Published - 04 Aug 2020 by Tractor Junction
बाजार में सोने की चमक और तेज हो गई है। इसके भावों में दिन-प्रतिदिन उछाल आ रहा है। खास बात यह है कि भावों में तेजी जारी होने के बावजूद बाजार में सोने की खरीद बढ़ी है। एमसीएक्स पर गोल्ड 54,000 रुपए के करीब पहुंच गया है। माह अगस्त डिलीवरी का भाव 512 रुपए की तेजी के साथ 53650 रुपए प्रति 10 ग्राम रहा। शुक्रवार को एक समय भाव 53844 रुपए के स्तर तक पहुंच गया था। गुरुवार को सोना 53138 रुपए प्रति दस ग्राम पर बंद हुआ था। अक्टूबर डिलिवरी वाले गोल्ड में भी 696 रुपये की तेजी दिखी। वहीं दिसंबर डिलिवरी वाला गोल्ड 717 रुपये की तेजी के साथ 53645 पर कारोबार रहा था।
देश के प्रमुख शहरों में चेन्नई में 22 कैरेट सोने का भाव 51,780 रुपए प्रति दस ग्राम व 24 कैरेट सोने का भाव 56,490 रुपए प्रति दस ग्राम, मुंबई में 22 कैरेट सोने का भाव 52,500 रुपए प्रति दस ग्राम व 24 कैरेट सोने का भाव 53,500 रुपए प्रति दस ग्राम, नई दिल्ली में 22 कैरेट सोने का भाव 52,250 रुपए प्रति दस ग्राम व 24 कैरेट सोने का भाव 53,450 रुपए प्रति दस ग्राम तथा कोलकाता में 22 कैरेट सोने का भाव 52,600 रुपए प्रति दस ग्राम व 24 कैरेट सोने का भाव 54,000 रुपए प्रति दस ग्राम चल रहा है। (यह भाव एक अगस्त के है।)
जुलाई 2020 में सोने के भावों में ऐतिहासिक तेजी देखी गई। इससे पहले सोने के भावों में इतनी तेजी नहीं देखी गई। 1 जुलाई को 22 कैरेट सोने के दाम 47,650 व 24 कैरेट सोने के दाम 48,650 रुपए प्रति 10 ग्राम रहे। वहीं 31 जुलाई को 22 कैरेट सोने के दाम 51,900 रुपए व 24 कैरेट सोने के भाव 52,900 रुपए प्रति 10 ग्राम तक हो गए। इस प्रकार 31 जुलाई को सोने के अधिकतम 22 कैरेट के दाम 51,900 रुपए व 24 कैरेट के दाम 52,900 रुपए बने रहे। वहीं जुलाई माह में न्यूनतम दाम देखें तो 4 जुलाई को 22 कैरेट के न्यूनतम दाम 46,450 एवं 24 कैरेट सोने के दाम 47,450 रुपए थे। इस प्रकार इसी माह में दो बार सोने के भावों में उछाल देखा गया।
बाजार जानकारों के मुताबिक देश में कोविड-19 के मामले बढऩे और डॉलर में कमजोरी से सोने में तेजी का रुख बरकरार है और ये आगे भी रह सकता है। इसके अलावा केंद्रीय बैंकों की नरम नीतियों और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के कारण भी पीली धातु की धारणाओं को बल मिल रहा है। इससे भी सोने के भावों में तेजी का रूख बना हुआ है।
पूरी दुनिया में केन्द्रीय बैंकों द्वारा की जाने वाली खरीद-फरोख्त भी है। इन दिनों हर देश के सेन्ट्रल बैंक के साथ ऐसा होता है कि वहां सारा भंडारण नहीं होता है। जब भी ऐसा होता है तो इससे सोने की कीमतों में तेजी से अस्थिरता आ जाती है। संक्षेप में कहें तो यह मांग देश के केन्द्रीय बैंकों से ही निकलती है। जब मांग, उम्मीद की गई मांग से ज्यादा बढ़ जाती है तो केन्द्रीय बैंकों द्वारा सोने की कीमतों में इजाफा कर दिया जाता है। ऐसा कई बार देखा गया है और ये कीमतें बहुत हद तक बढ़ जाती हैं।
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