खेती और पशुपालन के अनूठे मॉडल से किसान की कमाई 5 करोड़

Share Product Published - 04 Dec 2020 by Tractor Junction

खेती और पशुपालन के अनूठे मॉडल से किसान की कमाई 5 करोड़

जानें, क्या है यह अनोखा कृषि मॉडल और इससे कैसे हो सकती है अच्छी आमदनी

बिहार के एक किसान ने खेती और पशुपालन का एक अनोखा मॉडल तैयार किया है। इसे आप खेती और पशुपालन का मिश्रित मॉडल भी कह सकते हैं। हम जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की अधिकांश जनसंख्या गांव में निवास करती है और गांवों के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती और पशुपालन है। लेकिन परंपरागत तरीके से खेती करना वर्तमान समय में महंगा सौदा साबित हो रहा है। इसलिए आज आवश्यकता है कि खेती और पशुपालन का एक मिश्रित मॉडल तैयार कर इस व्यवसाय को लाभदायक बनाया जाए। और यही कर दिखाया है बिहार के एक किसान ने। जी हां, बिहार के बेगूसराय जिला के कोरैय गांव के रहने वाले 30 वर्षीय ब्रजेश कुमार ने एक ऐसा अनोखा कृषि मॉडल तैयार किया है जिससे उसे करोड़ की कमाई हो रही है। इस मॉडल की खासियत यह है कि इसमें खेती के साथ पशुपालन को जोड़ा गया है। इस मॉडल की सफलता को देखते हुए पीएम मोदी भी उनकी प्रशंसा कर चुके हैं। आइए जानते हैं किस प्रकार ब्रजेश इस मॉडल से करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। आशा करते हैं ये जानकारी हमारे किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित होगी।

 

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1


यहां से शुरू हुई युवा किसान ब्रजेश कुमार की सफलता की कहानी

बात उन दिनों की है जब ब्रजेश, साल 2010 में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेली कम्यूनिकेशन में डिप्लोमा करने के बाद सीबीएसई में नौकरी कर रहे थे, लेकिन कुछ अलग करने की चाह में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। ब्रजेश के अनुसार सीबीएसई में काम करने के दौरान उन्होंने देखा कि बच्चे सिर्फ परीक्षा पास करने के लिए कृषि कार्यों के बारे में पढ़ रहे हैं, उन्हें इससे कोई लगाव नहीं है और न ही उनके अभिभावकों का अपने बच्चों को किसान बनाने का कोई इरादा है। इससे उन्हें विचार आया कि क्यों न खेती और पशुपालन का एक ऐसा मॉडल विकसित किया जाए जिससे मानव जीवन में इसकी उपयोगिता साबित हो। बस यहां से शुरू हुई युवा किसान ब्रजेश कुमार की सफलता की कहानी।

किसान ब्रजेश ने अपने विचार को धरातल पर उतारने की ठान ली और उसके लिए प्रत्यशील हो गए। उन्होंने बिहार सरकार के समग्र विकास योजना का लाभ उठाकर करीब 15 लाख रुपए का लोन लिया और बेगूसराय में चार एकड़ जमीन लीज पर लेने के साथ ही, करीब दो दर्जन फ्रीजियन साहीवाल और जर्सी नस्ल की गायों को खरीदा। धीरे-धीरे ब्रजेश का दायरा बढऩे लगा और उन्होंने पशुओं के लिए पौष्टिक आहार और वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम शुरू कर दिया। ब्रजेश के अनुसार साल 2015 में वे राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, आणंद (गुजरात) से जुड़े। इसके तहत उन्होंने कई किसानों को प्रशिक्षण दिया। इसके बाद उन्होंने साल 2017 में, पशुपालन के साथ-साथ किसानों को खेती की पैदावार को बढ़ाने के लिए वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम भी शुरू कर दिया। ब्रजेश का मानना है कि अपने कार्यों को बढ़ावा देने के लिए नए नजरिए को अपनाना जरूरी है।

 


26 किस्म की उन्नत नस्ल की गायों का करते हैं पालन, दूध बेचकर करते हैं कमाई

ब्रजेश के पास जर्सी, साहीवाल, बछौड़, गिर आदि जैसी 26 नस्ल उन्नत नस्ल की गायें हैं जिससे प्रतिदिन 200 लीटर दूध का उत्पादन होता है। वह दूध को बरौनी डेयरी को बेचते हैं जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है। ब्रजेश के अनुसार विदेशी किस्म की गायों को पालने में काफी जोखिम है और देशी गायों से ज्यादा दूध होता नहीं है। इसे देखते हुए उन्होंने मिश्रित किस्म के गायों का पालन बेहतर समझा।

 

गायों को पालने में करते हैं आधुनिक तकनीकों का उपयोग

ब्रजेश के अनुसार गायों को पालने के लिए वे आधुनिक तरीकों का उपयोग करते हैं। जैसे कि गायों के लिए शार्टेट शूट सीमेन का इस्तेमाल करना जिससे हमेशा बछिया ही होती है। वहीं गौशाला में आत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर सरोगेसी गाय भी पाल रहे हैं, जिससे प्रतिदिन 50 लीटर दूध मिलता है।


गौशाला से लेकर गोबर गैस प्लांट तक

आज ब्रजेश की चार एकड़ जमीन पर मौसम के अनुसार मक्का, जौ, बाजरा जैसी कई चीजों की खेती की जाती है। जिससे पशुओं के लिए चारा बनाया जाता है। ब्रजेश के अनुसार उन्होंने गौशाला को दो तरीकों से बनाया है- मिल्किंग शेड और मुक्त गौशाला। जहां पशु अपनी पूरी स्वतंत्रता के साथ रह सकते हैं। वहीं इन गायों से जो गोबर प्राप्त होता है उसका उपयोग कर वर्मी कम्पोस्ट और गोबर गैस बनाने के लिए यूनिट को भी स्थापित किया है। वह अपने उत्पादों को राज्य के विभिन्न हिस्सों के किसानों को भी बेचते हैं।


किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए शुरू किया ट्रेनिंग सेंटर

ब्रजेश ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आदर्श किसान संस्थान ट्रेनिंग सेंटर शुरू किया है। इसमें वह बरौली दुज्ध संघ की मदद से एक महीने के 10 दिनों में करीब 400 किसानों को उन्नत पशुपालन की ट्रेनिंग देते हैं। इससे उन्हें लागत को कम करके अधिक आय अर्जित करने में मदद मिलती है। इस ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षित किसान आज आधुनिक तौर-तरीके अपना कर खेती और पशुपालन से अच्छी आमदनी कर रहे हैं।


उन्नत खेती की तकनीक का करते हैं भरपूर इस्तेमाल

युवा किसान ब्रजेश ने चार एकड़ की जमीन पर उन्नत तकनीक का भरपूर इस्तेमाल किया है। उन्होंने यहां शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी, गन्ना और टमाटर की खेती शुरू की। उन्होंने दो एकड़ जमीन पर शिमला मिर्च, एक एकड़ पर टमाटर और एक एकड़ पर स्ट्रॉबेरी और गन्ना लगा रखा है। वे बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने पूरी जमीन पर पहले प्लास्टिक बिछाया और बेडिंग सिस्टम के तहत उसमें छेद कर पौधा लगाया। सिंचाई के लिए उन्होंने ड्रीप इरिगेशन की व्यवस्था की। ब्रजेश के मुताबिक इस सिस्टम से प्रति एकड़ 3-4 लाख रुपए की बचत होगी। इस तरह ब्रजेश का वार्षिक टर्नओवर करीब 5 करोड़ रुपए है और उन्होंने अपने कामों को संभालने के लिए 20 लोग लगा रखें हैं। इससे गांवों के लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।


आप भी इस मॉडल को अपना का कर सकते हैं अच्छी कमाई

यह जरूरी नहीं कि इस मॉडल को बड़े पैमाने पर ही अपनाएं। आप छोटे स्तर पर भी इसे शुरू कर सकते हैं। इस मॉडल में पशुपालन को खेती के साथ करने की तकनीक विकसित की गई है और उनसे प्राप्त उत्पादों का बेहतर प्रबंधन और उपयोग समझाया गया है जिससे आमदनी बढ़ाई जा सकती है। जैसे आप खेती करते है साथ में पशुपालन भी करें। खेती में भी मिश्रित खेती को अपनाएं ताकि यदि एक फसल उत्पादन पर घाटा हो तो उसकी भरपाई दूसरी फसल से की जा सके। जैसा कि ब्रजेश अपने 4 एकड़ खेत में चार-पांच प्रकार की फसलें लेते हैं। वहीं पशुपालन के लिए एक ही किस्म की गायों का चयन नहीं करके अलग-अलग प्रकार की गायों की उन्नत नस्ल का चयन करते हैं। इससे सभी प्रकार की गायों से अच्छा उत्पादन लिया जा सकेगा।

इस आप इस उदाहरण से समझ सकते हैं- मान लें, आपने एक ही नस्ल की चार गायें लें ली और चारों गायों में कुछ खामियों की वजह से दूध की गुणवत्ता में खराबी आ गई तो फिर आप क्या करेंगे? किसान ब्रजेश ने पशुपालन में जाखिम को कम करने के लिए विभिन्न प्रकार की गायों को पालने का विचार किया। अब बात आती है गायों से प्राप्त गोबर की। गायों से प्राप्त गोबर से कम्पोस्ट खाद तैयार कर खेत में उपयोग लिया जा सकता है। जैसा कि ब्रजेश ने किया। वहीं गोबर का उपयोग गोबर गैस बनाने में किया जा सकता है। इसके अलावा गाय के मूत्र से भी कमाई की जा सकती है। आजकल तो बाजार में गाय का मूत्र दवाओं की दुकान में बिकता है। बता दें कि गाय के मूत्र में कई रोगों को खत्म करने की क्षमता है। इसलिए आज पथरेड़ा गौशाला व पंतजलि जैसी कई कंपनियां गौमूत्र बेचकर अच्छी खासी कमाई कर रही हैं।


खेती और पशुपालन में काफी संभावनाएं, युवाओं को स्वरोजगार का अवसर

खेती और पशुपालन में काफी संभावनाएं है। यदि इसे आधुनिक तरीके और एक मिशन के रूप में किया जाए तो इससे न केवल बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है बल्कि अच्छी खासी कमाई भी की सकती है। आजकल युवा पढ़लिख कर नौकरी की तलाश करते हैं। इससे बेहतर है कि वे स्वरोजगार की ओर अग्रसर हो और नए विचार के साथ उसमें नई तकनीक को विकसित कर अपनी आमदनी को बढ़ाए। इससे अन्य युवाओं भी प्ररेणा मिलेगी और आत्मनिर्भर भारत का सपना भी साकार हो सकेगा।

 

 

अगर आप अपनी  कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण,  दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।

Quick Links

Call Back Button
scroll to top
Close
Call Now Request Call Back