Published - 04 Jun 2021 by Tractor Junction
बंगाल, बिहार और असम में राजस्थान के सरसों की जोरदार मांग बनी हुई है। यहां की सरसों की गुणवत्ता और तेल की मात्रा अधिक होने से इसकी मांग में इजाफा हुआ है। इससे किसानों को सरसों के बाजार में बेहतर भाव मिल रहे हैं। वहीं मंडियों में अब सरसों की आवक कम हो रही है। इसके पीछे कारण साफ है कि किसानों को बाजार में एमएसपी से अधिक भाव मिल रहे हैं। इससे इस समय सरसों किसानों की चांदी हो रही है और उन्हें बाजार में सरसों के अच्छे भाव मिल रहे हैं। वहीं दूसरी एक बार फिर खाद्य तेलों में तेजी आई है। इससे सरसों सहित अन्य खाद्य तेलों के भाव बढ़ गए हैं। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार विदेशी बाजारों में तेल कीमतों में मजबूती के रुख तथा मांग बढ़ने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सरसों, मूंगफली तेल तिलहन, सोयाबीन तेल सहित ज्यादातर तेलों के दाम बढ़ गए हैं।
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बाजार सूत्रों के अनुसार यदि किसानों को तिलहनों के अच्छे दाम मिले तो वे खुद ही उत्पादन बढ़ाने की क्षमता रखते हैं। जब देश में तिलहनों का उत्पादन बेहतर होगा तो हमें बाहर से इसे आयात करने की जरूरत नहीं होगी। सूत्रों के अनुसार इंडोनेशिया ने जो कदम उठाया है उससे हमें यह सबक लेना चाहिए कि हम देश में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के हर संभव प्रयास करें ताकि इसके आयात की निर्भरता को हमेशा के लिए समाप्त किया जा सके।
बाजार सूत्रों के अनुसार इंडोनेशिया द्वारा पामतेल पर निर्यात शुल्क में वृद्धि किए जाने के बाद मलेशिया एक्सचेंज में पामतेल के भाव में पांच प्रतिशत सुधार देखने को मिला। इसका तेल तिलहन कारोबार पर असर पड़ा और भाव लाभ दर्शाते बंद हुए। बाजार सूत्रों के अनुसार मलेशिया एक्सचेंज में 5 प्रतिशत और शिकागो एक्सचेंज में दो प्रतिशत की तेजी देखी गई, जिसका स्थानीय तेल तिलहन कीमतों पर असर हुआ।
इस समय मंडियों में सरसों की आवक कम हो रही है और किसान नीचे भाव पर फसल बेचने को राजी नहीं हैं। बंगाल, बिहार और असम की ओर से राजस्थान के सरसों तेल मिलों में सरसों तेल की जोरदार मांग है। मांग बढऩे और मंडियों में कम आवक के कारण सरसों तेल तिलहन के भाव लाभ दर्शाते बंद हुए। एफएसएसआई के मुताबिक आठ जून से खाद्य तेलों में सरसों तेल की मिलावट नहीं की जाएगी।
क्रमांक | फसल का नाम | एमएसपी 2021 |
1. | गेहूं | 1975 रुपए प्रति क्विंटल |
2. | रेपसीड या सरसों | 4650 रुपए प्रति क्विंटल |
3. | मसूर | 5100 रुपए प्रति क्विंटल |
4. | जौ | 1600 रुपए प्रति क्विंटल |
5. | चना | 5100 रुपए प्रति क्विंटल |
6. | कुसुम | 5327 रुपए प्रति क्विंटल |
केंद्र सरकार की ओर से सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4650 रुपए तय किया गया है जो बाजार भाव से बहुत कम है। जबकि खुली मंडियों में बोली भाव ही 6200 से 6600 रुपए चल रहे हैं। वहीं बाजार में व्यापारियों द्वारा किसानों ने सरसों 7000 रुपए से ऊपर के भावों पर खरीदी जा रही है। इससे किसानों का रुख अब सरकारी दर पर सरसों बेचने से हटकर बाजार में सरसों का विक्रय करने का बना हुआ है जिससे मंडियों में सरसों की आवक घट रही है।
जयपुर- 7300-7325 रुपए, दिल्ली- 6950-6975, आगरा सलोनी- 7750+50, कोटा सलोनी- 7800+50, अलवर सलोनी- 7800+100, शमशाबाद- 7800, बीपी आगरा-7500 रुपए, कोलकाता एमपी और यूपी-7150 रुपए, हरियाणा और राजस्थान- 7400 रुपए, मोरेना और ग्वालियर- 6900 रुपए, इटावा-6400-6600 रुपए, हापुड-7250-7300 रुपए, बरवाला-6300-6400 रुपए, हिसार-6300-6325 रुपए, चरखी दादरी- 6600-6800 रुपए, गंगानगर-6400-6700 रुपए, खैरथल-6900-7000 रुपए, अलवर-6800-6900 रुपए, मुरैना-6600-6650 रुपए, पोरसा-6550-6625 रुपए प्रति क्विंटल भाव रहा।
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