Published - 17 Jun 2021 by Tractor Junction
इस बार किसानों को तिलहन की अच्छी कीमत मिलने से किसान खरीफ सीजन में तिलहन की फसल की बुवाई कर रहे हैं। मध्यप्रदेश सहित सोयाबीन उत्पादक राज्यों में सोयाबीन की बुवाई की जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि खरीफ सीजन में सोयाबीन का रकबा 10 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। बता दें कि इस बार किसानों को सरसों व सोयाबीन के बाजार में अच्छे भाव मिले है। वहीं केंद्र सरकार ने भी वर्ष 2021-22 के खरीफ विपणन सत्र के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3,950 रुपए प्रति क्विंटल तय कर दिया है। एमएसपी की यह दर पिछले सत्र के मुकाबले 70 रुपए प्रति क्विंटल अधिक है। इससे किसानों को एमएसपी पर भी सोयाबीन की फसल बेचने से लाभ होगा।
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कृषि मंत्रालय ने अपने अनुमान में बताया है कि इस बार तिलहनी फसलों की पैदावर में बंपर बढ़त होगी। मंत्रालय के मुताबिक, इस साल तिलहन के पैदावार में 33 लाख 46 हजार टन से अधिक की वृद्धि देखने को मिल सकती है। इस बार देश में तिलहन की पैदावार 3 करोड़ 65 लाख 65 हजार टन होने का अनुमान है। बीते साल तिलहन की उपज 3 करोड़ 32 लाख 19 हजार टन रही थी।
इस बार तिलहन का अच्छा दाम मिलने से किसानों का रूझान सोयाबीन की खेती की ओर हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप इस बार सोयाबीन की पैदावार में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। फसल वर्ष 2020-21 के लिए जारी कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, देश भर में खरीफ सोयाबीन की उपज 1 करोड़ 34 लाख 14 हजार टन से ज्यादा हो सकती है, जो बीते साल की समान अवधि के दौरान 1 करोड़ 12 हजार टन रही थी। वहीं, खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों को तिलहनी फसलों की रकबे में बढ़ोतरी को एक कारण माना जा रहा है। बीते एक साल में खाने के तेल की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। माना जा रहा है कि इस बार किसानों को तिलहन का अच्छा दाम मिला है। इसी वजह से वे खरीफ सीजन में जमकर बुवाई कर रहे हैं।
इस खरीफ सत्र में देश में सोयाबीन का रकबा 10 फीसदी बढ़ता सकता है। इससे देश में सोयाबीन का रिकार्ड उत्पादन होने की उम्मीद है। इससे खाद्य तेलों के महंगे आयात से राहत मिल सकती है। यह अनुमान इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान जारी किया है। सोपा के अनुसार सोयाबीन का राष्ट्रीय रकबा 10 फीसद बढक़र 132 लाख हेक्टेयर के आस-पास रहने का अनुमान है। सोपा के के चेयरमैन डेविश जैन ने मीडिया को बताया कि हमें लगता है कि इस बार देश में सोयाबीन के रकबे में करीब 10 फीसदी का इजाफा होगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 के खरीफ सत्र के दौरान देश में करीब 120 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया था, जबकि इसकी पैदावार 105 लाख टन के आस-पास रही थी। इधर फसल वर्ष 2020-21 के लिए जारी कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, देश भर में खरीफ सोयाबीन की उपज 1 करोड़ 34 लाख 14 हजार टन से ज्यादा हो सकती है। जो बीते साल की समान अवधि के दौरान 1 करोड़ 12 हजार टन रही थी।
सोयाबीन का भारत में 12 मिलियन टन उत्पादन होता है। यह भारत में खरीफ की फसल है। भारत में सोयाबीन का अग्रणी उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश है, जो भारत के कुल सोयाबीन उत्पादन में 49.93 प्रतिशत का योगदान देता है। महाराष्ट्र का 34.09 प्रतिशत तथा राजस्थान का 11.85 प्रतिशत का योगदान है। मध्यप्रदेश में इंदौर में सोयाबीन रिसर्च सेंटर है। विश्व का 60 प्रतिशत सोयाबीन अमेरिका में पैदा होता है।
सोयाबीन एक फसल है। यह दलहन के बजाय तिलहन की फसल मानी जाती है। सोयाबीन दलहन की फसल है शाकाहारी मनुष्यों के लिए इसको मांस भी कहा जाता है क्योंकि इसमें बहुत अधिक प्रोटीन होता है। इसका वानस्पतिक नाम गलीसईन मैक्स है। स्वास्थ्य के लिए एक बहुउपयोगी खाद्य पदार्थ है। सोयाबीन एक महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत है। इसके मुख्य घटक प्रोटीन, कार्बोहाइडेंट और वसा होते है। सोयाबीन में 38-40 प्रतिशत प्रोटीन, 22 प्रतिशत तेल, 21 प्रतिशत कार्बोहाइडेंट, 12 प्रतिशत नमी तथा 5 प्रतिशत भस्म होती है।
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