मूली की इन टॉप 5 किस्मों की करें बुवाई, होगी बंपर कमाई

Share Product प्रकाशित - 21 May 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

मूली की इन टॉप 5 किस्मों की करें बुवाई, होगी बंपर कमाई

जानें मूली की इन पांच किस्मों की विशेषता और लाभ

अभी खरीफ (Kharif) की फसलों की बुवाई में समय है, इस बीच किसान सब्जियों की खेती (Cultivation of Vegetables) करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। सब्जियों में मूली की खेती (Radish Farming) कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल मानी जाती है। आमतौर पर मूली की फसल को पकने में 40 से 50 दिन का समय लगता है। इसकी बाजार मांग होने से इसकी फसल बहुत जल्द बाजार में बिक जाती है। मूली को कच्चा सलाद के रूप में तो खाया ही जाता है। साथ ही इसकी सब्जी और परांठे भी बनाए जाते हैं। स्टोन की प्रॉब्लम में तो मूली का रस लेने की सलाह दी जाती है। मूली शरीर में पानी की कमी को पूरा करती है और साथ ही पाचन क्रिया सुधारने में सहायक होती है। बता दें कि यदि मूली की उन्नत किस्मों की खेती (Cultivation of Improved Varieties) की जाए तो इससे काफी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक मूली की यूरोपियन प्रजातियों से करीब 80 से 100 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। वहीं इसकी देसी किस्मों से 250 से 300 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। बाजार में कम से कम कीमत पर भी इसको बेचा जाए तो भी मूली को 500 से लेकर 1200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेचा जा सकता है। इस तरह प्रति हैक्टेयर खेत में मूली की फसल लगाकर 1.5 लाख रुपए की कमाई आसानी से की जा सकती है।

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मूली की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में (Radish Advanced Varieties)

मूली की कई किस्में ऐसी है जो पूरे साल उगाई जा सकती है। इसमें मूली की एशियन और यूरोपियन किस्म शामिल है। सिंचाई की समुचित व्यवस्था होने पर इस किस्मों की खेती पूरे साल की जा सकती है। वैसे तो मूली की कई प्रकार की किस्में हैं लेकिन यूरोपियन और एशियन किस्में कम समय में तैयार हो जाती हैं। साथ ही उनका उत्पादन भी अच्छा मिलता है।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको मूली की एशियन और यूरोपियन किस्मों में से चुनिंदा 5 किस्मों की जानकारी दे रहे हैं जो अधिक उत्पादन देती हैं। तो आइये जानते हैं मूली की टॉप 5 किस्मों के बारे में।

पूसा हिमानी (Pusa Glacier)

मूली की इस किस्म की जड़ें 30 से 35 सेंटीमीटर लंबी और मोटी होती है। इसका स्वाद हल्का तीखा होता है, लेकिन खाने में स्वादिष्ट होती है। ये किस्म बुवाई के 50 से 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है। मूली इस किस्म की औसत पैदावार 320 से 350 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है।

पंजाब पसंद (Punjab Choice)

यह मूली की जल्दी पकने वाली किस्म है। खास बात यह है कि इस किस्म की बुवाई बेमौसम में भी की जा सकती है। इसकी जड़ें लंबी, रंग सफेद और बालों रहित होती है। ये बुवाई के 45 दिन बाद पककर तैयार हो जाती है। मुख्य मौसम में इसकी औसतन पैदावार 215 से लेकर 235 क्विंटल प्रति हैक्टेयर और बेमौसम में इसकी औसत पैदावार 150 क्विंटल तक प्राप्त की जा सकती है।

जापानी सफेद (japanese white)

मूली की इस किस्म की जड़ें सफेद, 15 से 22 सेंटीमीटर बेलनाकर, कम तीखी, मुलायम और चिकनी होती हैं। यह किस्म बुवाई से 45 से 55 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से 250 से लेकर 300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

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पूसा रेशमी (Pusa Silk)

मूली की इस किस्म की जड़ें 30 से 35 सेंटीमीटर लंबी, मध्यम मोटाई वाली होती है। यह समान रूप से चिकनी और हल्की तीखी होती है। यह किस्म बुवाई से करीब 55 से लेकर 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से करीब 315 से लेकर 350 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

रैपिड रेड व्हाईट टिपड (Rapid Red White Tipped) 

मूली की इस किस्म का छिलका लाल रंग का होता है जो कुछ सफेदी लिए होता है। इसकी जड़ें छोटे आकार की होती है। इनका गूदा सफेद रंग का होता है। ये स्वाद में चरपरी होती है। इस किस्म की मूली की किस्म बुवाई से करीब 25 से 30 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

स्कारलेटग्लोब (Scarlet Globes)

  • मूली की इस किस्म की जड़ें छोटी, मुलायम और ग्लोब के आकार की होती है। इसकी जड़ें खाने में बहुत स्वादिष्ट हाेती है। बुवाई के 25 से 30 दिन के अंदर ही यह किस्म तैयार हाे जाती है।
  • मूली की अन्य उन्नत किस्में (Other improved varieties of radish)
  • मूली की अन्य उन्नत किस्में भी काफी प्रचलित है जिनमें पूसा देशी, पूसा चेतकी, अर्का निशांत, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पंजाब अगेती, पंजाब सफेद, आई.एच. आर1-1 एवं कल्याणपुर सफेद अच्छी मानी जाती है।

मूली की बुवाई का तरीका (Radish sowing method)

मूली के बीजों की बुवाई खेत की मेड़ों अथवा समतल क्यारियों में की जा सकती है। बुवाई के समय लाइन से लाइन अथवा मेड़ों से मेड़ों की दूरी 45 से 50 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। वहीं इसकी ऊंचाई 20 से 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए। यदि पौधे से पौधे की दूरी की बात की जाए तो इसके पौधे से पौधों के बीच की दूरी 5 से 8 सेंटीमीटर रखना पर्याप्त है। मूली के बीजों को 3 से 4 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए ताकि बीजों का जमाव ठीक से हो सके। बीजों को बुवाई से पहले उपचारित जरूर कर लेना चाहिए। इसके लिए 2.5 ग्राम थीरम से एक किलोग्राम बीज की दर से इसे उपचारित करना चाहिए। यदि आप जैविक तरीके से मूली की खेती करना चाहते हैं तो आप 5 लीटर गौमूत्र प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजों को उपचारित कर सकते हैं।

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