Published - 27 Jul 2021 by Tractor Junction
सरसों के साथ ही सोयाबीन के भावों में तेजी का रूख दिखाई दिया है। 26 जुलाई को राजस्थान की रामगंज मंडी में 9000 से 9600 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गया। इसी प्रकार अन्य मंडियों में सोयाबीन के भावों में तेजी दिखाई दी। बता दें कि इस साल सोयाबीन के भाव पिछले साल से काफी अधिक है। इससे ये उम्मीद की जा रही है कि यदि इस साल सोयाबीन के भाव उच्च स्तर पर बने रहे तो सोयाबीन किसानों को इस बार अपनी उत्पादित सोयाबीन की उपज का बेहतर मूल्य सकेगा। बता दें कि पिछले दो सालों से सोयाबीन उत्पादित कई राज्यों में फसल को बाढ़ से नुकसान हुआ जिससे सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित हुआ। इससे बाजार में पर्याप्त मात्रा में सोयाबीन की आवक नहीं होने से इसके भावों में तेजी जारी है। बाजार जानकारों का मानना है कि इस पूरे साल सोयाबीन के भाव कुछ उतार-चढ़ाव के साथ उच्च स्तर पर बने रहने की उम्मीद है।
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बाजार जानकारों का कहना है कि यदि पूरे साल सोयाबीन के भाव उच्च स्तर पर बने रहे तो सोयाबीन की नई फसल आने पर किसानों को बाजार में उसके अच्छे भाव मिलने की उम्मीद है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार सोयाबीन का बाजार अच्छा चल रहा है जो करीब अधिकम 8600 प्रति क्विंटल तक की कीमतें देखने को मिली है, जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुनी भाव तक है। मंडी भाव जानकारों और व्यापारी वर्ग के अनुमान से बताया जा रहा है कि इस वर्ष की फसलों का भाव भी 6000 से लेकर 7000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रहने का अनुमान है। यह भाव अब बाजार में स्थिर माने जा रहे हैं।
शाकाहारी मनुष्यों के लिए इसको मांस भी कहा जाता है क्योंकि इसमें बहुत अधिक प्रोटीन होता है। सोयाबीन में 46 प्रतिशत प्रोटीन, 22 प्रतिशत तेल, 21 प्रतिशत कार्बोहाइडेंट, 12 प्रतिशत नमी तथा 5 प्रतिशत भस्म होती है। सोया प्रोटीन के एमीगेमिनो अम्ल की संरचना पशु प्रोटीन के समकक्ष होती हैं। अत: मनुष्य के पोषण के लिए सोयाबीन उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत हैं। कार्बोहाइडेंट के रूप में आहार रेशा, शर्करा, रैफीनोस एवं स्टाकियोज होता है जो कि पेट में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए लाभप्रद होता हैं। सोयाबीन तेल में लिनोलिक अम्ल एवं लिनालेनिक अम्ल प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये अम्ल शरीर के लिए आवश्यक वसा अम्ल होते हैं। इसके अलावा सोयाबीन में आइसोफ्लावोन, लेसिथिन और फाइटोस्टेरॉल रूप में कुछ अन्य स्वास्थवर्धक उपयोगी घटक होते हैं।
इस बार सोयाबीन का बेहतर उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि मानसून की देरी के कारण किसानों को फसल के सूखने की चिंता सता रही है। इस बार मानसून अपने तय समय से देरी से है। यदि इस बार अच्छी बारिश हुई तो किसानों को सोयाबीन का बेहतर उत्पादन मिल सकता है। बता दें कि पिछले वर्ष है विदेशों में मौसम की विपरीत अनुकूलता के साथ उत्पादन कम हो पाया था तथा मांग भी ज्यादा थी। लेकिन इस वर्ष किसान भाई सोयाबीन की खेती करने में लगे हुए हैं। देश में सोयाबीन की बुवाई को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष अच्छा उत्पादन का अनुमान है।
इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान जारी कि गए अनुमान के अनुसार सोयाबीन का राष्ट्रीय रकबा 10 फीसद बढक़र 132 लाख हेक्टेयर के आसपास रहने का अनुमान है। सोपा के चेयरमैन डेविश जैन ने मीडिया को बताया कि हमें लगता है कि इस बार देश में सोयाबीन के रकबे में करीब 10 फीसदी का इजाफा होगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 के खरीफ सत्र के दौरान देश में करीब 120 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया था, जबकि इसकी पैदावार 105 लाख टन के आसपास रही थी। इधर फसल वर्ष 2020-21 के लिए जारी कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, देश भर में खरीफ सोयाबीन की उपज 1 करोड़ 34 लाख 14 हजार टन से ज्यादा हो सकती है। जो बीते साल की समान अवधि के दौरान 1 करोड़ 12 हजार टन रही थी।
सोयाबीन का भारत में 12 मिलियन टन उत्पादन होता है। यह भारत में खरीफ की फसल है। भारत में सोयाबीन का अग्रणी उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश है, जो भारत के कुल सोयाबीन उत्पादन में 49.93 प्रतिशत का योगदान देता है। महाराष्ट्र का 34.09 प्रतिशत तथा राजस्थान का 11.85 प्रतिशत का योगदान है। मध्यप्रदेश में इंदौर में सोयाबीन रिसर्च सेंटर है। विश्व का 60 प्रतिशत सोयाबीन अमेरिका में पैदा होता है।
केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2021-22 के खरीफ मार्केटिंग सीजन (केएमएस) के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3950 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। एमएसपी की यह दर पिछले सत्र के मुकाबले 70 रुपए प्रति क्विंटल अधिक है। वहीं सोयाबीन का बाजार भाव सरकारी दर से काफी अधिक है इससे ये उम्मीद की जा रही है कि इस बार बाजार में अच्छे भाव मिलने से किसान एमएसपी पर अपनी सोयाबीन की फसल बेचने से परहेज करेंगे।
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