प्रकाशित - 25 Jan 2023
बीते वर्ष गेहूं के कम उत्पादन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ी मांग से अपने देश में गेहूं का भावों में लगातार वृद्धि हो रही है। इस एक साल के दौरान गेहूं का भाव 16 फीसदी तक बढ़ चुका है व इस तिमाही में इसकी कीमतों में 7 प्रतिशत तक का उछाल देखा गया है। अब दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में गेहूं का भाव 3,000 रुपए प्रति क्विंटल को पार कर गया है। पूर्वी भारत की मंडियों में गेहूं की आवक बिलकुल नहीं हो रही है जिसके कारण पूरे देश में अब गेहूं सरकार द्वारा तय किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर की कीमत पर बिक रहा है। गेहूं के महंगा होने की वजह से गेहूं के आटे के भाव में भी वृद्धि हो रही है। पिछले एक साल में आटे का भाव 19 फीसदी बढ़ चुका है और अब यह बाजार में 35 से 40 रुपए प्रति किलो तक के भाव से मिल रहा है। किसान भाइयों आज ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ गेहूं की कीमतों में हुई वृद्धि से जुड़ी अपडेट जानकारी साझा कर रहे हैं।
गेहूं की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को लेकर बाजार जानकारों का कहना है कि खुले बाजार से गेहूं की सप्लाई पर्याप्त मात्रा में नहीं हो रही है। पूर्वी भारत की मंडियों से गेहूं गायब है। उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं का स्टॉक बहुत कम है। वहीं उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं गुजरात से आ रहा है। हरियाणा और पंजाब में भी व्यापारियों और किसानों के पास ज्यादा गेहूं उपलब्ध नहीं है। जिनके पास गेहूं का स्टॉक है, वो फिलहाल भाव में बढ़ोतरी होने के कारण उसे बेच नहीं रहे हैं। ऐसे में बाजार में गेहूं की कम सप्लाई से मांग में लगातार तेजी बनी हुई है, इसके कारण गेहूं की कीमतों में लगातार उछाल देखने को मिल रहा है। अब देश की आटा मिलों को भी गेहूं मिलने में मुश्किल होने लगी है।
पिछले साल के मौसम की वजह से गेहूं की फसल प्रभावित हुई थी जिसके कारण गेहूं के उत्पादन पर भी असर पड़ा था। इसीलिए इस साल गेहूं की बाजार में उत्पादन कम होने के कारण मांग अधिक हो गई है व बाजार में मांग के अनुसार गेहूं की सप्लाई नहीं हो पा रही है। सरकारी गोदामों में भी रखे गेहूं की मात्रा पिछले छह साल के न्यूनतम स्तर पर है। जबकि नया गेहूं आने में अभी काफी समय है। ऐसे में सरकारी गोदामों में इसका स्टॉक कम होने के कारण गेहूं के भावों में तेजी आ रही है।
बाजार जानकारों के अनुसार केंद्र सरकार ने गेहूं को खुले बाजार में ओएमएसएस (ओपन मार्केट सेल स्कीम) के तहत बेचने की शुरुआत अब तक नहीं की है। इसी कारण से गेहूं की कीमतें रोजना नई ऊंचाई छू रहीं हैं। भारतीय रोलर फ्लावर मिल्स फेडरेशन (आरएफएमएफआई) के अध्यक्ष प्रमोद कुमार के अनुसार भारत के खुले बाजारों में गेहूं की उपलब्धता नहीं है। पूर्वी भारत में भी यही स्थिति है जब से केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गेहूं के आवंटन को रोका है, खुले बाजार में गेहूं की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और कीमतों में ये वृद्धि मार्च के अंत तक देखी जा सकती हैं।
आईसीएआर आईआईडब्लूबीआर के अधिकारियों के अनुसार इस साल भारत में लगभग 11.2 करोड़ टन तक गेहूं का उत्पादन हो सकता है, जो कि पिछले साल हुए उत्पादन से लगभग 50 लाख टन ज्यादा है। इसके पीछे का मुख्य कारण ये है कि इस वर्ष गेहूं की कई ऐसी किस्मों की बुवाई की गई है जो अधिक गर्मी में भी अधिक उत्पादन देने की क्षमता रखती हैं।
केंद्र सरकार हर वर्ष रबी और खरीफ विपणन वर्ष के लिए एक साल में दो बार अधिसूचित की गई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है। विपणन वर्ष 2022-23 के लिए सरकार ने 2,015 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं का एमएसपी तय किया था। जो कि इस साल रबी विपणन वर्ष 2023-24 के लिए गेहूं का एमएसपी सरकार ने 110 रुपए बढ़ाकर 2,125 रुपए प्रति क्विंटल का कर दिया गया है।
देश की प्रमुख मंडियों में गेहूं भाव- देश के अलग-अलग राज्यों में गेहूं का भाव अलग-अलग चल रहा है। यह भाव गेहूं की क्वालिटी को देखकर तय किए जाते हैं। इस समय देश की प्रमुख मंडियों में गेहूं के जो भाव चल रहे है, वे इस प्रकार से हैं-
हरियाणा मंडी में गेहूं का भाव 2100 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है।
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