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हल्दी की कीमतों में आया 7 प्रतिशत का उछाल, निर्यात बढ़ने की संभावना

Share Product Published - 19 Aug 2020 by Tractor Junction

हल्दी की कीमतों में आया 7 प्रतिशत का उछाल, निर्यात बढ़ने की संभावना

क्या है हल्दी की कीमतों में तेजी का कारण और इससे क्या होगा फायदा

बाजार में हल्दी के भावों में तेजी रूख देखने को मिल रहा है। जून से लेकर अब तक हल्दी वायदा कीमतों में सात प्रतिशत का उछाल आया है। अनुमान है कि अगले  तीन महीनों से दीवाली तक हल्दी कीमतों में 8 प्रतिशत तक तेजी आ सकती है। बाजार एक्सपर्टस के अनुसार सितंबर डिलीवरी के लिए एनसीडीईएक्स हल्दी वायदा 5776 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहा है। निर्यात मांग बढऩे से हल्दी की कीमतों में तेजी आई है। बाजार एक्सपर्ट्सों के अनुसार भारत में हल्दी का कुल उत्पादन 2019-20 में 9.39 लाख टन था, जबकि दिसंबर 2019 तक वार्षिक निर्यात लगभग 1 लाख टन था। लॉकडाउन की अवधि के दौरान निर्यात में गिरावट आई थी। अब हमें निर्यात बढऩे की उम्मीद है। इससे हल्दी की कीमतों को सपोर्ट मिलेगा।

 

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हल्दी की मांग बढऩे की उम्मीद, निर्यात बढऩे की संभावना

बाजार में हल्दी मांग बढऩे का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है। व्यापारियों को उम्मीद है कि आने वाले समय में हल्दी की मांग बाजार में और बढ़ेगी। हल्दी कीमतें 6,000 - 6200 रुपए प्रति क्विंटल तक जा सकती है। वहीं निर्यात मांग के बढऩे की भी उम्मीद की जा सकती है। अनुमान है कि हल्दी की निर्यात मांग करीब 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं। गौरतलब  है कि भारत विश्व में सबसे बड़ा हल्दी उत्पादक देश है। भारत में हल्दी का विभिन्न रूपों में निर्यात जापान, फ्रांस, यू.एस.ए., यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, नीदरलैंड, सउदी अरब एवं आस्ट्रेलिया को किया जाता है।

 

 

भारत में कहां - कहां होता है हल्दी का उत्पादन

हल्दी उत्पादन में भारत नंबर वन है और दुनिया में होने वाले कुल उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 70-75 फीसदी है। भारत में हल्दी की सबसे ज्यादा खेती आंध्र प्रदेश में होती है। इसके बाद ओडीशा और तमिलानाडु का नंबर आता है। महाराष्ट्र में भी हल्दी की खेती होती है। आंध्र प्रदेश का देश के हल्दी उत्पादन में करीब 40 फीसदी का योगदान है। तमिलनाडु तीसरे नंबर है। 

 

हल्दी के भावों में तेजी आने का कारण

हल्दी में कुर्कमिन पाया जाता हैं तथा इससे एलियोरोजिन भी निकाला जाता हैं। हल्दी में स्टार्च की मात्रा सर्वाधिक होती हैं। इसके अतिरिक्त इसमें 13.1 प्रतिशत पानी, 6.3 प्रतिशत प्रोटीन, 5.1 प्रतिशत वसा, 69.4 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 2.6 प्रतिशत रेशा एवं 3.5 प्रतिशत खनिज लवण पोषक तत्व पाये जाते हैं। इसमें वोनाटाइन ऑरेंज लाल तेल 1.3 से 5.5 प्रतिशत पाया जाता हैं। इस कारण इसका उपयोग कई प्रकार की घरेलू व औषधीय दवाओं में किया जाता है। वहीं सौंदर्य प्रसाधन वाली कंपनियां भी अपने उत्पाद में इसका प्रयोग करती है। भारत में इसका उपयोग सब्जी बनाने के साथ ही घरेलू नुस्कों में किया जाता है। इसकी उपयोगिता के कारण औषधीय उद्योग, निर्यात और घरेलू खपत अधिक होने से बाजार में हल्दी की मांग बढ़ रही है। 

 

किसानों व व्यापारियों को होगा फायदा

हल्दी के भावों में तेजी यदि इसी तरह बरकार रहती है तो किसानों को आगामी हल्दी की फसल के अच्छे दाम मिल सकते हैं। क्योंकि भावों में तेजी को देखते हुए व्यापारी इसका अपने पास भरपूर स्टॉक रखना चाहेंगे। वहीं इसके निर्यात में बढ़ोतरी होने की संभावना भी जताई जा रही है। इसका फायदा किसानों को होगा। वहीं व्यापारियों को भी ऊंचे दामों पर इसकी बिक्री करके मुनाफा होगा। हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि देश में इस बार हल्दी का उत्पादन कितना बढ़ता है।

 

 

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