजों से रहित हो, रोग व कीट के प्रभाव से मुक्त हो, अंकुरण क्षमता उच्च कोटि की हो, खेत में जमाव और अन्तत: उपज अच्छी हो।
किसान अपने स्वयं के बीज भी पैदा कर सकते हैं। इसके लिए किसान खड़ी फसल में से गुणवत्ता पूर्ण पौधों को कटाई के समय अलग कर सकते हैं। बीज उत्पादन के लिए लगाए गए फसल में विभिन्न पौधों के लक्षणों का निरीक्षण करके किसान यह जान सकते है कि कौन-सा पौधा बेहतर विकास कर रहा है और कौन-सा नहीं। बेहतर पौधे को एक रिबन के साथ पसंदीदा पौधों की श्रेणी में चिह्नित कर सकते हैं। कटाई के दौरान, किसान इन चिह्नित पौधों के बीज को अगली फसल के लिए सुरक्षित कर सकते हैं। इसके अलावा किसानों को चाहिए कि वे अपनी फसलों के बीज प्रत्येक 3 वर्ष में बदल कर बुआई करें।
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