Published - 13 Jan 2021 by Tractor Junction
गौपालन को बढ़ावा देने के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से मंगलवार को केन्द्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने खादी और ग्रामोद्योग द्वारा विकसित एक नया पेंट लॉन्च किया। इस पेंट का नाम खादी प्राकृतिक पेंट है। दावा किया जा रहा है कि यह पेंट एंटी फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुणों के साथ एक पर्यावरण अनुकूल उत्पाद है।
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इस खादी प्राकृतिक पेंट में गाय के गोबर का इस्तेमाल हुआ है। मंत्रालय के बयान के अनुसार खादी प्राकृतिक पेंट की लागत भी कम हैं और यह गंधहीन है। इस पेंट को भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रमाणित किया गया है। बयान में कहा गया है कि यह खादी प्राकृतिक पेंट डिस्टेम्पर पेंट और इमल्शन पेंट में उपलब्ध है। इस पेंट का उत्पादन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के दृष्टिकोण से किया गया है। इस योजना पर काम मार्च 2020 में किया गया था। इस पेंट को कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट, जयपुर में विकसित किया गया है।
इस पेंट को विकसित करने का मसकद कच्चे माल के रूप में गोबर की खपत को बढ़ाना है जिससे किसानों और गौशालाओं को अतिरिक्त राजस्व प्रदान होगा। सरकार के अनुमान इस पेंट की बिक्री से किसानों को हर साल 30,000 हजार रुपये प्रति पशु आय बढ़ेगी। बयान में कहा गया है कि इससे किसान और गौशालाओं को प्रति पशु 30,000 रुपए की अतिरिक्त आय का अनुमान है।
खादी ग्रामोद्योग का वैदिक पेंट दो रूप में उपलब्ध है। पहला डिस्टेंपर पेंट और दूसरा प्लास्टिक इमल्शन पेंट। पेंट की कीमत बताते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि एक लीटर डिस्टेंपर की कीमत 120 रुपये होगी तो इमल्शन की 225 रुपये प्रति लीटर होगी। गडकरी ने कहा कि अन्य कंपनियों के पेंट की कीमतों की तुलना में ये बेहद कम है। यह प्राकृतिक पेंट पूरी तरह गंधहीन है और इसमें आम डिस्टेंपर या पेंट की तरह विषैले पदार्थ भी नहीं हैं। इतना ही नहींं, गोबर से बना होने के चलते इसमें एंटी-वायरल प्रॉपर्टीज हैं।
खादी प्राकृतिक पेंट का परीक्षण देश की तीन राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में किया गया है जिनमें नेशनल टेस्ट हाऊस मुबंई, श्रीराम इंस्टीट्यूट फोर इंड्रस्टीज रिसर्च और नेशनल टेस्ट हाऊस गाजियाबाद में किया गया है। खादी प्राकृतिक इमल्शन पेंट बीआईएस 15489: 2013 मानको को पूरा करता है तो वहीं खादी प्राकृतिक डिस्टेम्पर पेंट बीआईएस 428: 2013 मानकों को पूरा करता है। वहीं इस पेंट में इस पेंट में भारी धातुओं जैसे सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसलिए ये पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।
वैदिक पेंट का मुख्य अवयव गोबर होने से यह आम पेंट के मुकाबले सस्ता पड़ेगा। इससे रंग-रोगन कराने पर ग्राहकों की जेब पर ये भारी नहीं पड़ेगा। पर्यावरण के प्रति सुरक्षित होने से जल्दी ही इसकी पहुंंच बाजार में होने की उम्मीद की जा सकती है। सरकार के मुताबिक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के माध्यम से इसकी स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ में भी किसानों की आय के बढ़ाने को लेकर गोबर खरीद की योजना चल रही है। इसके तहत किसान पशुपालकों से गोबर की खरीद की जाती है। इसके बाद इस गोबर से जैविक खाद बनाकर किसानों को दी जाती है। इससे न केवल गोबर का इस्तेमाल हो रहा है वहीं जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। बता दें कि छत्तीसगढ़ पहला ऐसा राज्य है जिसने किसानों से गोबर की खरीद कर उसे अतिरिक्त आमदनी का एक नया जरिया दिया। इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने गांवों में गौठानों का निर्माण कराया और किसान पशुपालकों से गोबर की खरीद कर क्षेत्र में गौपालन को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
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