40 फीसदी उत्पादन बढ़ने से मेंथा ऑयल की कीमतों में गिरावट

Share Product Published - 16 Jul 2020 by Tractor Junction

40 फीसदी उत्पादन बढ़ने से मेंथा ऑयल की कीमतों में गिरावट

किसानों का देरी से फसल को मंडियों लाना बना मुख्य कारण

इस वर्ष मेंथा ऑयल का उत्पादन 40 फीसदी बढऩे का अनुमान है। इससे बाजार में मेंथा ऑयल की कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है। गुरुवार को मेंथा ऑयल की कीमतों में गिरावट जारी रही। गुरुवार को आसपास एमसीएक्स पर मेंथा ऑयल का जुलाई कॉन्ट्रैक्ट 0.009 फीसदी की गिरावट के साथ 973.70 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार हुआ।

वहीं बुधवार को मेंथा ऑयल का भाव 0.55 फीसदी गिरकर 974.60 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुआ था। इस संबंध में केडिया कमोडिटी के एमडी अजय केडिया का कहना है कि इस साल मेंथा ऑयल का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले करीब 40 फीसदी बढऩे का अनुमान है। इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक, इस साल मेंथा ऑयल का उत्पादन 52 हजार से 56 हजार टन के बीच रह सकता है।

इसके अलावा बाराबंकी की मंडियों में मेंथा ऑयल की सप्लाई बढ़ी है। भारी बारिश के चलते किसान करीब हफ्तेभर की देरी के बाद अपनी फसल मंडियों में ला रहे हैं। पश्चिमी यूपी के सभी उत्पादक इलाकों में भी सप्लाई बढ़ी है। इस वजह से मेंथा ऑयल की प्रमुख मंडियों में से एक संभल में हाजिर मेंथा ऑयल का भाव बुधवार को 6 रुपये से ज्यादा टूटकर 1087 रुपये बोला गया। इसका असर वायदा पर भी दिखाई दिया।

 

 

कहां होता है मेंथा ऑयल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल

मेंथा ऑयल का इस्तेमाल फार्मा इंडस्ट्री, कास्मेटिक इंडस्ट्री, एफएमसीजी सेक्टर के साथ ही कंफेक्शनरी उत्पादों में सबसे ज्यादा होता है। फार्मा और एफएमसीजी कंपनियां साबुन, सैनिटाइजर और कफ सीरप बनाने में मेंथा ऑयल का भी इस्तेमाल करती हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा मेंथा ऑयल उत्पादक और निर्यातक है। मेंथा ऑयल की सबसे ज्यादा पैदावार यूपी में होती है।

देश में होने वाले कुल मेंथा ऑयल के उत्पादन में यूपी की हिस्सेदारी करीब 80 फीसदी है। पिछले सीजन में मेंथा ऑयल का उत्पादन काफी ज्यादा रहा था। बाजार सूत्रों के अनुसार इस साल पैदावार 40 फीसदी ज्यादा रहकर 52,000 - 56,000 टन के बीच रह सकती है। इस वजह से मेंथा की उपलब्धता बहुत ज्यादा रही और कीमतों में ज्यादा तेजी नहीं आ सकी। देश में पैदा होने वाला लगभग 75 फीसदी मेंथा ऑयल का निर्यात किया जाता है। इसलिए घरेलू से ज्यादा विदेशी मांग कीमतों को तय करने में बड़ी भूमिका निभाती है।

 

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