प्रकाशित - 10 Sep 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
ग्रामीण इलाकों में बकरी पालन व्यवसाय काफी किया जाता है। इस व्यवसाय की खास बात ये हैं कि इसमें इसे कम लागत में शुरू किया जा सकता है। बकरी पालन पर किसानों को पशुपालन विभाग की ओर से प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें किसानों को बकरी पालन के तरीके और लाभों की जानकारी दी जाती है। इसी क्रम में पिछले दिनों मध्यप्रदेश में बकरी पालन बढ़ाने के लिए पशुपालन सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें बकरी पालन के लाभों व बकरी के उपयोग पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने भोपाल में प्रदेश के पहले बकरी पालन को प्रोत्साहन एवं उद्यमिता विकास हेतु पशुपालक सम्मेलन का शुभारंभ कर संबोधित किया। मंत्री पटेल ने कहा कि आधुनिक तकनीक अपना कर पशुपालन विभाग के सहयोग से बकरी पालन करें और अच्छी आय अर्जित करें। उन्होंने बकरी पालकों को बैंक ऋण लेने में आ रही कठिनाइयों को दूर करने का आश्वासन दिया। प्रबंध संचालक एमपीसीडीएफ श्री तरुण राठी और राज्य कुक्कुट विकास निगम एवं पशुधन श्री एच.बी.एस.भदौरिया भी मौजूद थे।
अपर मुख्य सचिव पशुपालन एवं डेयरी श्री जे.एन. कंसोटिया ने कहा कि बकरी उत्पाद की मांग बाजार में बढ़ रही है। प्रदेश में उच्च नस्ल के बकरी वंश को बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम चिह्नित जिलों से आरंभ कर जल्द ही पूरे प्रदेश में शुरू किया जाएगा। वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन (bakri palan) और समय पर टीकाकरण, व्यवसाय को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। कंसोटिया ने सम्मेलन में भाग ले रहे विषय-विशेषज्ञों, पशु चिकित्सकों और बकरी पालकों से कहा कि परंपरागत गेहूं, मक्का, गुड़ के विकल्प में बकरी का चारा तैयार करने पर मंथन करें। कंसोटिया ने बताया कि कुक्कुट व्यवसाय को पिछले साल से पंजीकृत किया जा रहा है। अब बकरी पालन को भी पंजीकृत किया जाएगा।
वेटनरी काउंसिल ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष डॉ. उमेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि बकरी पालन में मध्यप्रदेश देश में पांचवें स्थान पर और विश्व में भारत दूसरे स्थान पर है। बकरी की उच्च नस्ल के लिये कृत्रिम गर्भाधान बहुत जरूरी है। अच्छी नस्ल का बकरा एक से डेढ़ लाख रुपए में मिलता है। कृत्रिम गर्भाधान से पालक को यह सुविधा हिमीकृत स्ट्रॉ से मात्र 70 रुपए में उपलब्ध हो जाएगी।
संचालक डॉ. आर.के मेहिया ने कहा कि प्रदेश में पिछली पशु गणना के मुकाबले बकरी संख्या में 38 प्रतिशत की वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि बकरी पालन के प्रति लोगों में रूझान बढ़ा है। कार्यक्रम में पं. दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के डॉ. मुकुल आनंद और नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्व विद्यालय के विषय-विशेषज्ञों ने भी बकरी पालन के वैज्ञानिक तरीकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। पिछले 22 साल से बकरी व्यवसाय कर रहे धार के दीपक पाटीदार और देश-विदेश में नौकरी कर चुके टेलीकॉम इंजीनियर से आज सफल बकरी पालक बन चुके भोपाल के श्री हेमंत माथुर ने रोचक ढंग से अपनी सफलता की कहानियां साझा की। प्रदेश भर से आये पशुपालकों के प्रश्नों का भी समाधान कार्यक्रम में किया गया। उप संचालक डॉ. अनुपम अग्रवाल ने संचालन किया और संयुक्त संचालक डॉ. पटेल ने आभार जताया।
सम्मेलन में सफल बकरी पालक किसानों ने अन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे किसानों को सफल बकरी पालन के तरीकों से अवगत कराया। इस दौरान उन्होंने बकरी पालन के संबंध में जो टिप्स या तरीके बताए वे इस प्रकार से हैं
बकरी पालन (Goat farming) को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से बकरी पालन पर सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसके लिए बैंक लोन भी मिलता है। विभिन्न राज्य सरकारें बैंकों और नाबार्ड के सहयोग से बकरी पालन को बढ़ाने के लिए सब्सिडी योजनाएं प्रदान करती हैं। इसके तहत किसान ग्राहकों को 2.5 लाख रुपए तक की अधिकतम सब्सिडी की सुविधा प्रदान करती है। इसमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के साथ बीपीएल श्रेणी के किसान-पशुपालकों को 33 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान है। वहीं ओबीसी श्रेणी के किसान-पशुपालकों को अधिकतम 25 फीसदी सब्सिडी दी जाती है। ये सुविधा नाबार्ड से जुड़ी वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, राज्य सहकारी बैंक, शहरी बैंकों आदि संस्थाओं की ओर से प्रदान की जाती है।
देश नाबार्ड के तहत आने वाले बैंक बकरी पालन के लिए किसानों को लोन देते हैं। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, केनरा बैंक आदि बैंक शामिल हैं। ये बैंक बकरी पालन के लिए 50 हजार से लेकर 50 लाख तक लोन उपलब्ध कराते हैं। यदि आप 10 बकरियों से बकरी पालन का बिजनेस शुरू करते हैं आपको 4 लाख रुपए का लोन मिल सकता है। इन बैंकों के अलावा नाबार्ड की तरफ से भी किसानों को लोन और सब्सिडी की सुविधा प्रदान की जा रही है। बकरी पालन के लिये ऋण लेने वाले किसानों और पशुपालकों को सालाना 11.20 प्रतिशत की दर से ऋण का भुगतान करना होता है।
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