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आलू व सोया खल में आई गिरावट, बाजरा निर्यात को लेकर बनेगी कार्य योजना

Share Product Published - 16 Jan 2021 by Tractor Junction

आलू व सोया खल में आई गिरावट, बाजरा निर्यात को लेकर बनेगी कार्य योजना

जानें, कितनी आई गिरावट और क्यों? और आगे क्या?

इन दिनों बाजार में आलू व सोया खल में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं बाजरे के अच्छे उत्पादन को देखते हुए उसके निर्यात की कार्ययोजना बनाने पर जोर दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार सप्लाई बढऩे से आलू की कीमतों में बड़ी गिरावट आई है। नवंबर के उच्चतम स्तर से भाव करीब 70 प्रतिशत तक गिर चुके हैं। नवंबर के आखिरी सप्ताह में आलू के दाम 2,900-2,750 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पतित पाबन डे ने मीडिया को दी गई जानकारी में बताया कि कीमतें वास्तव में अधिकांश क्षेत्रों में 800 रुपए प्रति क्विंटल से नीचे हैं। नई फसल पिछले साल की तुलना में अधिक है, क्योंकि किसानों ने इस साल आलू की बुआई बढ़ाई है।

 

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इन शहरों में आलू के यह चल रहे हैं भाव

  • आगरा की कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) में आलू का भाव 850 रुपए से 900 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है।
  • पंजाब और पश्चिम बंगाल के अधिकांश बाजारों में आलू की कीमतें 1,000 रुपए प्रति क्विंटल से कम हैं। पिछले साल इसी दौरान आगरा में आलू की कीमतें 1,250 रुपए प्रति क्विंटल थी। वहीं पंजाब में 1,600 रुपए और बंगाल में 1,500 रुपए थीं।
  • उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली में आलू की कीमतें 21 रुपए प्रति किलोग्राम हैं। पिछले साल 30 जनवरी को आलू की कीमत 45 रुपए प्रति किलोग्राम थी।
  • मुंबई में आलू कीमतें 32 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गईं हैंं। पिछले साल यही आलू 52 रुपए प्रति किलोग्राम बिका।

 


बर्ड फ्लू ने घटाई सोया खली की मांग, एक लाख टन खपत कम होने का अनुमान

देश के अलग-अलग राज्यों में बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद पशु-पक्षियों का आहार बनाने वाली इकाइयों में सोया खली की मांग घट गई है। ऐसे में जनवरी में इस प्रोटीनयुक्त उत्पाद की घरेलू खपत में एक लाख टन की गिरावट दर्ज की जा सकती है। प्रसंस्करणकर्ताओं के एक संगठन के शीर्ष पदाधिकारी ने यह आशंका जताई है। मीडिया में प्रकाशित खबरों के हवाले से इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के चेयरमैन डेविश जैन ने बताया कि देश में पशु-पक्षियों का आहार बनाने वाली इकाइयों में गत दिसंबर के दौरान करीब 5.5 लाख टन सोया खली की खपत हुई थी।

जनवरी में भी हम इस उत्पाद की इतनी ही खपत की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद इन इकाइयों की मांग घट गई है। उन्होंने बताया, इन हालात में पशु-पक्षियों का आहार बनाने वाली इकाइयों में सोया खली की घरेलू खपत जनवरी में घटकर 4.5 लाख टन के आसपास रह सकती है। बता दें कि सोया खली से बने मुर्गियों के दाने की सबसे ज्यादा खपत पॉल्ट्री फार्मों में होती है। देश में सबसे ज्यादा आंध्रप्रदेश व तमिलनाडु में पॉल्ट्री फार्मों की संख्या है जहां इसकी खपत सबसे अधिक होती है।

 

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बाजरा उत्पादों का निर्यात बढ़ाने की कार्ययोजना बना रहा है एपीडा

कृषि उत्पाद निर्यात निकाय एपीडा बाजरा और बाजरा उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के लिए वर्ष 2021 से 2026 तक की योजना तैयार कर रहा है। सरकार ने मीडिया को यह जानकारी दी। मीडिया में प्रकाशित जानाकारी के अनुसार वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा कि एपीडा द्वारा विकसित किसान कनेक्ट पोर्टल पर जैविक बाजरा उगाने वाले समूहों, एफपीओ (किसान उत्पादक संगठनोंत्र के पंजीकरण और बाजरा के निर्यातकों की पहचान के प्रयास किए जाएंगे। ये खरीद और बिक्री गतिविधियों के लिए बातचीत में मदद करेंगे, और भारतीय बाजरा को बढ़ावा देने के लिए नए संभावित अंतरराष्ट्रीय बाजारों की पहचान करेंगे।

बता दें कि हाल ही में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने आईएफएडी द्वारा वित्त पोषित आंध्र प्रदेश सूखा शमन परियोजना (एपीडीएमपी) के साथ मिलकर ने बाजरा निर्यातकों और एफपीओ के साथ एक ऑनलाइन क्रेता-विक्रेता बैठक आयोजन किया था ताकि लिंकेज स्थापित किया जा सके। एपीडा भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) और अन्य अंशधारकों के साथ बातचीत कर रहा है। ताकि पांच साल की परिप्रेक्ष्य योजना बन सके।

 

 

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