Published - 19 Aug 2020 by Tractor Junction
मेंथा आयल की कीमतों में जोरदार तेजी देखने को मिली। इससे अब मैंथा ऑयल 1000 रुपए को पार करते हुए 1021 रुपए प्रति किलो हो गया है। बुधवार को मेंथा ऑयल में तेजी देखने को मिली। आज सुबह 10.30 बजे के आसपास एमसीएक्स पर मेंथा ऑयल का अगस्त कॉन्ट्रैक्ट 18.80 रुपए था या 1.88 फीसदी की तेजी के साथ 1021 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा था। मेंथा ऑयल में तेजी को लेकर बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि सप्लाई घटने से मैंथा ऑयल में जोरदार तेजी दिखाई दे रही है।
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किसानों का करीब 70-80 फीसदी फसल मेंथा ऑयल बाजार में आ चुका है। साथ ही कंपनियों की तरफ से खरीदारी बढ़ी है, क्योंकि आगामी सर्दियों के सीजन से पहले कंपनियां मेंथा ऑयल का स्टॉक करना शुरू कर देती हैं। इस साल मेंथा ऑयल का उत्पादन 52 हजार से 56 हजार टन के बीच रह सकता है। इस साल मेंथा ऑयल का उत्पादन 40 फीसदी ज्यादा रहने का अनुमान है। बता दें कि फार्मा और एफएमसीजी कंपनियां साबुन, सैनिटाइजर और कफ सीरप बनाने में मेंथा ऑयल का इस्तेमाल करती हैं। इसके अलावा पान मसाला उद्योग में भी मेंथा ऑयल की काफी मांग रहती है।
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मांग घटने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली। अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 6 सेंट या 0.1 फीसदी की गिरावट के साथ 45.31 डॉलर प्रति बैरल हो गई। सोमवार को ब्रेंट क्रूड का दाम 1.3 प्रतिशत चढ़ा था। अमेरिकी क्रूड भी मंगलवार को 8 सेंट या 0.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ $42.81 प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। सोमवार को यह 2.1 फीसदी चढ़ा था। कच्चे तेल की गिरावट के पीछे कारण यह है कि ओपेक और उसके सहयोगी देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में भारी कटौती की है। जुलाई में इन देशों में कच्चे तेल के उत्पादन में लगभग 97 प्रतिशत की कमी आई है।
कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर में कच्चे तेल की मांग घटने से इसके उत्पादन में कटौती की गई है। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और सहयोगी देशों ने अगस्त में भी उत्पादन में रोजाना 77 लाख बैरल कटौती पर सहमति जताई है। यूरेशिया समूह ने एक नोट में कहा कि ओपेक देश कच्चे तेल की कीमतों में और कमी बर्दाश्त नहीं कर सकते, क्योंकि सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था पेट्रोलियम निर्यात से होने वाले राजस्व पर बहुत अधिक निर्भर करती है। अमेरिकी तेल कंपनियां भी सप्लाई में कटौती का फायदा उठा रही हैं। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन ने पिछले हफ्ते कच्चे तेल की वैश्विक खपत के अनुमान को घटाकर कम कर दिया है।
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