Published - 18 Jun 2020 by Tractor Junction
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इस वर्ष प्याज का बंपर उत्पादन होने के बावजूद किसान को इसके बाजार में अच्छे भाव नहीं मिल पा रहे है। हालात ये हो गए कि किसान को बहुत ही कम दाम पर अपना प्याज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इससे उसकी फसल की लागत तक नहीं निकल पा रही है। इन सब हालतों के बीच एक राहत देने वाली खबर यह है कि केंद्र सरकार ने किसान से प्याज की सरकारी खरीद करने का निर्णय ले लिया है। इसके लिए सरकार ने नैफेड को उतार दिया है। केंद्र सरकार नैफेड के माध्यम से प्याज की खरीद कर एक लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाएगी जिससे गैर फसली सीजन में बाजार में प्याज की कमी से निबटा जा सके और बाजार में प्याज के भाव साल भर सामान्य बने रहे। बता दें कि प्याज का उत्पादन पिछले साल के 2.28 करोड़ टन हुआ था जो इस वर्ष 2019-20 में बढक़र 2.67 करोड़ टन हो गया है।
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भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India / NAFED / नेफेड) भारत की बहु-राज्य सहकारी सोसायटीज अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत सहकार। सहकारी संस्था है। इसकी स्थापना गांधी जयंती के पावन अवसर पर 2 अक्टूबर, 1958 को की गई थी। नेफेड की स्थापना कृषि उत्पादों के सहकारी विपणन को बढ़ाने के लिए की गई थी ताकि किसानों को लाभ मिल सके। नेफेड के सदस्य प्रमुख रूप में किसान है
जिन्हें नेफेड के क्र्रियाकलापों में सामान्य निकाय के सदस्यों के रूप में विचार प्रकट करने तथा नेफेड के संचालन कार्यों में सुझाव देने का अधिकार है एंव उनका बहुत महत्व है। नेफेड के प्रमुख उद्देश्यों में कृषि, उद्यान कृषि एवं वन उत्पाद का विपणन, संसाधन, भंडारण की व्यवस्था करना, उन्नयन और विकास करना, कृषि यंत्रों, उपकरणों एवं अन्य प्रकार के उपकरणों का वितरण करना, अंतर्राज्यीय, राज्यांतर्गत, यथास्थिति थोक या खुदरा आयात-निर्यात व्यापार करना, भारत में इसके सदस्यों एवं सहकारी विपणन, संसाधन एवं संभरण समितियों के उन्नयन एवं कृषि के लिए कृषि उत्पादन में सहायता और तकनीकी परामर्श देने का कार्य करना है। संक्षिप्त में कहे तो नेफेड "आपरेशन ग्रीन्स" के अंतर्गत मूल्य स्थिरीकरण उपायों को क्रियान्वित करने के लिए नोडल एजेंसी है।
सहकारी एजेंसी नैफेड ने चालू सीजन में एक लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाने का फैसला किया है, जो अब तक का सर्वाधिक है। शुरुआती दौर में नैफेड के पास 25 हजार टन प्याज का स्टॉक हो चुका है। 'फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन', सरकारी संस्थाओं और मंडियों में स्थापित खरीद केंद्रों से एजेंसी प्याज की सरकारी खरीद कर रही है। नैफेड ने पिछले साल रबी सीजन में 57 हजार टन प्याज की खरीद की थी, लेकिन इस बार प्याज खरीद का लक्ष्य लगभग दोगुना यानी एक लाख टन कर दिया गया है। इधर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात के एफपीओ, सहकारी संस्थाओं और खरीद केंद्रों से तकरीबन 25 हजार टन प्याज की खरीद कर ली गई है।
देश की विभिन्न मंडियों में प्याज का फिलहाल मूल्य 10 से 14 रुपये प्रति किलो के भाव चल रहा है। जबकि बड़े शहरों में प्याज का मूल्य 20 से 30 रुपये प्रति किलो तक है।
प्याज का बफर स्टॉक बनाने के साथ ही प्याज के भंडारण की सुविधा का विस्तार किया जाएगा जिससे संग्रह किए गए इतनी बड़ी मात्रा में प्याज के स्टाक को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सके। इस संबंध में नैफेड प्रबंधन का कहना है कि प्याज के भंडारण को लेकर इस वर्ष एजेंसी अपने संसाधनों का ज्यादा इस्तेमाल करेगी। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में राज्य सरकार की मदद से एजेंसी 30 हजार टन प्याज भंडारण की सुविधा बढ़ाएगी। प्याज किसानों के समर्थन में एजेंसी सरकारी खरीद को अंजाम दे रही है। नैफेड ने विभिन्न राज्य सरकारों से भी गैर-फसल मौसम या ऑफ सीजन में प्याज की अपनी जरूरतें बताने का आग्रह किया है।
प्याज की सरकारी खरीद करने का सरकार का निर्णय सीधे किसानों की मदद करना है। इससे किसानों को फायदा होगा। अब उन्हें कम कीमत पर प्याज बेचने पर मजबूर नहीं होना पड़ेगा। वहीं उपभोक्ताओं को गैर फसली सीजन में भी प्याज की आपूर्ति की जा सकेगी। इधर सरकार को गैर फसली सीजन में बाजार में प्याज के भावों को नियंत्रण करने में मदद मिलेगी। प्राय: अगस्त महीने से लेकर नवंबर के बीच प्याज का ऑफ सीजन होता है, जब बाजार में आपूर्ति घट जाती है। ऐसे में कीमतें बाजार में बढ़ जाती है जिसे संभालना सरकार के लिए मुश्किल हो जाता है। वहीं प्याज की बढ़ते भावों को मुद्दा बनाकर विपक्षी पाटियां सरकार को घेरने लगती है। सरकार इन हालतों से भी बचना चाहती है। चूंकि अब प्याज का बफर स्टॉक होने से सरकार को भविष्य में आई ऐसी किसी स्थिति से आसानी से निबट सकेगी।
सरकारी खरीद शुरू नहीं होने से पहले किसान को बहुत नुकसान हो रहा था। राजस्थान के सीकर में प्याज के थोक मंडी में शुरुआती भाव 2 से 4 रुपए प्रति किलो रहे। वहीं मंडी में डेढ से पांच रुपए तक भाव बोले जा रहे थे। जबकि किसान को एक बीघा में प्याज की बुवाई से खुदाई तक 25 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। उसके बाद मंडी तक लाने तक परिवहन, मजदूरी और सिंचाई सहित अन्य खर्चें मिलाकर प्रति कट्टा 8 से 9 रुपए कि लागत लाती है। अब सरकारी खरीद शुरू होने से किसान की लागत के साथ अब तक हुई हानि की भरपाई हो सकेगी।
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