सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने देश में वाहनों के टायरों के डिजाइन में परिवर्तन करने के आदेश दिए हैं। वहीं नियमों में कुछ बदलाव किया गया है। टायरों के डिजाइन में बदलाव के नये नियम आगामी 1 अक्टूबर से लागू होंगे। ये नियम C1, C2, और C3 कैटेगिरी के टायरों पर लागू होंगे। ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे मिनिस्ट्री के आदेशों के तहत वाहनों के डिजाइन में बदलाव संबंधी नये नियमों की जानकारी के साथ टायरों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी सहित पूरी जानकारी दी जा रही है।
बता दें भारत सरकार और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में अभी तक कई नये कदम उठा चुका है। इनमें सडक़ों के डिजाइन भी बदले गए हैं। परंपरागत तरीके से बनी सडक़ों की जगह आधुनिक और विदेशों की तर्ज पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी हाइवेज, एक्सप्रेस-वे और अन्य लंबी दूरी वाली सडक़ों का निर्माण करवा रहे हैं। अब सरकार ने दुर्घटनाओं की रोकथाम में एक और नया कदम उठाया है। यह है टायरों के डिजाइन में बदलाव करना। इन नियमों का 1 अक्टूबर से प्रभावी करने के आदेश हैं। इसके बाद नये नियमों के अनुसार ही टायर निर्माता कंपनियां टायरों बनाएंगी। इसके बाद 1 अप्रैल 2023 से जो नये वाहन आएंगे उनमें ऐसे ही टायर लगाए जाएंगे। मंत्रालय की ओर से जारी किए नोटिफिकेशन के अनुसार नये स्टैंडर्ड नये स्टैंडर्ड C1, C2, और C3 कैटेगिरी के टायरों पर लागू होंगे।
ऑटोमोटिव स्टैंडर्ड के अनुसार ही रेटिंग सिस्टम होता है। इसके तहत रोड ट्रांसपोर्ट और राजमार्ग मंत्रालय का नया आदेश लागू होने के बाद टायरों के डिजाइन a/s&142-2019 के मुताबिक ही बनाया जाएगा। नये टायरों को सडक़ पर चलने वाले फ्रिक्शन, घर्षण, गीली सडक़ पर उनकी पकड़ की मजबूती, हाईस्पीड पर वाहन कंट्रोल और ड्राइविंग के समय उनसे होने वाले शोर जैसे मानकों के आधार पर बनाए जाएंगे। इसके साथ ही ग्राहक को टायर खरीदते समय यह जान सकेंगे कि यह टायर कितना सुरक्षित है। इसके अलावा परिवहन मंत्रालय एवं भारी उद्योग मंत्रालय भी जल्द ही टायरों के लिए स्टार रेटिंग शुरू करने जा रहे हैं। बता दें कि रेटिंग ग्राहक को उसके उपयोग के अनुसार सबसे अच्छा और सबसे सुरक्षित टायर चुनने में मदद मिलेगी।
टायर्स के डिजाइन में बदलाव के नये नियमों को टायरों की जिन तीन केटेगिरी में लागू किया जाएगा उनमें C1, C2, और C3 मुख्य हैं। ये तीन केटेगिरी क्या हैं इनके बारे में भी जानना जरूरी है। बता दें पैसेंजर कार की केटेगिरी C1 में आती है। C2 छोटे कमर्शियल व्हीकल और C3 यानि हैवी कमर्शियल व्हीकल के टायर की श्रेणी होती है। अब इन तीनों श्रेणियों के टायर्स पर ऑटोमोटिव इंडियन स्टैंडर्ड के दूसरे स्टेज के कुछ नियम और पैरामीटर अनिवार्य रूप से लागू होंगे। इन पैरामीटर्स में रोलिंग रेजिस्टेंस, वेट ग्रिप और रोलिंग साउंड एडमिशंस जैसी बातों का ध्यान रखा जाएगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने जो हालिया नोटिफिकेश जारी किए है, उनमें आगामी 1 अक्टूबर 2022 से वाहनों के टायरों के डिजाइन में बदलाव के आदेश लागू हो जाएंगे। अब आपको बता दें कि आखिर टायर डिजाइन बदलने से क्या होता है? क्या हैं इसके फायदे? पहली बात तो यह है कि इस बदलाव में मुख्य तौर पर टायर के तीन मानक तय किए गए हैं। रोलिंग रेजिस्टेंस, वेट ग्रिप और रोलिंग साउंड एमिशंस। इन तीनों को अब बीआईएस के मानकों के आधार पर तैयार किया जाएगा। ऐसे में नये डिजाइन के टायर पुराने टायरों की तुलना में अधिक सुरक्षित होंगे। इससे दुर्घटनाओं की आशंकाएं कम होंगी।
आपको बता दें कि टायरों के डिजाइन बदलने के जो तीन मानक तय किए गए हैं उनमें पहला है रोलिंग रेजिस्टेंस। इसका मतलब यह है कि रेजिस्टेंस यदि कम है तो टायर को ज्यादा ताकत लगानी पड़ेगी। नये डिजाइन में इसकी क्वालिटी पर ध्यान दिया जाएगा। इससे वाहनों में ईंधन की खपत भी कम होगी और माइलेज भी बढ़ेगा।
टायर डिजाइन का दूसरा मानक है वेट ग्रिप : इससे सीधा कनेक्शन मानसून सीजन से है। यानि बारिश के दिनों में गाडी फिसलने का खतरा कितना रहता है। टायर की ग्रिप की सतह और रेस ट्रैक के बीच फ्रिक्शन है, इस पर नये डिजाइन में फोकस रहेगा।
तीसरा मानक है रोलिंग साउंड एमिशंस : इससे वाहन चलाने के दौरान कभी-कभार टायर से आवाज आती है। इससे लगता है टायर खराब है या गाडी में कुछ प्रॉब्लम है। इसकी आवाज से एक्सीडेंट होने की आशंका बढ़ जाती है। नये डिजाइन में इस समस्या को दूर करने पर जोर रहेगा।
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