मधुमक्खी पालन : मीठी क्रांति लाएगी किसानों के जीवन में मिठास

Share Product Published - 26 Dec 2020 by Tractor Junction

मधुमक्खी पालन : मीठी क्रांति लाएगी किसानों के जीवन में मिठास

जानें, क्या है मीठी क्रांति और इससे किसानों को कैसे होगा फायदा?

इन दिनों कृषि जगत में मीठी क्रांति की काफी चर्चा में है। इसका मुख्य कारण यह है कि कुछ दिनों पूर्व ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नाफेड) के शहद किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) कार्यक्रम का उद्घाटन किया है। इसमें केंद्रीय मंत्री तोमर आशा व्यक्त की है कि मीठी क्रांति के तहत एफपीओ बनने से किसानों को काफी फायदा होगा और उनकी आय बढ़ेगी।

 

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इन पांच राज्यों में शुरू किए गए है एफपीओ

केंद्रीय मंत्री तोमर ने अभी पिछले दिनों ही 10 हजार एफपीओ बनाने की केंद्र सरकार की योजना के तहत 5 राज्यों में मधुमक्खी पालकों/शहद संग्राहकों के 5 एफपीओ का शुभारंभ किया है। ये एफपीओ मध्य प्रदेश में मुरैना, पश्चिम बंगाल में सुंदरबन, बिहार में पूर्वी चंपारण, राजस्थान में भरतपुर और उत्तर प्रदेश में मथुरा जिले में नाफेड के सहयोग से बनाए गए हैं।

 


सरकार बनाएंगी 10 हजार नए एफपीओ, किसानों को मिलेगा लाभ

केंद्रीय मंत्री तोमर के अनुसार सरकार की 10 हजार नए कृषक उत्पादक संगठन बनने की योजना है। इससे छोटे-मझौले किसानों के जीवन में बदलाव आएगा और इनकी आय काफी बढ़ेगी, वहीं मीठी क्रांति से दुनिया में भारत का महत्वपूर्ण स्थान बनेगा। 10 हजार एफपीओ बनाने की योजना की सफलता के लिए कृषि मंत्रालय ने बहुत अच्छे से तैयारियां कर ली हैं। इस कार्यक्रम में नाफेड ने अग्रणी भूमिका निभाई है और नाफेड की टीम इस काम को सफलता के सोपान पर पहुंचाएगी। केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि मधुमक्खी पालन कार्य छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने में बड़ा मददगार साबित हो सकता है। केंद्र सरकार की कोशिश है कि आने वाले कल में यह मीठी क्रांति न केवल सफल हो, बल्कि इस लक्ष्य तक पहुंचे कि दुनिया में शहद की दृष्टि से भारत एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सकें।

 

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आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 500 करोड़ रुपए का है फंड

इस योजना की क्रियान्विति के लिए 500 करोड़ रुपए का फंड आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत पैकेज के रूप में दिया गया है, वहीं अनेक अन्य योजनाओं के माध्यम से भी मधुमक्खी पालकों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।


क्या है मीठी क्रांति

मीठी क्रांति, ये वो क्रांति है जो शहद का उत्पादन बढ़ाकर लाई जानी है। इसके जरिए किसानों को देश और विदेश में ग्राहक देकर उनकी जेब में ज्यादा पैसे डालने की तैयारी है। बता दें कि देश में सालाना 1.10 लाख टन शहद का उत्पादन होता है। अगले पांच साल में इसे डबल करने की योजना बनी है। इस समय लगभग 10 हजार रजिस्टर्ड किसान 15 लाख मधुमक्खियों की कॉलोनी बनाकर शहद उत्पादन कर रहे हैं। दुनिया भर में हम शहद बनाने वालों में टॉप-5 में है। इसे तेजी से बढ़ाने पर काम चल रहा है।


60 हजार क्विंटल शहद सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा, किसानों की आय बढ़ेगी

भारत सरकार की योजना के अंतर्गत इन पांचों नए एफपीओ से जुड़े लगभग पांच सौ गांवों के 4 से 5 हजार शहद उत्पादकों को इस परियोजना से सीधा लाभ पहुंचेगा। शहद उत्पादकों द्वारा निकाला जाने वाला 60 हजार क्विंटल शहद अब उनके स्वयं के द्वारा ही प्रोसेस करके नाफेड की मदद से उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाएगा, जिससे इनकी आय बढ़ेगी। एफपीओ के सदस्य संगठन के रूप में अपनी गतिविधियों का प्रबंधन कर सकेंगे, ताकि प्रौद्योगिकी, निवेश, वित्त और बाजार तक बेहतर पहुंच हो सकें। नाफेड अपनी संबद्ध संस्था इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीबिजनेस प्रोफेशनल्स (आईएसएपी) के द्वारा मधुमक्खी पालकों के नए एफपीओ बना रहा हैं।


झारखंड में होता है सबसे अधिक शहद का उत्पादन

देश में सबसे अधिक शहद का उत्पादन झारखंड में होता है। मीठी क्रांति को लागू करने के लिए झारखंड सर्वश्रेष्ठ राज्य है तथा शहद उत्पादन के लिए बड़ी संभावनाएं हैं। यहां करीब लगभग 30 प्रतिशत भूमि वन से आच्छादित है जो शहद उत्पादन के लिए सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है। शहद उत्पादन के लिए राज्य की जलवायु भी काफी उपयुक्त है। यहां फसल, फल, सब्जी के आलवे जंगली पेड़ युकोलिप्टस, करंज , सेमर, नीम सीसम आदि बहुतायत संख्या में है जो मधुमक्खीपालन के दृष्टिकोण से उत्तम है।

 

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मधुमक्खी पालन में एफपीओ की क्या रहेगी भूमिका

केंद्रीय मंत्री तोमर ने मीडिया को बताया कि भारत में मधुमक्खी पालन का काम असंगठित क्षेत्र में ग्रामीण और आदिवासी आबादी के बीच प्रचलित है। देश में शहद उत्पादन की एक बड़ी क्षमता होने के बावजूद, मधुमक्खी पालन उद्योग अभी भी अविकसित है। उन्होंने कहा कि इन शहद एफपीओ के माध्यम से नैफेड बेरोजगार महिलाओं और आदिवासी आबादी के लिए एक व्यवसाय के रूप में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने और उनकी आजीविका के स्तर को बढ़ाने के लिए भी काम करेगा। इससे मधुमक्खी पालन में लगे हुए हजारों किसानों को लाभ होगा।


शहद एफपीओ निर्माण के उद्देश्य

  • वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन में कौशल उन्नयन।
  • शहद और संबद्ध मधुमक्खी पालन उत्पादों जैसे मधुमक्खी के मोम, प्रोपोलिस, शाही जेली, मधुमक्खी जहर आदि के प्रसंस्करण हेतु अवसंरचनात्मक सुविधाओं का विकास।
  • गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं द्वारा गुणवत्ता उन्नयन।
  • संग्रह, भंडारण, बॉटलिंग और विपणन केंद्रों में सुधार करके बेहतर आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन।
  • एफपीओ प्रचार और गठन कृषि को आत्मनिर्भर कृषि में बदलने के लिए पहला कदम है।
  • मधुमक्खीपालन के लिए अन्य सरकारी प्रयास-
  • चलती-फिरती मधुवाटिका।
  • यह मधुमक्खियों को पालने एवं उनके बक्सों को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिये खादी और ग्रामोद्योग आयोग की एक अनूठी पहल है।
  • राष्टीय मधुमक्खी बोर्ड ने एनबीएचएम के हिस्से के रूप में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए चार मॉड्यूल बनाए हैं।
  • इसके तहत 30 लाख किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया गया है साथ में उन्हें सरकार द्वारा वित्तीय सहायताभी दी जा रही है।
  • मिनी मिशन-1 और मिनी मिशन-2 इस मिशन के तहत योजनाएं हैं।
  • सरकार ने मीठी क्रांति के भाग के रूप में एनबीएचएम का शुभारंभ किया।
  • मधुमक्खी पालन और इससे जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2016 में मीठी क्रांति को शुरू किया गया था।


कैसे मिलेगा मधुमक्खी पालकों को एफपीओ का फायदा

मीडिया में प्रकाशित खबरों के आधार पर सरकार ने बयान में कहा कि नैफेड ने पहले ही मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन के तहत पहला शहद एफपीओ चंबल एफईडी शहद उत्पादक सहकारी समिति स्थापित करने में मदद की है, जिसे 11 नवंबर, 2020 को पंजीकृत किया गया था। यह एफपीओ राज्य के मुरैना जिले के लगभग 68 गांवों वाले पांच ब्लॉकों को अपने दायरे में लेगा। अन्य चार एफपीओ सुंदरवन (पश्चिम बंगाल), पूर्वी चंपारण (बिहार), मथुरा (उत्तर प्रदेश), और भरतपुर (राजस्थान) में स्थापित किए जाएंगे। एक साथ मिलकर, यह पांच राज्यों में 340 गांवों को अपने दायरे में लेगा। इन पांच एफपीओ के माध्यम से, 4,000-5,000 मधुमक्खी पालकों और शहद संग्राहकों को सीधे लाभान्वित किया जाएगा।


नैफेड से किस तरह मिलेगी किसानों को मदद

सरकार के अनुसार, शहद एफपीओ न केवल अपने सदस्यों को वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन में उनके कौशल को बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि शहद तथा मोम और प्रोपोलिस जैसे संबद्ध उत्पादों के प्रसंस्करण के लिए अत्याधुनिक ढांचागत सुविधाओं की स्थापना में भी मदद करेगा। इसके अलावा, वे गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला संग्रह, भंडारण, बॉटलिंग और विपणन में भी मदद करेंगे। इन बीपीओ को राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के नेशनल मधुमक्खी पालन एवं हनी मिशन (एनबीएचएम) के तहत सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। इसके अलावा, सभी पांच राज्यों के मधुमक्खी पालकों और शहद संग्रहकर्ताओं को नाफेड के विपणन चैनलों के माध्यम से अपने शहद और अन्य संबद्ध उत्पादों की ब्रांडिंग और सामूहिक विपणन में मदद की जाएगी।

 

 

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