Published - 19 May 2020 by Tractor Junction
कोरोना महामारी दौरान चल रहे लॉकडाउन ने सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है। इसका असर कृषि के क्षेत्र में भी दिखाई दिया है। जो प्याज किसानों के लिए मुनाफे का सौदा मानी जाती थी अब वहीं प्याज आज किसानों को रूला रही है। लॉकडाउन के चलते मांग कम होने से प्याज के भावों में लगातार गिरावट आ रही है। हालात यह है कि प्याज के दाम इतने गिर गए है कि किसान को उसका लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। मंडियों में प्याज पिछले साल की तुलना में 25 फीसदी सस्ता बिक रहा है
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अखिल भारतीय सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष व महाराष्ट्र के सब्जी किसान श्रीराम गाढवे के अनुसार महाराष्ट्र में प्याज उगाने और इसे मंडी में बेचने ले जाने की कुल लागत करीब 900 रुपये प्रति क्विंटल है। इस समय किसानों को मंडियों में प्याज का भाव 700 रुपये क्विंटल ही मिल रहा है। इस भाव पर किसानों को मुनाफा व लागत तो छोडिए उल्टा 200 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है।
लॉकडाउन के चलते होटल, रेस्टोरेंट व ढावों पर पहले से ही कमजोर बनी हुई है वहीं मंडी में सरकार के सख्त नियमों के कारण यहां खरीददार कम ही आ पा रहे है जिससे मंडी में आने वाला पूरा प्याज नहीं बिक पा रहा है। बाजार में मांग कम होने से मजबूरन किसानों को कम दाम पर प्याज बेचना पड़ रहा है। हालत ये है कि किसानों को लागत मूल्य से भी नीचे भाव में प्याज बेचना पड़ रहा है।
प्याज की कीमतों में गिरावट के कारणों में एक कारण यह भी है देश का प्याज बाहर नहीं जा पा रहा जिससे इसकी मांग पर असर पड़ा है। और मांग कमजोर होने से इसके दाम लगातार गिर रहे है। गौरतलब है कि भारत से बंगलादेश, पाकिस्तान, नेपाल, मलेशिया व श्रीलंका आदि देशों में प्याज का निर्यात किया जाता रहा है। लेकिन कुछ समय पहले सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा रखी है।
इस वर्ष प्याज की अच्छी पैदावार के संकेत है। अनुमान है कि वर्ष 2019-20 में प्याज का उत्पादन 2.44 करोड़ टन होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष की तुलना में 7 फीसदी अधिक है। गौरलतब है कि 2018-19 में प्याज का उत्पादन 2.28 करोड़ टन हुआ था।
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