अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोर मांग से जीरा की कीमतों में गिरावट का दौर

Share Product Published - 25 Jul 2020 by Tractor Junction

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोर मांग से जीरा की कीमतों में गिरावट का दौर

दुनिया के कुल जीरा उत्पादन में भारत करता है 70 फीसदी का योगदान

कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स पर जीरा की कीमतों में गिरावट देखने को मिली। इससे अगस्त डिलीवरी वाला जीरा 225 रुपए या 1.56 फीसदी गिरकर 14,475 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहा था। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि जीरे के भावों में अभी ओर गिरावट आ सकती है। फिर भी उम्मीद है कि आगे अंतरराष्ट्रीय बाजार में त्योहारी मांग निकलने से जीरे भावों में तेजी दिखाई दे। जीरे के भावों में गिरावट के संबंध में बाजार विश्लेषकों का कहना है कि आगे आने वाले दिनों में जीरे की कीमतों में मजबूती आने की उम्मीद हैं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी निर्यात मांग फिर से बढऩे की संभावना नजर आ रही है। चीन के साथ, यूएई और वियतनाम से भी भारतीय जीरा की मांग में वृद्धि हो रही है। साथ ही घरेलू बाजार में भी त्योहारी मांग बढ़ सकती है।

 

जीरे का साल दर साल कितना उत्पादन और स्टाक

इंडस्ट्री आंकड़ों के मुताबिक, 2019-20 में देश में जीरे का उत्पादन 33 फीसदी बढक़र 100 लाख बोरी रहा है। जीरे की एक बोरी 60 किलोग्राम की होती है। 2018-19 में देश में जीरे का उत्पादन 75 लाख बोरी के आसपास था। इसे देखते हुए 2020-21 में बकाया स्टॉक 12-15 लाख बोरी रहने का अनुमान है। 2019-2020 में बकाया स्टॉक 6-8 लाख बोरी था। 

 

 

देश में गुजरात व राजस्थान में होता है जीरे का सबसे ज्यादा उत्पादन 

मसालों में प्रमुख रूप से प्रयोग में आने वाले जीरा का उत्पादन देश में सबसे ज्यादा राजस्थान में होता है। इसके बाद दूसरा स्थान गुजरात का है। राजस्थान में जोधपुर, बाड़मेर, सांचोर, जैसलमेर, नागौर, जालौर, पाली आदि जिलों में होता है। यहां देश की कुल मांग का 55 प्रतिशत जीरा उत्पादन किया जाता है। शेष 45 प्रतिशत जीरा का उत्पादन गुजरात में होता है। गुणवत्ता के लिहाज से राजस्थान का जीरा बहुत अच्छा होता है और यही कारण है कि बाजार में राजस्थान के जीरे की मांग अधिक रहती है। भारत दुनिया में कुल जीरा उत्पादन में 70 फीसदी का योगदान देता है, जबकि सीरिया और तुर्की क्रमश: जीरा उत्पादन के कुल विश्व उत्पादन में 20 फीसदी और 10 फीसदी योगदान करते हैं। 

 

जीरे के भावों में कमी से किसानों का रूझान हो सकता है अन्य फसलों की ओर

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि जीरे की कीमतों में गिरावट से किसानों की दिलचस्पी जीरे की जगह अन्य फसलों जैसे- धनिया, चना, अदरक और सरसों में हो सकती है। इससे जीरे के उत्पादन पर प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि अंतराष्ट्रीय मांग के साथ त्योहारी मांग निकलने से जीरे के भावों में फिर से तेजी आएगी। बता दें कि भारत में जीरा अक्टूबर से दिसंबर के दौरान बोया जाता है। हर साल फरवरी से अप्रैल तक जीरे की फसल की कटाई की जाती है। इस लिहाज से अभी जीरे की फसल बुवाई में काफी समय है। फिर भी बाजार का रूख ही तय करेगा कि जीरे की फसल उत्पादन से किसान को कितना लाभ हो सकता है।

 

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