Published - 19 Apr 2021 by Tractor Junction
इन दिनों अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय कपास की भारी मांग है। इससे उम्मीद की जा रही है कि किसान कपास के उत्पादन में रूचि दिखा सकते हैं जिससे देश में कपास के रकबा बढ़ सकता है। बता दें कि पिछले दिनों बाजार में कपास की बिक्री से किसानों को एमएसपी से 15 प्रतिशत ऊंचे दाम को मिले हैं। एक ओर किसानों को सरसों की फसल से इस बार फायदा पहुंच रहा है, वहीं कपास के भी किसानों को अच्छे भाव मिले हैं।
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बात करें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की, तो भारतीय कपास संघ (सीएआई) ने अनुमान जताया है कि अक्टूबर में शुरू होने वाले 2020-21 कपास सत्र का निर्यात 20 प्रतिशत बढक़र 60 लाख गांठ हो जाने का अनुमान है। इसका मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय कीमतों का अधिक होना है। मिडिया से मिली जानकारी के आधार पर सीएआई ने एक बयान में कहा कि वर्ष 2019-20 के सत्र में, कपास का निर्यात 50 लाख गांठ का हुआ था। सीएआई के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने मीडिया को बताया कि हम भारतीय कपास की तुलना में अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अधिक होने की वजह से चालू सत्र में कपास का निर्यात 10 लाख गांठ बढक़र 60 लाख गांठ होने उम्मीद कर रहे हैं। एक महीने पहले, भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कपास के बीच औसत मूल्य अंतर 10 से 13 सेंट के बीच था जो अब लगभग 4 से 5 सेन्ट के आसपास है।
पाकिस्तान के आर्थिक समन्वय समिति ने वस्त्र उद्योग को सुचारू रूप से चलाने के लिए 30 जून तक सूती धागे के आयात पर सीमा शुल्क हटाए जाने को मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्रालय ने यहां इसकी जानकारी दी है। पाकिस्तान का कपड़ा निर्यात क्षेत्र लगातार ड्यूटी फ्री कपास की मांग कर रहा है और ड्यूटी फ्री कपास पाकिस्तान को भारत से ही सस्ता मिल सकता है। किसी और देश से इसे खरीदने पर उसे पाकिस्तान तक लाने की लागत ही इतनी बढ़ जाती है, कि वो घाटे का सौदा साबित होने लगता है। लिहाजा, पाकिस्तान का कपड़ा उद्योग इस यूटर्न के बाद सरकार पर लगातार भारत से कपास आयात का दबाव बना रहा है।
भारत से कपास का निर्यात बांग्लादेश, चीन, वियतनाम, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, श्रीलंका और अन्य देशों को निर्यात किया गया है। क्योंकि इन पड़ौसी देशों में कपास का उत्पादन कम होता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। देश में गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु मुख्य कपास उगाने वाले राज्य हैं।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के अनुसार, देश में रूई का उत्पादन चालू कॉटन सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में 360 लाख गांठ है, पिछले साल का बकाया स्टॉक 125 लाख गांठ और आयात 14 लाख गांठ को मिलाकर कुल आपूर्ति 499 लाख गांठ रहेगी, जबकि घरेलू खपत मांग 330 लाख गांठ और निर्यात 54 लाख गांठ होने के बाद 30 सितंबर 2021 को 115 लाख गांठ कॉटन अगले सीजन के लिए बचा रहेगा।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार किसानों को कपास के ऊंचे भाव मिले हैं। इसे देखते हुए अगले सीजन में कपास की खेती के प्रति किसान अधिक दिलचस्पी दिखा सकते हैं। कपास की बुवाई के रकबे में पिछले साल के मुकाबले कम से कम 10 फीसदी का इजाफा होगा। बता दें कि भारत कपास व इससे जुड़े उत्पादों का निर्यात करीब 166 देशों को करता है जिससे इसे 100 बिलियन अमेरिकी डालर की आमदनी होती है। हमारे देश से सबसे अधिक कपास की खरीद बांग्लादेश, वियतनाम और पाकिस्तान के द्वारा की जाती है।
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