Published - 04 Jun 2021 by Tractor Junction
कृषि के क्षेत्र में निरंतर नवाचार होते रहे हैं और वैज्ञानिकों की ओर से फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सतत प्रयास जारी हैं। इसी कड़ी में हाल ही में कृषि वैज्ञानिकों ने अनाज, दलहन, तिलहन, चारा, गन्ना सहित अन्य फसलों की अधिक पैदावार देने वाली 562 किस्में विकसित की गई हैं। हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री ने इन किस्मों को जारी किया है। बताया जा रहा है कि इस किस्मों का प्रयोग करके किसान बेहतर उत्पादन प्राप्त करके अधिक लाभ अर्जित करने में सक्षम हो सकते हैं। मीडिया में प्रकाशित खबरों के हवाले से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने आईसीएआर की उपलब्धियों, प्रकाशनों, नई कृषि प्रौद्योगिकियों एवं कृषि फसलों की नई किस्मों की लॉन्चिंग तथा कृतज्ञ हैकाथान के विजेताओं को पुरस्कार वितरण के कार्यक्रम अवसर पर आईसीआर के द्वारा विभिन्न फसलों के नई प्रजातियां जो वर्ष 2021-22 के लिए जारी की गई है उनकी जानकारी दी। कार्यक्रम में उन्होंने साथ ही कहा कि दलहन तथा तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए इस वर्ष किसानों के बीच उच्च उत्पादन देने वाली तथा नई विकसित किस्मों के बीजों की किट्स किसानों के बीच बांटी जाएंगी। कृषि मंत्री ने कृषि फसलों की नई किस्मों की जानकारी तथा उपलब्धियां बताई। फसल विज्ञान प्रभाग ने वर्ष 2020-21 के दौरान कृषि फसलों की 562 नई उच्च उपज देने वाली किस्में जारी किया है।
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कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने जिन किस्मों का विमोचन किया उनमें अनाज, दलहन, तिलहन, चारा, गन्ना तथा अन्य फसलें शामिल है। इसमें अनाज 223, तिलहन 89, दलहन 101, चारा फसल 37, रेशेदार फसल 90, गन्ना 14, और संभावित फसल 8 किस्में शामिल हैं। इसके अलावा विशेष गुणों वाली जौ, मक्का, सोयाबीन, चना, दालें, अरहर फसलों की 12 नई प्रजाति विकसित की गई हैं।
कृषि वैज्ञानियों की ओर से विकसित की गई विभिन्न किस्मों की विशेषताएं और लाभ बताए गए है। इसमें से कुछ किस्मों की विशेषता इस प्रकार है-
बागवानी विभाग की ओर से बागवानी फसलों की 89 प्रजातियों की पहचान की गई है। ये प्रमुख प्रजातियां और तकनीक अलग-अलग फसलों के इस प्रकार है-
संकर बैंगन काशी मनोहर : उत्पादकता 625-650 क्विंटल प्रति हैक्टेयर
बैंगन की यह किस्म जो कि जोन -7, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य के लिए विकसित की गई है। यह किस्म प्रति पौधा 90-100 फल देगी। इसके प्रति फल का वजन 90 से 95 ग्राम का है। इस प्रजाति के बैंगन का उत्पादकता 625-650 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है।
विट्ल कोको संकर : ब्लैक बीन सडऩ बीमारी के प्रति सहनशील
विट्ल कोको संकर प्रजाति की उत्पादकता 2.5 से 3 किलोग्राम सुखा बीज / वृक्ष है। इसके बीजों में वसा 50 से 55 प्रतिशत ब्लैक बीन सडऩे की बीमारी के प्रति सहनशील और केरल में उगाने के लिए टी मेष की सिफारिश की जाती है।
शिटाके खुम्ब की नई तकनीक विकसित, बेहतर पैदावार
खुम्ब की एक प्रारंभिक उत्पादन तकनीक विकसित की गई है, जिसके लिए आईसीएआर ने पेटेंट लिया है। यह तकनीक 45 से 50 दिनों की अवधि में 110 से 130 प्रतिशत की जैव- दक्षता के साथ पैदावार दे सकती है। आमतौर पर शिटाके खुम्ब की अवधि 90-120 दिन की होती है।
पशु विज्ञान प्रभाग–राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार की ओर से अश्व फ्लू के लिए के लिए मोनोक्लोनल एंटी बॉडी-आधारित एलिसा किट विकसित की गई है। आईसीआर-एनआरसीई में एक मोनोक्लोनल आधारित एंजाइम इम्यूनोएस विकसित किया है जो बहुत कम डिटेक्शन लेवल (0.25 एचए यूनिट) पर विभिन्न वंशों में एच3एन8 एंटीजन का पता लगा सकता है। इस विधि से परख करना आसान है और यह किट के रूप में उपलब्ध है जिसे एक वर्ष के लिए 4 डिग्री सेंटीग्रेट पर संग्रहित किया जा सकता है।
केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र, हिसार ने डेयरी पशुओं के यूरिन से गर्भ जांच करने के लिए प्रेग-डी नामक कीट विकसित की है, जिसमें यूरिन सैंपल से 30 मिनट में मात्रा 10 रुपए में टेस्ट किया जा सकता है।
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